नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तिब्बत समर्थक समूह (टीएसजीएपी) की कार्यकारी निकाय बैठक १९ नवंबर २०२३ को ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के तिब्बत समर्थक समूह के अध्यक्ष श्री ताढ़ तारक की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
बैठक में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़- इंडिया (सीजीटीसी-आई) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सांसद श्री आर.के. खिरमे, तिब्बती कार्यकर्ता और लेखक श्री तेनज़िन त्सुन्दुए, राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष और ईटानगर बौद्ध संस्कृति सोसायटी (आईबीसीएस) के अध्यक्ष डॉ. लीकी वांगचुक, मोन मिमांग छोकपा (मोनपास के सीबीओ) के अध्यक्ष श्री दोरजी फुंटसो, टुटिंग मेम्बा वेलफेयर सोसाइटी (मेम्बा समुदाय के सीबीओ) के अध्यक्ष इंजी. पेमा दोरजी खोची, पूर्व मंत्री एवं राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति के अध्यक्ष श्री अनोक वांगसा, अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री संबू सियोंग्जू के अलावा टीएसजीएपी के नए कार्यकारी सदस्यों और शुभचिंतकों ने भाग लिया।
विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक श्री आर.के. खिरमे ने राज्य भाजपा उपाध्यक्ष श्री ताढ् तारक की अध्यक्षता में टीएसजीएपी की एक नई टीम के गठन की सराहना की। साथ ही उन्होंने अपनी टिप्पणी में तिब्बत-चीन संघर्ष को उजागर करते हुए कहा, ‘कुछ संगठन और समूह तिब्बत के लिए आजादी की मांग कर रहे हैं और कुछ पीआरसी से स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। हम एक कार्यकर्ता के रूप में तिब्बत का समाधान चाहते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘परम पावन १४वें दलाई लामा भारत सरकार के सबसे लंबे समय तक मेहमान हैं और तिब्बती शरणार्थी भी। उन्होंने भारत में कभी भी एक इंच भूमि का अतिक्रमण नहीं किया और स्वतंत्रता के लिए अपना संघर्ष जारी रखने के लिए भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से परहेज किया। इसलिए, श्री खिरमे ने तिब्बत की आजादी के प्रयासों के समर्थन में भारतीयों की आवाज की क्षमता को रेखांकित करते हुए युवा पीढ़ी के बीच तिब्बती संघर्ष के बारे में जागरुकता पैदा करने पर जोर दिया।’ उन्होंने कोई वैध अधिकार न होने के बावजूद परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने के अधिकार को हथियाने के चीनी नास्तिक सरकार के प्रयास की भी निंदा की।
टीएसजीएपी के अध्यक्ष श्री ताढ़ तारक ने तिब्बत सीमाओं की अपनी हालिया यात्रा और सीमा क्षेत्र के लोगों के साथ बातचीत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस यात्रा ने उन्हें तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया और अरुणाचल के लोगों द्वारा तिब्बतियों के साथ साझा किए जाने वाले भावनात्मक संबंध के बारे में बताया।
श्री तारक ने टीम की ताकत में गहरी आशा के साथ, गणमान्य व्यक्तियों से सर्वोत्तम प्रयास के साथ तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन करने का आग्रह किया और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़- इंडिया के निर्देश के अनुसार काम करने का आश्वासन दिया। उन्होंने टीम भावना और टीम शक्ति के साथ देश में सर्वांगीण विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पेमा खांडू की भी सराहना की।
पूर्व मंत्री और एसएलएमसी के अध्यक्ष और टीएसजीएपी के संस्थापक सदस्य श्री अनोक वांगसा ने नई टीम को बधाई संदेश दिया और तिब्बती मुद्दे और तिब्बत के मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया कि, ‘तिब्बती शरणार्थियों की तुलना राज्य में चकमा-हाजोंग शरणार्थियों से नहीं की जा सकती है।’ उन्होंने नई टीम को तिब्बतियों और तिब्बती मुद्दों के बारे में जागरुकता से अवगत कराया ताकि ऐसे मुद्दों को किसी भी स्तर पर किसी भी मंच पर आगे बढ़ाया जा सके और समर्थन किया जा सके।
