tibet.net / धर्मशाला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने आज २० दिसंबर की सुबह गदेन फोडंग में परम पावन दलाई लामा का दर्शन किया। आरएसएस प्रमुख ने कल कांगड़ा में सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग और स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल सहित ६० बुद्धिजीवियों के साथ एक सेमिनार में भाग लिया था।
आरएसएस प्रमुख भागवत कांगड़ा के पांच दिवसीय दौरे पर हैं और दर्शन के समय उनके साथ आरएसएस के वरिष्ठ नेता श्री इंद्रेश कुमार भी मौजूद रहे। परम पावन दलाई लामा के दर्शन के बाद दौरे पर आए आरएसएस के नेताओं ने १६वें कशाग के सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग, कलोंस और अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल से मुलाकात की। आरएसएस नेताओं के साथ बैठक के दौरान तिब्बती नेताओं ने परम पावन दलाई लामा और तिब्बती लोगों के आतिथ्य और समर्थन के लिए भारत सरकार और भारत के लोगों के प्रति तिब्बती लोगों की कृतज्ञता ज्ञापित की।
बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सिक्योंग ने कहा, ‘यह बहुत स्वाभाविक है कि जब श्री मोहन भागवत धर्मशाला में हों, तो उन्हें परम पावन दलाई लामा से मिलना चाहिए। और परम पावन दलाई लामा की ओर से भी यह स्वाभाविक है कि वह एक प्रमुख नेता से मिलें जो बड़ी संख्या में भारतीय आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।’
सिक्योंग ने कहा, ‘आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की यात्रा वास्तव में तब हुई जब परम पावन दलाई लामा ने महामारी के बाद १५ दिसंबर से व्यक्तिगत तौर पर दर्शन देना शुरू किया है। इनमें से पहला दर्शन सिक्योंग को दिया, इससे यह परम पावन की दूसरी आमने-सामने की बैठक बन गई।’
हालांकि परम पावन दलाई लामा और आरएसएस के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत का खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि, सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग ने माना कि यह बात सामान्य मुद्दों के बारे में हो सकती है। ‘उन्होंने मानवता के बड़े हित के बारे में प्रमुख मुद्दों पर बात की होगी।’
बातचीत के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि परम पावन दलाई लामा ने उनसे कहा कि भारत धार्मिक सद्भाव का मॉडल है और भारत को इसे दुनिया को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने भी तिब्बती मुद्दों के प्रति भारत का गंभीर समर्थन व्यक्त किया।