केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के 17 आधिकारिक अवकाश

 01 जनवरी : नया साल

26 जनवरी : भारत का गणतंत्र दिवस। गणतंत्र दिवस भारत का संविधान लागू होने के सम्मान में मनाया जाता है जो 1950 में इसी दिन लागू हुआ था। 26 जनवरी 2021 को 72वां गणतंत्र दिवस है।

लोसार दिवस 1-3 तिब्बती नव वर्ष : तिब्बती चंद्र कैलेंडर के पहले महीने के पहले दिन को तिब्बती नव वर्ष लोसार के रूप में मनाया जाता है। परंपरागत रूप से तिब्बती किसानों द्वारा वार्षिक फसल की कटाई और अगले वार्षिक खेती की शुरुआत से पहले खेत से अच्छी उपज पर खुशी का जश्न मनाने के लिए लोसार मनाया जाता हैं। इस दिन वह प्रार्थना-प्रसाद, प्रार्थना-झंडा, समारोह, लोक नृत्य आदि करते हैं और दोस्तों और परिवार के लोगों से मिलते- जुलते हैं।

तिब्बत में लोसार का तीन दिवसीय पारंपरिक उत्सव

लोसार के पहले दिन को लामा लोसार कहा जाता है जब उच्च स्तरीय तिब्बती लामा और उच्च स्तरीय तिब्बती अधिकारी परम पावन दलाई लामा को अपना अभिवादन और सम्मान भेंट करते हैं, इस दौरान पूरा सरकारी कामकाज ठप पड़ जाता है। आम जनता अपने-अपने गुरुओं का अभिवादन करती है और मठों में जाकर प्रार्थना करती है और धर्मोपदेश में भाग लेती है। सभी तिब्बती बौद्ध अपने-अपने गुरुओं को बधाई देते हैं और आने वाले वर्ष के लिए एक-दूसरे की समृद्धि की कामना करते हैं। परिवार के लोग मठों में प्रार्थना करने और धर्मोपदेश में भाग लेने के लिए जाते हैं।

दूसरा दिन सम्राट का लोसर है जब रिंग्येन त्रिपा (जो तिब्बत के प्राचीन राजाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं) तिब्बती आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा को ग्यालसी नाधुन (राजस्व के पारंपरिक सात शुभ लेख) प्रदान करते हैं।

तीसरा दिन चो-क्योंग लोसार है। इस दिन आम लोग धर्म रक्षकों को प्रार्थना-झंडे, धूप और समारोह के साथ प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके साथ ही लोसार का पारंपरिक उत्सव समाप्त हो जाता है। हालांकि, बाद का उत्सव 15वें दिन तक चल सकता है।

छोत्रुल ड्यूचेन, चमत्कारों का त्योहार : चार प्रमुख बौद्ध छुट्टियों में से पहली छोत्रुल ड्यूचेन पहले तिब्बती चंद्र माह के 15वें दिन होता है। इसे चोंगा चोएपा या बटर लैम्प फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है। यह चमत्कारों के त्योहारों का अंतिम दिन है जो दो सप्ताह से अधिक समय तक चलता है।

10 मार्च, तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस : यह दिन चीनी लोक गणराज्य और तिब्बत पर उसके कब्जे के खिलाफ 1959 में तिब्बती लोगों के शांतिपूर्ण विद्रोह की वर्षगांठ का प्रतीक है। 10 मार्च 1959 को राष्ट्रव्यापी तिब्बती विरोध प्रदर्शन की परिणति ल्हासा में पीआरसी के खिलाफ तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के रूप में हुई। हज़ारों तिब्बती पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का सड़कों पर कत्लेआम किया गया और कई लोगों को विद्रोह में हिस्सा लेने के दंडस्वरूप जेल में डाल दिया गया था।

सागा दावा दुचेन, वैशाख का त्योहार : तिब्बती चंद्र कैलेंडर के चौथे महीने की पूर्णिमा का दिन तिब्बती बौद्ध धर्म में सबसे पवित्र दिन माना जाता है। यह बुद्ध शाक्यमुनि के जन्म, ज्ञान और परिनिर्वाण को मनाने का दिन है। इस दिन पुण्य कर्म करना विशेष रूप से शुभ और लाभकारी माना जाता है।

