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उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में तिब्बती आंदोलन को मजबूत करने के लिए कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया का अभियान

August 30, 2021

 देहरादून में तिब्बती सदस्यों के साथ तिब्बत समर्थक समूहों

tibet.net, ३० अगस्त २०२१

वर्तमान के बहुत ही अहम समय में ‘तिब्बत मुक्ति साधना’ की लौ को फिर से  प्रज्वलित करने और मजबूत करने के उद्देश्य से भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) का अभियान ‘कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई)’ के साथ समन्वय में चल रहा है। इसी क्रम में आईटीसीओ उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित तिब्बत समर्थक समूहों से मिलकर तिब्बती आंदोलन के लिए साथ काम करने और इसके लिए संबंधित क्षेत्रों में स्थित तिब्बती समुदायों से समन्वय का काम कर रहा है।

२६ अगस्त २०२१ को अभियान शुरू करते हुए कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के राष्ट्रीय सह-समन्वयक श्री सुरेंद्र कुमार और आईटीसीओ समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्त्रिम ने उत्तराखंड के तिब्बत समर्थक समूहों के साथ देहरादून स्थित तिब्बती सेटलमेंट कार्यालय के समन्वय में एक बैठक का आयोजन पोटाला कम्युनिटी हॉल, डेक्येलिंग तिब्बती सेटलमेंट, देहरादून में किया। बैठक में उत्तराखंड के तिब्बत समर्थक समूह के सदस्य सरदार इंद्रपाल सिंह कोहली; भारत-तिब्बत मैत्री संघ – देहरादून के संयोजक डॉ. रामचंद्र उपाध्याय; देहरादून के तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) नोरबू के अलावा देहरादून में तिब्बती गैर सरकारी संगठनों और एसोसिएशनों के सदस्य उपस्थित हुए। इनमें डेक्येलिंग, राजपुर, धोंडुपलिंग क्लेमेंट टाउन और त्सेरिंग ढोंडेनलिंग रायपुर के सदस्य शामिल हैं।

२७ अगस्त २०२१ को श्री सुरेंद्र कुमार और श्री जिग्मे त्सुल्त्रिम ने हरबर्टपुर में डोएगू युगालिंग तिब्बती बस्ती का दौरा किया और तिब्बती सेटलमेंट कार्यालय, हरबर्टपुर के समन्वय से वहां एक बैठक की। बैठक में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के विशेषज्ञ सलाहकार और तिब्बत समर्थक भारतीय नागरिक श्री एम.के. ओटानी; तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी श्री त्सुल्ट्रिम दोरजी के अलावा लखनवाला, बालूवाला, खेड़ा कैंप और हरबर्टपुर में तिब्बती गैर सरकारी संगठनों और डोएगू युगालिंग तिब्बती बस्ती के एसोसिएशनों के सदस्य शामिल हुए।

२७ अगस्त २०२१ की दोपहर प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब पहुंचा, जहां पांवटा साहिब, पुरुवाला, सतौन और कुमराव की चार तिब्बती बस्तियों के टीएसओ, तिब्बती गैर सरकारी संगठनों और एसोसिएशनों के सदस्यों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। बाद में शाम को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पांवटा साहिब, पुरुवाला, सतौन और कुमराव के तिब्बती सेटलमेंट कार्यालयों के समन्वय में तिब्बत समर्थक समूहों की एक बैठक होटल यमुना, पांवटा साहिब में आयोजित की गई। बैठक में भारत-तिब्बत मैत्री संघ- सिरमौर के अध्यक्ष डॉ. मदन लाल खुराना; आईटीएफएस- सिरमौर के महासचिव श्री गीता राम ठाकुर; पांवटा साहिब, पुरुवाला और सतौन के आईटीएफएस सदस्य; पोंटा चोलसुम, पुरुवाला, सतौन और कुमराव के तिब्बती गैर सरकारी संगठनों और एसोसिएशनों के सदस्य उपस्थित रहे।