तिब्बती कार्यकर्ता-सह-लेखक तेनज़िन त्सुंडु ने टीएसजीएपी की कार्यकारी निकाय की बैठक में अपने संबोधन में मानवता, विशेष रूप से दुनिया भर में पीड़ित तिब्बतियों की मदद में टीएसजी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने तिब्बत मुक्ति साधना पर प्रकाश डालते हुए तिब्बत की ऐतिहासिक आजादी पर जोर दिया। उन्होंने घोषणा की कि कब्जे वाली भूमि से तिब्बत की यथास्थिति में परिवर्तन आवश्यक था। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तिब्बती स्वतंत्रता प्रयास पीआरसी से स्वतंत्रता सुनिश्चित कराएगा और इसके लिए तिब्बतियों को संघर्ष का नेतृत्व करना चाहिए। तिब्बत समर्थक समूहों के आंदोलन के समर्थन से तिब्बतियों को वांछित परिवर्तन के लिए संघर्ष तेज करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा और तिब्बती मुद्दे के लिए समर्थन को दया के बजाय भारतीय और तिब्बती समृद्धि दोनों की ओर निर्देशित करने की आवश्यकता है।
टीएसजीएपी के महासचिव श्री नीमा सांगेय ने टीएसजीएपी के गठन के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला, जो मानवीय आधार पर तिब्बती मुद्दे का समर्थन करना है। उन्होंने कहा कि तिब्बत और उसके संघर्षों और तिब्बती मुद्दों को भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण जानना, समय की मांग है। उन्होंने २०१८ में एक साल तक चले ‘थैंक यू इंडिया’ अभियान के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा शुरू की गई गतिविधियों पर भी विचार-विमर्श किया, जो परम पावन दलाई लामा के निर्वासित होकर भारत में कदम रखने के ६०वें वर्ष का प्रतीक है। २०१८ के इन कार्यक्रमों में पद यात्रा (शांति मार्च), धन्यवाद भारत सार्वजनिक कार्यक्रम, तिब्बत उत्सव, भारत के लिए प्रार्थना, हरित भारत की ओर, स्वस्थ भारत की ओर, भूखों को खाना खिलाना, स्वच्छ भारत की ओर, ठंड को कवर करना आदि शामिल हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बतियों ने तिब्बती मुक्ति साधना को ‘मेड इन इंडिया’ कहा और इसकी सफलता भारत की सफलता की कहानी होगी। उन्होंने सभी सदस्यों से आगे आने और तिब्बती मुक्ति साधना का समर्थन करने का आह्वान करते हुए कहा, ‘हमारे समर्थन से तिब्बती मुद्दे से निश्चित रूप से तिब्बती नेताओं का लड़ाई में मनोबल बढ़ेगा।’ उन्होंने अंत में कहा कि टीएसजीएपी परम पावन दलाई लामा के लंबे जीवन, तिब्बत-चीन संघर्ष का त्वरित समाधान और परम पावन और निर्वासित तिब्बती लोगों की उनकी मातृभूमि में वापसी के लिए प्रार्थना करता है।
टीएसजीएपी में ४० नए कार्यकारी सदस्य शामिल हैं। इनमें अध्यक्ष श्री ताढ़ तारक, महासचिव श्री नीमा सांगेय, सलाहकार, उपाध्यक्ष, सचिव, सहायक सचिव, समन्वयक, सह-समन्वयक, संयोजक, सह-संयोजक, मीडिया सलाहकार और कानूनी सलाहकार शामिल हैं। सदस्यों का चयन राज्य की प्रमुख हस्तियों, जैसे पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों, नगरसेवकों (आईएमसी ईटानगर), पूर्व पंचायत नेताओं और सरकारी अधिकारियों में से किया गया था। इन सबकों नियुक्ति पत्र श्री आर.के. खिरमे और श्री ताढ़ तारक द्वारा गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में सौंपा गया।
इसके अलावा, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन लद्दाख और साबू सोलिटेरियन गेस्ट हाउस, संग्रहालय और पुस्तकालय के निदेशक न्गावांग छेरिंग शक्सपो, टीएसजीएपी के संयोजक श्री ताढ़ टैगो, ईटानगर नगर निगम (आईएमसी) की पार्षद श्रीमती ताड़र हांघी और टीएसजीएपी के उपाध्यक्ष ने भी इस अवसर को संबोधित किया।
बैठक के दौरान सदस्यों ने आत्मदाह करने वाले तिब्बतियों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा।