कैनबरा। ऑस्ट्रेलियाई सर्वदलीय संसदीय तिब्बत समूह (एएपीपीजीटी) ने गुरुवार १६ नवंबर को विदेश मंत्री पेनी वोंग को पत्र लिखकर जनवरी २०२४ में चीन पर संयुक्त राष्ट्र की आसन्न आवधिक समीक्षा में चीन-तिब्बत संघर्ष और चीन के भयावह मानवाधिकार रिकॉर्ड को उठाने का आग्रह किया।
एएपीपीजीटी के सह-अध्यक्षों में सीनेटर डीन स्मिथ, सांसद सुसान टेम्पलमैन और सीनेटर जेनेट राइस शामिल हैं। इन हस्तियों ने विदेश मंत्री से अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि चीन की सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा में ऑस्ट्रेलिया की प्रस्तुति में चीनी सरकार द्वारा प्रोत्साहित किए गए ‘जातीय अल्पसंख्यक’ या ‘धार्मिक अल्पसंख्यक’ शब्दों के बजाय सीधे तौर पर ‘तिब्बत’ और ‘तिब्बती’ जैसे शब्दों का उपयोग हो।
पत्र में तिब्बत में कई मानवाधिकार संबंधी चिंताओं पर ध्यान दिया गया है। इनमें से कुछ हैं- तिब्बती बच्चों पर थोपे गए आवासीय स्कूलों का विशाल नेटवर्क और उन्हें तिब्बती संस्कृति और राष्ट्रीय पहचान से परिचित होने के अवसर से वंचित करना। तिब्बत पर संसदीय समूह ने राजनीतिक रूप से प्रेरित तिब्बतियों के लिए ‘व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम’ और ‘स्वैच्छिक श्रमिक स्थानांरण’ के नाम पर जबरन श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रमों के बारे में चिंता व्यक्त की। इसके अलावा, यह ऑस्ट्रेलियाई सरकार से १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म सहित तिब्बती बौद्ध लामाओं के चयन और मान्यता में चीन के कठोर हस्तक्षेप को रोकने की अपील करता है। समूह ने स्वीकार किया है कि ऐसा अधिकार केवल ‘तिब्बती लोगों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार’ निर्धारित किया जाता है। एएपीपीजीटी के सह-अध्यक्षों ने ‘तिब्बती बौद्ध धर्म में जीवित बुद्धों के पुनर्जन्म के प्रबंधन पर उपाय’ और ‘२०१७ के धार्मिक मामलों के विनियम’ जैसे चीनी कानूनों को भी अस्वीकार कर दिया।
पत्र का समापन सदस्यों द्वारा यह आशा व्यक्त करते हुए किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया यूपीआर प्रक्रिया की अखंडता और ऑस्ट्रेलिया की मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए तिब्बतियों की पीड़ा को लेकर मजबूती से पक्ष रखेगा और चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के व्यापार संबंधों को सुधारने के प्रयास के नाम पर कोई समझौता नहीं करेगा।