देहरादून, हरबर्टपुर और पांवटा साहिब में आयोजित बैठकों की इन शृंखलाओं के दौरान, आईटीसीओ समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्त्रिम ने तिब्बत मुक्ति साधना की लौ को फिर से प्रज्वलित करने और मजबूत करने के लिए आयोजित बैठक के उद्देश्यों को सदस्यों के सामने रखा और उन पर प्रकाश डाला। साथ ही इस संबंध में भारत के तिब्बत समर्थक समूहों के समर्थन और सहायता के महत्व को रेखांकित किया।

बैठकों के दौरान श्री सुरेंद्र कुमार ने सदस्यों को डॉ. राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और अन्य भारतीय नेताओं के नेतृत्व में तिब्बत मुक्ति साधना के शुरुआती दिनों की यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने तिब्बत मुक्ति साधना को बहुत पवित्र माना था और इस बात पर जोर दिया था कि तिब्बती आंदोलन का समर्थन करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। उन्होंने कोरोना महामारी के बाद भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय के समन्वय में कोर ग्रुप फॉर तिब्बती कॉज- इंडिया द्वारा तिब्बत मुक्ति साधना की ज्योति को प्रज्वलित करने और मजबूत करने के लिए ओडिशा, असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और महाराष्ट्र में अब तक की गई गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। श्री कुमार ने भारत की सुरक्षा के लिए तिब्बत की स्वतंत्रता के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन के बीच कोई सीमा रेखा नहीं है बल्कि जो सीमा है वह भारत-तिब्बत के बीच की सीमा है। तिब्बत पर अवैध और जबरदस्ती कब्जे के कारण ही चीन वहां मौजूद है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे इस तथ्य का पालन करें और किसी भी संदर्भ में ‘भारत-तिब्बत सीमा’ शब्दावली का ही उपयोग करें और भारत सरकार पर भी इसी शब्दावली का उपयोग करने के लिए दबाव डालें।

श्री कुमार ने आगे कहा कि भारत के तिब्बत समर्थक समूहों को तिब्बत के लिए मजबूत समर्थन बनाने के लिए भारतीय जनता को तैयार करना है और साथ ही, भारतीय लोगों को सरकार पर उचित रुख अपनाने और तिब्बत पर दृढ़ नीतियां बनाने के लिए दबाव डालना है। उन्होंने तिब्बत मुक्ति साधना को अपना पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया और कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता एक सच्चाई है और तिब्बत निश्चित रूप से एक दिन आजाद होकर रहेगा।

डॉ. रामचंद्र उपाध्याय ने बताया कि भारत और तिब्बत के बीच सदियों पुराने संबंध हैं और तिब्बत का समर्थन करना भारत का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में चीन शक्तिशाली है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कुछ नहीं कर सकते। हमें कोशिश करते रहना है क्योंकि एक दिन सच्चाई की जीत होगी और तिब्बत आजाद हो जाएगा। उन्होंने भारतीय जनता के बीच तिब्बती आंदोलन और तिब्बत पर जन जागरुकता को मजबूत करने के लिए वातावरण बनाने का सुझाव दिया।

सरदार इंद्रपाल सिंह कोहली ने चीनी बाजार को कमजोर करने के लिए व्यक्तिगत रूप से और साथ ही सरकार की ओर से चीनी उत्पादों के बहिष्कार पर जोर दिया, जो परोक्ष रूप से भारत को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने तिब्बत के मुद्दे को उजागर करने और तिब्बती मुद्दे के लिए समर्थन और सहायता प्राप्त करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सक्रिय उपयोग का सुझाव दिया। सरदार कोहली ने कहा कि हमारे जवान सीमा पर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं और इसी तरह हम आम लोगों को भी देश में अपना कर्तव्य निभाना है।

डॉ. मदन लाल खुराना ने बताया कि हम कई दशकों से ‘तिब्बत की आजादी- भारत की सुरक्षा’ कह रहे हैं लेकिन उस पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया। अब समय आ गया है कि इसे शब्दों से आगे बढ़कर कार्यों में प्रमाणित किया जाए कि तिब्बत की स्वतंत्रता वास्तव में भारत की सुरक्षा है। उन्होंने कहा कि चीन किसी से नहीं डरता इसलिए हमारे पास एक ही विकल्प है कि हम उसका आर्थिक और कूटनीतिक बहिष्कार कर उसे कमजोर कर दें और फिर चीन बिखर जाएगा। डॉ. खुराना ने तिब्बतियों की सहनशीलता के लिए उनकी सराहना की और जल्द से जल्द तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए प्रार्थना की।

