तिब्बती सर्वोच्च न्यायिक आयोग

तिब्बती सर्वोच्च न्याय आयोग सर्वोच्च न्यायिक अंग है और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन में निर्वासित तिब्बती लोकतांत्रिक प्रशासन के तीन सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। यह औपचारिक रूप से (तिब्बती वाटर-मंकी वर्ष, 2119) के पहले महीने के सातवें दिन) 11 मार्च 1992 को निर्वासित तिब्बती चार्टर के प्रावधान के अनुसार उत्तर भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के मुख्यालय गंगचेन कीशोंग में अस्तित्व में आया।

तिब्बती सर्वोच्च न्याय आयोग- मुख्य न्यायिक आयुक्त और दो अन्य न्याय आयुक्तों से बना है। इनकी नियुक्ति मुख्य न्यायिक आयुक्त, तिब्बती संसद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष और सिक्योंग (काशग/कैबिनेट के प्रमुख) की चयन समिति द्वारा नामांकित उम्मीदवारों में से निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा चुनाव के माध्यम से की जाती है।

पूर्व में, मुख्य न्यायिक आयुक्त और दो अन्य न्याय आयुक्तों को परम पावन दलाई लामा पद और गोपनीयता की शपथ दिलाया करते थे। लेकिन परम पावन द्वारा 29 मई 2011 को अपनी सभी राजनीतिक और प्रशासनिक शक्तियों के हस्तांतरण के बाद से मुख्य न्यायिक आयुक्त को निवर्तमान मुख्य न्यायिक आयुक्त या कार्यवाहक मुख्य न्यायिक आयुक्त पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं। दो अन्य न्यायिक आयुक्तों को मुख्य न्यायिक आयुक्त पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।

Menu