ज़मलिंगचिज़ांग : तिब्बती चंद्र कैलेंडर के पांचवें महीने के 15वें दिन को गुरु रिनपोछे के स्थानीय राक्षसों पर विजय प्राप्त करने और पहले तिब्बती- सम्ये मठ के सफल निर्माण पूरा होने के उपलक्ष्य में बौद्ध छुट्टी के रूप में मनाया गया है।

06 जुलाई, परम पावन दलाई लामा का जन्मदिनतिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता परम पावन 14वें दलाई लामा का जन्मदिन पूरे विश्व में और तिब्बत में मनाया जाता है।

06 जुलाई, 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के तकत्सेर गांव में जन्मे दलाई लामा को दो साल की उम्र में 13वें दलाई लामा थुबटेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी गई थी। 1959 में चीनी सैनिकों द्वारा ल्हासा में तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के क्रूर दमन के बाद परम पावन को निर्वासन में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब से वह निर्वासन में रह रहे हैं। वह सहिष्णुता और आपसी सम्मान के आधार पर तिब्बत मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।

चोखोर ड्यूचेन, धर्म चक्र परिवर्तन का त्योहार : चार प्रमुख बौद्ध छुट्टियों में से तीसरा चोखोर ड्यूचेन को ‘चार आर्य सत्य’ के आधार पर सारनाथ में बुद्ध के धर्म चक्र परिवर्तन के पहले मोड़ का जश्न मनाने के लिए मनाया गया है। यह छठे तिब्बती चंद्र मास के चौथे दिन होता है।

15 अगस्त, भारत का स्वतंत्रता दिवस : स्वतंत्रता दिवस 200 साल के ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का जश्न मनाने का वार्षिक उत्सव है। भारत में पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को मनाया गया था।

02 सितंबर, तिब्बती लोकतंत्र दिवस : यह दिन निर्वासित तिब्बती संसद की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। 02 सितंबर के दिन 1960 में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की संसद की आधिकारिक रूप से स्थापना की गई थी।

निर्वासित तिब्बती संसद में 45 सदस्य हैं। तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों से प्रत्येक में 10-10 सदस्य; तिब्बती बौद्ध धर्म के चार प्रमुख संप्रदायों और पारंपरिक बॉन धर्म से प्रत्येक से 2-2 सदस्य; 2 सदस्य यूरोप से, 2 उत्तरी अमेरिका से और 1 आस्ट्रेलेशिया से निर्वाचित होते हैं।

02 अक्तूबर, गांधी जयंती यह दिन भारत के राष्ट्रपिता और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेता महात्मा गांधी के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 02 अक्तूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में घोषित किया है।

ल्हा बाब दुचेन, स्वर्गावतरण त्योहार : चौथा प्रमुख बौद्ध अवकाश नौवें तिब्बती महीने के 22वें दिन होता है। यह दिन बुद्ध के तैंतीसवें स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण को याद करने के लिए मनाया जाता है। अपनी मां के ऋण को चुकाने और उन्हें निर्वाण दिलाने के लिए बुद्ध ने उन देवताओं के बीच तीन महीने तक उपदेश दिया, जहां उनकी मां का पुनर्जन्म हुआ था।

न्गेन्पागुजोम, नौ अशुभ संकेतों का दिन : यह दिन 11वें तिब्बती चंद्र माह के सातवें दिन होता है। परंपरागत रूप से तिब्बती बौद्ध धर्मांवलंबी इस दिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से परहेज करते हैं।

ज़ंगपोचुज़ोम, दस शुभ संकेतों का दिन : यह सभी अशुभ परिस्थितियों को शुभ में बदलने का दिन है। मौज-मस्ती के लिए खास दिन।

10 दिसंबर, नोबेल शांति पुरस्कार दिवस : इस दिन को परम पावन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। 10 दिसंबर 1989 को परम पावन दलाई लामा को तिब्बत पर चीन के दमन को समाप्त करने के लिए उनके अहिंसक संघर्ष को मान्यता के लिए प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

*तिब्बत के कार्यालय अपने संबंधित राष्ट्रीय अवकाश मना सकते हैं।

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