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असम: व्याख्यान में ब्रह्मपुत्र पर चीन के बांधों और तिब्बती संस्कृति के बारे में प्रकाश डाला गया

December 21, 2021

कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र (मेघालय और असम) के क्षेत्रीय संयोजक सौम्यदीप दत्ता

nenow.in / अविक चक्रवर्ती, सोमवार को डीएचएस कनोई कॉलेज के श्रीमंत शंकरदेव सभाकक्ष में असम स्थित ‘फ्री तिब्बत-ए वॉयस फ्रॉम असम’ के सहयोग से मानव विज्ञान विभाग, डीएचएस कनोई कॉलेज द्वारा सोमवार को ‘ब्रह्मपुत्र घाटी और तिब्बती संस्कृति’ पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।

इस विषय पर बोलते हुए कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र (मेघालय और असम) के क्षेत्रीय संयोजक सौम्यदीप दत्ता ने कहा कि ब्रह्मपुत्र घाटी सभ्यता और तिब्बती सभ्यता में समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

दत्ता ने कहा, ‘असम के अधिकांश स्वदेशी लोग तिब्बत से आए हुए हैं। अगर भारत हमारी मातृभूमि है तो तिब्बत हमारी जन्मभूमि है। हम उसी सभ्यता से आए हैं जो युगों-युगों तक फली-फूली।’

दत्ता ने कहा, ‘तिब्बत एक स्वतंत्र देश था लेकिन १९५९ में चीन ने अवैध रूप से तिब्बत पर कब्जा कर लिया। तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने तिब्बती लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। कई बौद्ध मठों को नष्ट कर दिया गया। हाल के दिनों में चीनी सरकार द्वारा कई भिक्षुओं को मार दिया गया है।’

दत्ता ने आगे कहा, लोगों में भारत-चीन सीमा को लेकर भ्रांतियां है, लेकिन वास्तव में भारत और चीन के बीच कोई सीमा नहीं है। असल में भारत तिब्बत के साथ सीमा साझा करता है, जो भारत और चीन के बीच एक बफर स्टेट है।

‘चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और अब वह भारत पर दबाव बनाने के लिए बांध बना रहा है। चीन भारत के लिए खतरा है और असम के निचले इलाकों में बांध बनाने और दबाव बनाने की उनकी युद्ध रणनीति है।’

दत्ता ने कहा कि चीनी सत्ता के अवैध कब्जे के बाद से तिब्बत मुक्ति का आंदोलन चल रहा है। चीनी सरकार ने चीनी कब्जे से आजादी की मांग करने पर कई तिब्बतियों को मार डाला है।

‘कई तिब्बती प्रदर्शनकारियों ने चीनी सरकार से बचाव के लिए आत्मदाह कर लिया।’

उन्होंने कहा, ‘फ्री तिब्बत- ए वॉयस फ्रॉम असम’ जनता के बीच तिब्बत मुद्दे पर जागरुकता पैदा कर रही है।’

‘मैंने छात्रों से तिब्बत पर अध्ययन करने का आग्रह किया। तिब्बत मुक्ति के आंदोलन पर जागरुकता पैदा करने में छात्रों की बड़ी भूमिका है।’

दत्ता के अलावा, फ्री तिब्बत – ए वॉयस फ्रॉम असम के डिब्रूगढ़ जिला समन्वयक अविक चक्रवर्ती, डीएचएस कनोई कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.शशि कांत सैकिया, नृविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ.मोरोमी तालुकदार, डॉ.अनूप ज्योति भराली, डॉ.नितुमणि सैकिया, डॉ.भास्कर दास और डॉ. सुनंदा साहू उपस्थित थे।

कार्यक्रम में भौतिकी विभाग से डॉ.ज्योति फुकन और डॉ.आदित्य दहल, भूगोल विभाग की डॉ. मालती चालिहा, समाजशास्त्र विभाग की पूजा चगकाकोटी, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ.पल्लबी गोगोई और डिब्रूगढ़ की यातायात निरीक्षक मृगांक सैकिया भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।


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