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टोक्यो। जापान के तिब्बत समर्थक समूह के सदस्यों ने १३ फरवरी को पांच सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया, जिसमें अन्य बातों के अलावा चीन को तिब्बती धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी गई है। इसमें सर्वोच्च तिब्बती लामाओं, विशेष रूप से १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म का चयन शामिल है। प्रस्ताव में चीनी आवासीय स्कूलों में तिब्बती बच्चों को जबरन शिक्षा देने की नीति को तत्काल वापस लेने का भी आह्वान किया गया है।
‘सेव तिब्बत नेटवर्क’ और जापान में तिब्बती समुदाय ने १३ फरवरी को ही संयुक्त रूप से ऑनलाइन समर्थक समूह की वार्षिक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में १० प्रमुख समर्थक समूहों और २८ लोगों ने भाग लिया। इसमें अतिथि के तौर पर जापान के राष्ट्रीय और स्थानीय वकीलों और तिब्बत हाउस के प्रतिनिधि एवं कर्मचारियों ने भी भाग लिया।
पूर्व संसद सदस्य और ‘सेव तिब्बत नेटवर्क’ के अध्यक्ष माकिनो सेशु ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और जापान में तिब्बत समर्थक नेटवर्क और स्वतंत्रता और न्याय के लिए तिब्बती संघर्ष के साथ अपने सहयोग की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके अलावा, उन्होंने परम पावन दलाई लामा के साथ अपनी बैठकों के बारे में बताया। उन्होंने आगे यह भी बताया कि कैसे सभी सदस्यों को काम करना चाहिए और परम पावन द्वारा बताए गए अहिंसक मार्ग का पालन करना चाहिए।
प्रतिनिधि डॉ. आर्य छेवांग ग्याल्पो ने आयोजकों, सांसदों और प्रतिभागियों को तिब्बत मुद्दे में उनकी रुचि और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कार्यालय की गतिविधियों पर बात की और उन्हें तिब्बत में हो रही सांस्कृतिक क्रांति के दिनों जैसे अत्याचारों और धार्मिक प्रतीकों के अपमान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वकीलों और सदस्यों से तिब्बत में होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन, धार्मिक उत्पीड़न और तिब्बती पहचान के उन्मूलन पर अधिक मुखर होने की अपील की। जापान के संसदीय तिब्बत समर्थक समूह के वर्तमान महासचिव इशिकावा अकिमासा और पूर्व महासचिव नागाओ ताकाशी ने क्रूर कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष के रूप में तिब्बत मुद्दे के महत्व पर बात की। उन्होंने अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया और जापानी जनता को तिब्बत मुद्दे के बारे में शिक्षित करने में समर्थक समूह के सदस्यों के सहयोग का अनुरोध किया।
तिब्बत समर्थक समूहों के प्रतिनिधियों ने समूहों की गतिविधियों के बारे में बात की और तिब्बती पहचान, धर्म और संस्कृति को मिटाने की चीनी नीति की निंदा की। उन्होंने चीन द्वारा धार्मिक मूर्तियों, प्रार्थना चक्रों और झंडों को नष्ट करने के कुकृत्यों के बाद लामाओं के अवतार के चयन पर अधिकार का दावा करने के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के सचिव कर्मा चोयिंग ने आयोजकों को उन्हें आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया और तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने के लिए सदस्यों के प्रति आभार प्रकट किया।
तिब्बत के लिए स्थानीय संसदीय समर्थक समूह के अध्यक्ष तागुची योशिनोरी और उपाध्यक्ष अरिसावा युमा ने तिब्बत मुद्दे के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए समर्थन समूह के सदस्यों को अपना समर्थन दिया और उनके साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की।
अंत में सदस्यों ने पांच सूत्रीय प्रस्ताव पारित करने का संकल्प लिया। ये संकल्प इस प्रकार हैं:-
हम जापान के तिब्बत समर्थक समूहों के प्रतिनिधि और सदस्य १२ फरवरी, २०२३ को संकल्प लेते हैं और मांग करते हैं कि :-
१. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नेतृत्व को तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना चाहिए और तिब्बतियों को अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करने देना चाहिए।
२. सीसीपी नेतृत्व को कम्युनिस्ट माहौल वाले आवासीय स्कूलों में तिब्बती बच्चों को जबरन शिक्षा देना बंद करना चाहिए।
३. सीसीपी नेतृत्व को अल्पसंख्यक अधिकार कानून लागू करना चाहिए, जहां अल्पसंख्यक नागरिकों को अपनी भाषा का उपयोग करने और उसे संरक्षित करने की पूर्ण स्वतंत्रता दी जाती है।
४. नास्तिक सीसीपी नेतृत्व को तिब्बती धार्मिक मामलों में दखल देने से बचना चाहिए और दलाई लामा के पुनर्जन्म का चयन करने के अधिकार का दावा करना बंद कर देना चाहिए।
५. हम जापान के तिब्बत समर्थक समूहों के प्रतिनिधि और सदस्य सीसीपी नेतृत्व द्वारा नियुक्त किसी लामा या दलाई लामा को कभी स्वीकार नहीं करेंगे और उनका विरोध करेंगे।