tibet.net / भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ)- नई दिल्ली ने बुधवार १९ जनवरी- २०२२ को आईटीएफएस कलिम्पोंग को फिर से पुनर्जीवित और सक्रिय करने के लिए सुबह ११:०० बजे से दोपहर १२:३० बजे तक एक वर्चुअल बैठक आयोजित की। बैठक में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के क्षेत्रीय संयोजक (उत्तरी बंगाल और सिक्किम) श्री पेमा वांगदा भूटिया, आईटीएफएस कलिम्पोंग के पूर्व महासचिव और वरिष्ठ सदस्य श्री त्सेवांग पलजोर, तिब्बती बंदोबस्त अधिकारी, कलिम्पोंग श्री धोंडुप संगपो और भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय, नई दिल्ली के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम और अन्य कर्मचारियों ने भाग लिया।
आईटीसीओ समन्वयक जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने वर्चुअल मीटिंग में सदस्यों का स्वागत किया और बधाई दी। उन्होंने अक्तूबर- २०२१ में माननीय सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग की कलिम्पोंग की आधिकारिक यात्रा के दौरान वहां के लोगों की बेहद मांग को देखते हुए आईटीएफएस कलिम्पोंग को फिर से पुनर्जीवित और सक्रिय करने के लिए आयोजित बैठक के उद्देश्यों के बारे में सदस्यों को बताया।
श्री त्सेवांग पलजोर ने सदस्यों को आईटीएफएस कलिम्पोंग के बारे में जानकारी दी। इसकी स्थापना १९९६ में स्वर्गीय लाचुंग आयिला, श्री तमदीन दोरजी द्रुकपा, श्री पी.टी. भूटिया और स्वयं पलजोर ने अन्य सदस्यों के साथ की थी। उन्होंने सदस्यों को स्पष्ट किया कि आईटीएफएस कलिम्पोंग अभी भी मौजूद है, लेकिन दुर्भाग्य से २०१९ के बाद से यह अपने कई कार्यकारी सदस्यों के बुजुर्ग हो जाने और बाद में कोविड महामारी फैल जाने के कारण निष्क्रिय ही चल रहा है।
उन्होंने आगे उल्लेख किया कि आईटीएफएस कलिम्पोंग में कुल ५० सदस्य हैं। इनमें भारतीय और तिब्बती के अलावा नेपाली, डेन्जोंगपा, शेरपा, तमांग और अन्य समुदाय के लोग शामिल हैं।
श्री पेमा वांगदा भूटिया ने बताया कि वह २०१९ में कलिम्पोंग आए थे और टीएसजी सम्मेलन आयोजित करने के संबंध में श्री पी.टी. भूटिया और आईटीएफएस कलिम्पोंग के अन्य सदस्यों से बातचीत की थी। लेकिन कोविड महामारी के कारण यह योजना विफल हो गई और अभी भी लंबित है। उन्होंने आश्वासन दिया कि तिब्बती मुद्दे को तेज करने के लिए किसी भी गतिविधियों और कार्यक्रमों को चलाने में आईटीएफएस कलिम्पोंग के साथ उनका पूर्ण समर्थन हमेशा रहेगा।
टीएसओ धोंडुप संगपो ने सदस्यों को यह भी बताया कि कोविड की स्थिति के कारण टीएसओ कार्यालय गतिविधियों और कार्यक्रमों को चलाने में आईटीएफएस कलिम्पोंग के साथ सक्रिय रूप से समन्वय करने में सक्षम नहीं था। उन्होंने बताया कि जब कोविड की स्थिति सुधर जाती है तब उनका कार्यालय आईटीएफएस कलिम्पोंग के साथ भारतीय और तिब्बती भाईचारे और अंततः क्षेत्र में तिब्बती मुद्दों को तेज करने के लिए काम करेगा।
सदस्यों ने भी इस बैठक में अपने विचार और सुझाव रखे। इन्हीं सुझावों और विचारों के अनुरूप चर्चा की और तिब्बती आंदोलन को मजबूत करने के लिए गतिविधियों और कार्यक्रमों को चलाने के लिए आईटीएफएस कलिम्पोंग को पुनर्जीवित और फिर से सक्रिय करने की योजना बनाई।
अंत में, आईटीसीओ समन्वयक ने कलिम्पोंग में स्थित तिब्बती प्रदर्शन कला समूह- गंगजोंग दोघर के बारे में सदस्यों को अद्यतन जानकारी दी। गंगजोर दोघर हाल के दिनों में आईटीसीओ द्वारा समन्वित टीएसजी कार्यक्रमों में भाग ले रहा है और भारतीय जनता को तिब्बत की समृद्ध और सुंदर संस्कृति के बारे में जानकारी देने के साथ ही तिब्बत को लेकर जागरुकता फैला रहा है।