
टोक्यो। परम पावन दलाई लामा के जापान और पूर्वी एशिया स्थित संपर्क कार्यालय ने ०७ मई २०२४ को टोक्यो में जापानी संसद के निचले सदन के इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस हॉल में जापानी सांसदों के लिए तिब्बत कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में तिब्बत समर्थकों और मीडिया के लोगों ने भी भाग लिया। कार्यशाला का विषय था ‘तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन और धार्मिक अत्याचार’।
लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य इशिबाशी रिंटारो ने कार्यक्रम का संचालन किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने सांसदों को पंचेन लामा मुद्दे पर जानकारी दी और बताया कि कैसे लगभग तीन दशक बाद भी उनका कोई अता-पता नहीं है।
परम पावन दलाई लामा के जापान और पूर्वी एशिया स्थित संपर्क कार्यालय के प्रतिनिधि डॉ. शावांग ग्याल्पो आर्य ने कार्यशाला में भाग लेने के लिए सांसदों, तिब्बत समर्थकों और मीडिया के सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने ज़ीकग्याब रिनपोछे का परिचय दिया और बताया कि कैसे तिब्बत में स्थिति खराब हो गई है और कैसे सीसीपी औपनिवेशिक प्रणाली के बोर्डिंग स्कूलों के माध्यम से तिब्बती पहचान और धार्मिक संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। तिब्बत में पुनर्जन्म लेने वाले सर्वोच्च लामाओं के चयन सहित अन्य धार्मिक मामलों में चीनी हस्तक्षेप जारी है।
दक्षिण भारत में ताशी ल्हुनपो मठ के मुख्य महंत ज़ीकग्याब रिनपोछे ने असली पंचेन लामा के गायब होने और तिब्बती धार्मिक मामलों में जारी चीनी हस्तक्षेप को लेकर अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा, ‘मैं तिब्बत की भयावह स्थिति के संदर्भ में यह हार्दिक अपील करता हूं। तिब्बती लोगों, उनके आंदोलन और उनकी स्वतंत्रता पर गंभीर उत्पीड़न और अमानवीय प्रतिबंध लगातार बदतर होते जा रहे हैं। तिब्बत के लोग चुपचाप पीड़ा को सह रहे हैं। आज मैं ११वें पंचेन लामा की तत्काल रिहाई और तिब्बती लोगों की मातृभूमि तिब्बत में लंबे समय से हो रही दुर्दशा को दूर करने में आपकी मदद के लिए है आपसे सर्बप्रथम अपील करता हूं।’
तिब्बत के प्रति सीसीपी की दमनकारी और औपनिवेशिक नीति पर बोलते हुए उन्होंने सांसदों और समर्थकों से तीन बिंदुओं पर अपील की-
१. जापानी संसद के सदस्य चीनी सरकार पर ११वें पंचेन लामा को तुरंत रिहा करने और उनके ठिकाने की घोषणा करने के लिए हरसंभव प्रयास करें और दबाव डालें।
२. तिब्बती धार्मिक मामलों में चीन के मानवाधिकारों के उल्लंघन और हस्तक्षेप की निंदा करने वाला प्रस्ताव पारित करें, जिसमें परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म के चयन के मामले में चीनी हस्तक्षेप भी शामिल हो।
३. तिब्बत को शांति का क्षेत्र बनाने और बातचीत में मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के माध्यम से तिब्बत मुद्दे के समाधान में परम पावन दलाई लामा के दृष्टिकोण का समर्थन करें। लेखक विद्वान मिउरा जुन्को ने रिनपोछे के भाषण का अनुवाद किया।
चीन के मानवाधिकार उल्लंघन पर नजर रखने वाले जापानी सांसदों के समूह के अध्यक्ष कानूनविद फुरुया केइजी ने रिनपोछे को उनके बयान के लिए धन्यवाद दिया और तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता बहाली के अभियानों को पूर्ण समर्थन देने का वादा किया। उन्होंने कानूनविदों से तीन बिंदुओं का अध्ययन करने और एक बयान जारी करने का आह्वान किया, जिसमें चीन से परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म के चयन में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया गया हो।
जापान पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत के अध्यक्ष शिमोमुरा हकुबुन ने सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सद्भाव लाने में बौद्ध धर्म के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने जापानी संसद द्वारा तिब्बत और अन्य कब्जे वाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए चीन की निंदा करते हुए २०२२ में पारित प्रस्ताव की चर्चा की। उन्होंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के दो सिक्योंग की जापान यात्रा और सांसदों के साथ उनकी बातचीत को याद किया।
श्रोताओं में मौजूद कानूनविदों ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति, वहां की सूचनाओं और वहां के समाचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने को लेकर में सवाल पूछे। ज़ीकग्याब रिनपोछे और डॉ. आर्य ने सांसद के सवाल का जवाब दिया और श्रोताओं को औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों, लारुंग गार और याचेन गार जैसे विश्व विख्यात बौद्ध मठों की स्थिति, ड्रैगो में बुद्ध की मूर्ति और प्रार्थना चक्रों के विनाश, १५८ तिब्बतियों के आत्मदाह और हाल में बांध निर्माण के लिए तिब्बतियों के जबरन विस्थापन के बारे में जानकारी दी।
कैबिनेट मामलों और डिजिटल मंत्रालय के उप मंत्री और ‘जापान पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत’ के महासचिव सांसद इशिकावा अकिमासा ने ताशी ल्हुनपो मठ को लेकर चर्चा की। इस मठ के बारे में उन्होंने जापानी स्रोतों से पढ़ा कि कैसे मठ और पंचेन लामाओं ने तिब्बती धार्मिक संस्कृति की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।