श्री गीता राम ठाकुर ने कहा कि तिब्बती संस्कृति सुंदर और समृद्ध है और इसे सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने तिब्बती और भारतीय युवाओं को समान गतिविधियों और कार्यक्रमों में एक साथ लाने और इससे तिब्बती आंदोलन को सशक्त बनाने का सुझाव दिया। श्री ठाकुर ने उल्लेख किया कि तिब्बत का समर्थन करके भारतीय स्वयं पर विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश का उपकार कर रहे हैं, क्योंकि यह तिब्बत के साथ सीधी सीमा साझा करता है।

बैठकों के दौरान, अन्य सदस्यों ने तिब्बत समर्थक समूहों के वरिष्ठ सदस्यों को ध्यान से सुना और तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। भारत के तिब्बत समर्थक समूहों के सदस्यों ने इन बैठकों में विशेष रूप से पांवटा साहिब में बड़ी संख्या में भाग लिया।

प्रतिनिधिमंडल का ऋषिकेश में तिब्बत समर्थक समूहों के सदस्यों के साथ बैठक का कार्यक्रम क्षेत्र में लगातार बारिश होने से सड़क अवरुद्ध होने के कारण रद्द कर दिया गया था।

२८ अगस्त २०२१ को पांवटा साहिब से हरिद्वार जाते समय श्री सुरेंद्र कुमार और श्री जिग्मे त्सुल्त्रिम ने भारत-तिब्बत समन्वय संघ (पंजीकृत)- उत्तराखंड के सदस्यों- प्रो. प्रयाग दत्त जुयाल, पूर्व कुलपति, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर और माननीय सदस्य, केंद्रीय सलाहकार समिति, बीटीएसएस; प्रो. विजय कौल, प्रख्यात साहित्यिक वैज्ञानिक और शिक्षाविद और उपाध्यक्ष, बीटीएसएस-उत्तराखंड; श्री मनोज गेहतोरी, महासचिव, बीटीएसएस-उत्तराखंड और श्री मोहन भट्ट, संगठन सचिव, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और देहरादून क्षेत्र- के साथ मुलाकात की।

अभियान के अंतिम चरण में २९ अगस्त २०२१ को श्री सुरेंद्र कुमार और श्री जिग्मे त्सुल्त्रिम ने हरिद्वार में पंतंजलि योगपीठ का दौरा किया और स्वामी परमार्थ देवजी, योगगुरु, पतंजलि विश्वविद्यालय से मुलाकात की, जिन्होंने हाल ही में २१ जून २०२१ को विश्व योग दिवस की पूर्व संध्या पर बीटीएसएस (पंजीकृत) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में भाग लिया था। प्रतिनिधिमंडल ने स्वामी परमार्थ देवजी को आईटीसीओ की स्थापना और इसके उद्देश्यों के साथ-साथ भारत में पतंजलि योगपीठ और तिब्बती संस्थानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान के लिए भविष्य के अवसरों की खोज के बारे में जानकारी दी थी। स्वामी जी को १९५९ से भारत में विभिन्न भारतीय तिब्बत समर्थक समूहों की समर्थन यात्रा के बारे में लिखित ‘कम्युनिस्ट चाइना, हैंड्स ऑफ तिब्बत’ शीर्षक से एक स्मारिका भेंट की गई।

यह अभियान सीजीटीसी-आई और आईटीसीओ द्वारा चलाए गए भारत के ज्ञात-अज्ञात तिब्बत समर्थक समूहों के सदस्यों से मिलने और बातचीत करने के अभियान में मददगार रहा है। ये समूह कई दशकों से तिब्बती हित के लिए स्वेच्छा से अथक परिश्रम कर रहे हैं। भारत के तिब्बत समर्थक समूहों के बीच तिब्बत मुक्ति साधना को मजबूत करने और इसकी लौ को फिर से प्रज्वलित करने का अभियान आने वाले दिनों में जारी रहेगा, जिससे कि तिब्बत मुक्ति साधना को और अधिक समर्थन और सहायता प्राप्त हो सके।


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