खानाबदोशों ने चीनी सरकार से शिकायत की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ
rfa.org / संग्याल कुंचोक
दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रो-सोलर प्लांट के पास रहने वाले निवासियों ने रेडियो फ्री एशिया को बताया कि चीनी सरकार ने प्लांट के निर्माण से प्रभावित तिब्बती खानाबदोशों सहित सभी निवासियों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया है।
चीनी सरकारी मीडिया ने सोमवार को बताया कि केला मेगा हाइड्रो-फोटोवोल्टिक पूरक बिजली स्टेशन ने रविवार को पूरी तरह से परिचालन शुरू कर दिया। यह एक ऐसा विशाल सौर संयंत्र है, जो १६० लाखन वर्ग मीटर या २००० से अधिक फुटबॉल मैदानों को कवर करता है। इसमें एक जलविद्युत इकाई है जो बदलते मौसम की स्थिति में ऊर्जा आपूर्ति को स्थिर बनाए रखने में मदद करती है।
यह हर साल २० लाख किलोवाट-घंटे की बिजली पैदा करने में सक्षम है और केवल एक घंटे में ५५० किलोमीटर (३४० मील) की रेंज वाले १५,००० इलेक्ट्रिक वाहनों को पूरी तरह से चार्ज कर सकता है। लेकिन केला के पास रहने वाले एक तिब्बती निवासी ने आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि खानाबदोश तिब्बती, जो अब सौर पैनलों के महासागर से घिरे क्षेत्र में अपने मवेशियों को चराते थे, उन्हें जबरन हटा दिया गया और बदले में कुछ भी नहीं दिया गया।
एक दूसरी जलविद्युत परियोजना का जिक्र करते हुए निवासी ने कहा, ‘चीनी सरकार ने २४ जून से कार्दज़े (चीनी भाषा में गैंज़ी) के न्याचू काउंटी में जलविद्युत बांधों के साथ-साथ सबसे बड़े सौर ऊर्जा स्टेशन का संचालन शुरू कर दिया है।‘‘इन बिजली संयंत्रों के निर्माण और सुविधा के लिए चीनी सरकार ने इन क्षेत्रों में भूमि हड़पने के लिए यहां के स्थानीय तिब्बतियों को विस्थापित कर दिया और अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया है।‘निवासी ने कहा कि परियोजना शुरू होने से पहले विस्थापित तिब्बतियों को कभी सूचित नहीं किया गया।
व्यक्ति ने कहा, ‘इसके बजाय इन बिजली संयंत्रों के पास पुलिस तैनात कर दी गई और स्थानीय लोगों को उनके पास जाने की अनुमति नहीं थी। हालांकि अधिकारियों ने स्थानीय तिब्बतियों को बताया कि ये बिजली संयंत्र पशुधन और उनके चरागाहों के लिए फायदेमंद होंगे, लेकिन अब तिब्बती खानाबदोशों को विस्थापित किया जा रहा है और अन्य स्थानों पर धकेला जा रहा है।‘
एक अन्य तिब्बती निवासी ने कहा कि खानाबदोशों ने चीनी सरकार के पास शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दूसरे व्यक्ति ने कहा, ‘इस साल अप्रैल में स्थानीय तिब्बतियों ने चीनी अधिकारियों से इन परियोजनाओं को रोकने की गुहार लगाई थी। हालांकि यह बहुत स्पष्ट है कि विस्थापन और पुनर्वास का कोई विरोध संभव नहीं है और स्थानीय तिब्बतियों के पास सरकार के आदेशों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ‘सैन फ्रांसिस्को स्थित तिब्बत इंटरनेशनल नेटवर्क में पर्यावरण के बारे में शोध करने वाली लोबसांग यांग्छो ने कहा कि बिजली संयंत्र तिब्बत के नाजुक पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन की नीतियां और तिब्बत में बुनियादी ढांचे का विस्तार भूकंप, बाढ़ और पारिस्थितिकी तंत्र को विभिन्न प्रकार की अपरिवर्तनीय क्षति का कारण है।‘

Tibetan nomads wait for tourists to ride their horses at Namtso Lake in Tibet Autonomous Region July 6, 2006. Namtso Lake, which means sacred or heaven lake in Tibetan, is 4,718 metres (15,479 feet) above sea level and is the second largest salt-water lake in China next to Qinghai Lake. REUTERS/Claro Cortes IV (CHINA)