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करंमापा के कार्यालय ने अटकलों पर आधारित आरोपों का खंडन किया।

January 29, 2011

(फायूल, धर्मशाला ,29 जनवरी ,2011) फु्र्बू थिनले

भारतीय पुलिस द्वारा 17 वें करमापा के आवास की तलाशी लगातार तीसरे दिन जारी रही , इस बीच शनिवार को उनके कार्यालय ने औपचारिक रुप से एक बयान जारी कर भारतीय मीडिया के एक वर्ग में आए आरोपों का साफ तौर पर खंडन किया है और इन्हें पूरी तरह से अटकलबाजी बताया है।
बयान में कहा गया है , हम साफ तौर पर यह कहना चाहते है कि करमापा और उनके प्रशासन के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह अटकलों पर आधारित है और इनमें सच का कोई आधार नहीं है।

हम चीन सरकार के किसी भी अंग से किसी भी तरह के संपर्क की बात को साफतौर पर खारिज करना चाहते है। दूसरी तरफ, भारतीय मीडिया , खासकर टीवी की खबरों में करमापा के चीन से जुडाव पर सवाल उठाया जा रहा है, इससे हाल में यहां तिब्बती धार्मिक नेता के मठ से मिले 5 करोड रुपए के प्रकरण ने पूरी तरह से नया मोड ले लिया है।

शनिवार को जारी बयान में करमापा के कार्यालय ने कहा है, पुलिस जिस नकदी की जांच कर रही है वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिष्यों से सेवा कार्यें के लिए मिला चंदा है। बयान में कहा गया है, दुनिया भर के मठ अपने भक्तों से विभिन्न रुपों में चंदा हासिल करते रहे है, इसमें कुछ भी अचरज करने वाली , नई बात या अनियमितता नही है। कोई भी यदि यह कहता है कि इन चंदों का इस्तेमाल अवैध कार्यें के लिए किया गया तो यह अपमानजनक बात है।

गौरतलब है कि करमापा के पास से करीब 70 लाख भारतीय रुपए के बराबर चीनी मुद्रा जब्त किए जाने की खबरों के बाद भारतीय मीडिया में इस तरह की अटकलबाजी छपनी शुरु हो गई कि करमापा का चीन सरकार से संपर्क है।

मीडिया की खबरों में यह अटकलबाजी भी प्रसारित हुई कि धर्मशाला के पास एक माठ बनाने के लिए अवैध तरीके से जमीन लेने के लिए करमापा लामा के कार्यालय द्वारा भारी मात्रा में काला धन इस्तेमाल किया जा रहा है।

करमापा के कार्यालय ने यह स्वीकार किया है कि करमापा के स्थायी आवास के रुप में एक मठ बनाने के लिए उपयुक्त जमीन खरीदने की उनकी योजना है, लेकिन उसने इन आरोपों का खंडन किया है कि इस प्रक्रिया में कहीं से भी कुछ गलत हो रहा हा ।

बयान में कहा गया है, दुनिया भर में हम जो कुछ भी सौदा करते है वह पूरी तरह से ईमानदारी और पारदर्शिता पर आधारित होता है । इसके अलावा कुछ भी करना उन बौद्ध सिद्धांतों के खिलफ होगा जिनका हम पालन करते है। ग्यालवांग करमापा के कार्य़ालय ने अपनी जमीन खरीदने की हाल की योजना के बारे में संबंधित भारतीय एजेंसियों को पूरी जानकारी दी थी । संभावित जगहों का उपयुक्त सरकारी कार्यालयों द्वारा मूल्यांकन किया गया और उसे मंजूरी दी गई । यह परियोजना पूरी तरह से भारत सरकार की मंजूरी के बाद ही शुरु होनी है।
करमापा के कार्य़ालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है , हम जहां तक संभव होगा और जितनी जानकारी उपलब्ध होगी वह मुहैया कराएंगे , लेकिन साथ ही यह कहना चाहते है कि हमारी पहली प्राथमिकता चल रही जांच में सहयोग करना है।
तिब्बत के सुर्फू से सिर्फ 14 साल की अवस्था में जनवारी 2000 में साहस कर भारत चले आने के बाद से ही करमापा लामा दलाई लामा के निर्वासन केंद्र और निर्वासित तिब्बती सरकार के केंद्र धर्मशाला में स्थित ग्यूतों तांत्रिक मठ विश्वविधालय के सबसे उपरी मंजिल पर अस्थायी रुप से रह रहे है।
हालांकि करमापा को भारत में राजनीतिक शरण दी गई , लेकिन अत्यंत सम्मानित बौद्ध नेता पर शुरु से ही लगातार खुफिया एजेंसिया की नजर रहती है और उनके अस्थायी ठिकाने पर चौबीसों घंटे पुलिस मौजूद रहती है।

करमापा लामा के बारे में आई खबरों के बारे में सुनकर निर्वासित तिब्बती समुदाय और बौद्ध संप्रदाय के लोग क्षुब्ध है और उनका कहना है कि उनके धार्मिक गुरु के बारे में इस तरह की मीडिया अटकलबाजी कि वे एक चीनी जासूस है, पूरी तरह से हास्यास्प्रद और बेवजह सनसनी पैदा करने की कोशिश है।

स्थानीय मठ के एक भिक्षु थुपतेन सेरिंग ने कहा , हम तिब्बती गददार नही है, जैसा कि कुछ टीवी चैनल हमारी छवि बनाने की कोशिश कर रहे है। हम अपने धार्मिक नेताओं के प्रति गहरी श्रद्धा रखते है जिसने हमने सदगुण सीखे है, पाप नहीं । अभी जांच चल ही रही है और इस बीच हमारे नेता को चीनी जासूस और गददार साबित करने की कोशिश जिम्मेदार पत्रकारिता नहीं है। शनिवार को ही एक संवाददाता सम्मेलन में निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष श्री पेनपा सेंरिंग ने कहा कि करमापा लामा के चीन सरकार से जुडे होने की मीडिया अटकलों का कोई आधार नहीं है । उन्होंने कहा कि तिब्बती संसद और कशग ,दोनों इस मामले की सचाई को सामने लाने में पूरा सहयोग कर रहे है।

खबरों के अनुसार हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक डी .एस .मनहास ने कहा है, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसिया इस जांच में शामिल है क्योंकि इस बात की जांच जरुरी है िक इसती मुद्रा कहां से आई और मठ में इतनी भारी राशि रखने में किन नियमों का उल्लंघन किया गया।

दूसरी तरफ देरहादून से बुलाए गए करमापा के सचिव गोम्पो सेरिंग के आवास पर भी शनिवार को छापा डाला गया । खबरों में दावा किया गया है कि सेरिंग के आवास से भी 4 लाख रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा बरामद की गई । खबरों के अनुसार इन एजेंसियों ने इसके पहले गुरुवार को एक स्थानीय कारोबारी के. पी . भारद्वाज के यहां छापा डालकर उनसे एक करोड रुपए बरामद किए है। दावा किया जा रहा है कि यह रकम करमापा ट्रस्ट द्वारा यहां जमीन खरीदने के लिए भुगतान की गई थी ।


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