
टोक्यो। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की शिक्षा मंत्री थरलम डोल्मा चांगरा ने चिबा प्रिफेक्चर स्थित दो जापानी विश्वविद्यालयों का दौरा किया और सामान्य रूप से तिब्बती शिक्षा प्रणाली और विशेष रूप से सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक (एसईई) शिक्षण के बारे में छात्रों और संकाय सदस्यों के बीच अपना व्याख्यान दिया।
रीताकू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष मोटोका हिरोइके और कर्मचारियों ने शिक्षा कालोन थरलम डोल्मा चांगरा, प्रतिनिधि डॉ. शावांग ग्यालपो आर्य और सचिव ताशी यांगज़ोम का विश्वविद्यालय में स्वागत किया और अगवानी की। कालोन ने भी उनका अभिवादन किया और उन्हें तिब्बती खटक (स्कार्फ) भेंट किए। साथ ही कालोन ने उन्हें आमंत्रित करने और छात्रों को संबोधित करने का अवसर देने के लिए अध्यक्ष और विश्वविद्यालय को धन्यवाद दिया।
दोपहर में कालोन थरलम डोल्मा चांगरा ने चिबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (सीआईटी) का दौरा किया। चेयरमैन सेतोकुमा ओसामू और बोर्ड के सदस्यों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों ने कालोन और उनके साथ पधारे गणमान्य हस्तियों का चेयरमैन के कार्यालय में स्वागत किया। कलोन ने तिब्बती सफेद स्कार्फ भेंट किए और तिब्बती छात्रों को शिक्षित करने में उनके बहुमूल्य और निरंतर सहायता के लिए चेयरमैन और विश्वविद्यालय को धन्यवाद दिया।
विश्वविद्यालयों में दो अलग-अलग व्याख्यानों में कालोन ने तिब्बती शिक्षा प्रणाली पर बात की और उन्हें एसईई सीखने की अवधारणा और विकास और दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए इसके महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘आधुनिक समय में शिक्षा के उद्देश्य और लक्ष्य बदल गए हैं। यह प्राचीन काल की तरह के नहीं रहे हैं। परम पावन महान १४वें दलाई लामा का दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा का विस्तार करुणा, सहिष्णुता और दया जैसे मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए, ताकि सभी संवेदनशील प्राणी शांति और सद्भाव से रह सकें। १९५९ में तिब्बत पर चीनी आक्रमण के बाद भारत की शरण में आने के तुरंत बाद परम पावन ने अपना विजन स्पष्ट कर दिया था। उनमें अच्छी आधुनिक और पारंपरिक शिक्षा प्रदान करना, मानवीय मूल्यों को शामिल करना, हमारी समृद्ध संस्कृति, परंपरा, भाषा, धर्म और विरासत को संरक्षित करना शामिल है।’
धर्मनिरपेक्ष नैतिकता और एसईई लर्निंग पर बोलते हुए कालोन ने कहा, ‘धर्मनिरपेक्ष नैतिकता और एसईई शिक्षण- दोनों का उद्देश्य स्वयं की, दूसरों की और सभी की भलाई के लिए ‘३ एच’ यानी (हेड, हार्ट एंड हैंड) सिर, दिल और हाथ को शिक्षित करना है। विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी से पता चलता है कि जहां भी एसईई शिक्षण प्रणाली को लागू किया गया है, वहां के छात्रों के व्यवहार में बहुत बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।’
संकाय सदस्यों और छात्रों ने एसईई लर्निंग पर कालोन की बात की बहुत प्रशंसा की और इसके बारे में और अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की। छात्रों ने पूछा कि वयस्क समाज में एसईई लर्निंग कैसे लागू की जा सकती है और एसईई लर्निंग में देशभक्ति की भूमिका क्या है। कालोन ने एमोरी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एसईई लर्निंग पर सामग्री और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के शिक्षा विभाग की शिक्षा नीति का दस्तावेज विश्वविद्यालयों को दिया।
रीताकु विश्वविद्यालय के प्रो. होरियुची ने तिब्बती शिक्षा प्रणाली और एसईई लर्निंग के उद्देश्य पर अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए कालोन को धन्यवाद दिया। उन्होंने मास्टर चिकुरो हिरोइके के मॉर्फोलॉजी शिक्षण और एसईई लर्निंग के बीच समानता होने की बात कहीं।
दोनों अध्यक्षों- सेटोकुमा हिरोइके और मोटोका हिरोइके ने एसईई लर्निंग की अवधारणा की प्रशंसा की। उन्होंने सभी संवेदनशील प्राणियों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने और चलाने के लिए परम पावन दलाई लामा के प्रयासों की बहुत बहुत प्रशंसा की। उन्होंने हिंसा और घृणा से मुक्त एक दयालु दुनिया बनाने के उनके प्रयासों में परम पावन दलाई लामा और सीटीए को अपना समर्थन देने का वादा किया।
विश्वविद्यालय में तिब्बती छात्रों ने कालोन के साथ बैठक की और अपनी सतत शिक्षा और योजनाओं के बारे में जानकारी दी। बैठक के दौरान कालोन ने तिब्बती मुद्दे के महत्व पर जोर दिया और उन्हें एक समृद्ध तिब्बती समुदाय के निर्माण और विकास में योगदान देने के लिए अपने अध्ययन और ज्ञान को समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित किया।






