दैनिक भास्कर २९ नवम्बर 2012
नई दिल्ली . निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डा. लोबसांग सांगे ने बुधवार को कहा कि चीन अपने ही कानून को मानने से इनकार कर रहा है और तिब्बत को वास्तविक स्वायत्तता नहीं दे रहा है। सांगे ने कहा कि तिब्बत में न तो धार्मिक आजादी है, न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है। इतना ही नहीं, स्थानीय माध्यमिक स्कूल और कॉलेजों के अलावा प्राइमरी स्कूलों में भी पढ़ाई का माध्यम चीनी भाषा बनाई जा रही है। जबकि चीनी संविधान के अनुच्छेद 4 और 12 के तहत और अल्पसंख्यक राष्ट्रीयता अधिनियम 1984 के अनुरूप तिब्बत को धार्मिक और भाषाई स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। सांगे ने कहा है कि चीन भले कह रहा हो कि उसके कब्जा करने के बाद तिब्बत का विकास हुआ है लेकिन स्थिति उलट है। मठों में कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने कब्जा कर लिया है। भिक्षुओं को हजारों जगह पुलिस चौकियों पर अपनी पहचान सिद्ध करनी होती है। तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 70 प्रतिशत कारोबार पर चीनी नागरिकों का कब्जा है। तिब्बती मजदूरों को चीनी मजदूरों के मुकाबले आधी मजदूरी दी जाती है। ल्हासा में खिड़कियों से ज्यादा निगरानी के लिए लगाए गए सीसीटीवी हैं।
सांगे ने कहा कि हम आजादी की मांग नहीं कर रहे हैं। हम मध्यम मार्ग चाहते हैं। हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि हमें वास्तविक स्वायत्तता दी जाए लेकिन चीन ऐसा नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में आत्मदाह की घटनाएं चरम पर है। यह गलत है। लेकिन स्थानीय लोगों के पास अपनी लाचारी-हताशा-बेबसी जाहिर करने का और काई रास्ता नहीं है। ऐसे में साफ हो जाता है कि वहां कैसा विकास हो रहा है।
वैश्विक नेताओं से तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन की ओर ध्यान देने की अपील करते हुए सांगे ने कहा कि वह अपने 1 साल 3 महीने के कार्यकाल से अभी तक संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच वह वैश्विक स्तर पर तिब्बत की समस्या रखने के लिए अमेरिका, स्वीट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के 8-9 देशों की यात्रा कर चुके हैं।
डा. सांगे ने कहा कि १० दिसम्बर २०१२ में मानवाधिकार दिवस के दिन दुनिया भर में चीन के खिलाफ तिब्बती प्रदर्शन करेंगे। सांगे ने कहा कि स्वायत्तता हमारा हक है। चीन विकास का नाम लेकर सिक्के का एक ही पहलु दुनिया को दिखा रहा है जबकि तिब्बत के दमन को उसने अंधेरे में रखा हुआ है।
हम वह दुनिया को दिखा रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि भारत में एक वर्ग मानता है कि तिब्बत की वजह से चीन के साथ भारत की कटुता बढ़ी है, डा. सांगे ने कहा कि यह सही नहीं है। चीन ही भारत के पड़ोस में पाकिस्तान, वर्मा, श्रीलंका, नेपाल में अपनी क्षमता बढ़ाकर भारत को चिंतित करने की चेष्टा करता रहा है।