
धर्मशाला। धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के नेतृवर्ग और यहां के तिब्बती निवासियों ने आज ०२ सितंबर को सुगलाग्खांग में तिब्बती लोकतंत्र दिवस की ६४वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर एस्टोनियाई संसद में तिब्बत समर्थक समूह के अध्यक्ष माननीय सांसद जुकु-काले रैड के नेतृत्व में वहां के संसदीय प्रतिनिधिमंडल की गरिमामयी उपस्थिति रही।
एस्टोनिया के संसदीय प्रतिनिधिमंडल को इस वर्ष के तिब्बती लोकतंत्र दिवस समारोह में सीटीए द्वारा विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल में एस्टोनियाई संसद की विदेश मामलों की समिति के सदस्य सांसद जुकु-काले रैड, एस्टोनियाई संसद की सामाजिक मामलों की समिति के सदस्य सांसद कारमेन जोलर और एस्टोनियाई संसद की विदेश मामलों की समिति के सदस्य सांसद एस्टर करुसे शामिल थे। इनके साथ एस्टोनियाई संसद में तिब्बत समर्थक समूह के समन्वयक रॉय स्ट्राइडर भी शामिल हुए।
निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेन्पो सोनम तेनफेल, सिक्योंग पेन्पा शेरिंग, डिप्टी स्पीकर डोल्मा शेरिंग तेखांग, न्याय आयुक्त तेनजिन लुंगटोक, सुरक्षा विभाग की कालोन (मंत्री) डोल्मा ग्यारी, सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग की कालोन नोरज़िन डोल्मा, लोक सेवा आयुक्त कर्मा येशी, महालेखा परीक्षक लखपा ग्यालत्सेन, निर्वासित तिब्बती संसद की स्थायी समिति के सदस्य, सीटीए के विभागों और कार्यालयों के सचिव, परम पावन दलाई लामा के कार्यालय के सचिव, विभिन्न तिब्बती नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि, धर्मशाला स्थित तिब्बती स्कूलों के छात्र और धर्मशाला के तिब्बती निवासी इस समारोह में शामिल हुए।
एस्टोनियाई मेहमानों के आयोजन स्थल पर पहुंचने के बाद कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ हुई। इसके बाद सिक्योंग पेन्पा शेरिंग और स्पीकर खेन्पो सोनम तेनफेल ने क्रमशः काशाग और निर्वासित तिब्बती संसद के बयान पढ़े, जिसमें दुनिया भर में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने और निर्वासन में तिब्बती लोकतांत्रिक राजनीति के विकास के लिए परम पावन दलाई लामा की महान प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया। इन बयानों में तिब्बत के अंदर चल रहे चीनी सरकार के दमन को भी उठाया गया। इनमें दमन की अन्य घटनाओं के अलावा हाल ही में गोलोग में ‘जिग्मे ग्यालत्सेन नेशनलिटीज वोकेशनल हाईस्कूल’ को बंद करना और सैकड़ों भिक्षुओं और भिक्षुणियों को जबरन उनके चीवर-वेष उतरवा लेना शामिल है। बयानों में अमेरिकी संसद द्वारा पारित रिज़ॉल्व तिब्बत ऐक्ट और कनाडाई संसद में तिब्बती लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करने वाले प्रस्तावों के पारित होने की सराहना की गई।
प्रतिनिधिमंडल के प्रत्येक सदस्य ने सभा को संबोधित किया। अपने भाषणों में सबने तिब्बती स्वतंत्रता संघर्ष के प्रति अपने निरंतर समर्थन और एकजुटता का आश्वासन दिया और चीन द्वारा तिब्बतियों और तिब्बती पहचान के साथ लगातार किए जा रहे दुर्व्यवहार की निंदा की।

अपने मुख्य भाषण में एस्टोनियाई प्रतिनिधिमंडल के नेता सांसद जुकु-काले रैड ने लोकतंत्र और तानाशाही के बीच स्पष्ट अंतर करने पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि यदि आप लोकतंत्र के उपयोग के तरीकों को अच्छी तरह से समझते हैं तो यह आपके लिए अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने आगे बताया कि हालांकि लोकतंत्र एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसका दुरुपयोग गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि यदि लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठीक से नहीं संभाला गया तो यह आपको ‘मार सकता है’ और इससे अधिनायकवाद का फिर से उदय हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे एक ऐसा चक्र चलेगा जहां लोगों को अपनी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने के लिए निरंतर संघर्ष करना होगा। उन्होंने ६४वें तिब्बती लोकतंत्र दिवस के लिए एस्टोनियाई संसद के अध्यक्ष का संदेश भी वहां पर प्रसारित किया।
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ने एस्टोनियाई और तिब्बतियों की दुर्दशा के बीच उल्लेखनीय समानताओं के बारे में बात की। दोनों ही देशों के नागरिकों को दमनकारी कम्युनिस्ट शासन के तहत कष्ट सहना पड़ा है। उन्होंने अपने निजी आख्यान साझा किए, जिसमें बताया कि कैसे एस्टोनियाई लोगों को रूसी सीखने और बोलने के लिए मजबूर किया गया। ठीक उसी तरह, जिस तरह से चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने तिब्बती संस्कृति को पूरी तरह से चीनीकरण करने के प्रयास में तिब्बतियों पर मंदारिन सीखने की अनिवार्यता को थोप दिया।
स्मरणोत्सव के आधिकारिक रूप से समापन से पहले धर्मशाला के विभिन्न तिब्बती स्कूलों के छात्रों ने उपस्थित लोगों के मनोरंजन में पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए।





