प्रो0 श्यामनाथ मिश्र
पत्रकार एवं तिब्बत देश पत्रिका का संपादक

तिब्बती नववर्ष लोसर की हार्दिक शुभकामनायें। विश्वभर में तिब्बती समुदाय एवं तिब्बत समर्थक प्रतिवर्ष लोसर बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह उत्सव 1959 के बाद भी मनाया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि 1959 में चीन सरकार ने स्वतंत्र तिब्बत देश पर अवैध कब्जा कर लिया था। इस घटना के साठ बरस बाद भी तिब्बती समुदाय अपना लोसर पूरे उत्साह से मना रहा है। छोटे-छोटे बच्चे भी इसमें शामिल होते हैं। सब भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं तथा अन्य धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लेकिन इस अवसर पर भी उन्हें चीनी कब्जे की याद सताती है। उनकी हार्दिक इच्छा है कि वे लोसर तिब्बत की राजधानी ल्हासा में आयोजित करें। हमारी शुभकामना है कि तिब्बती समुदाय अगला नववर्ष ल्हासा में आयोजित करे।
साम्राज्यवादी चीन के नियंत्रण में तिब्बतियों के लिए अपने परंपरागत, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक पर्व मनाना बहुत मुश्किल है। वे बौद्ध मंदिरों एवं मठों में पूजा नहीं कर सकते। परमपावन दलाई लामा की तस्वीरें नहीं रख सकते। अनेक महत्वपूर्ण बौद्ध मंदिर एवं संस्थान चीन सरकार ने नष्ट कर दिये हैं। यह सिलसिला अब भी जारी है। यही कारण है कि तिब्बत में रहते हुए भी तिब्बती अपनी संस्कृति, इतिहास एवं विरासत का विनाश देखने को बाध्य हैं। उन्हें बस एक ही उम्मीद है कि परमपावन दलाई लामा जरूर ल्हासा लौटेंगे। वे बौद्ध दर्शन के अनुरूप दलाई लामा को अवलोकितेश्वर का अवतार तथा ज्ञान का सागर मानते हैं।
संयुक्त राष्ट्र, विशेषकर भारत को चाहिये कि तिब्बत समस्या के शीघ्र समाधान हेतु चीन सरकार पर दबाव बढ़ाये। दलाई लामा अपने सारे राजनैतिक अधिकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई निर्वासित तिब्बत सरकार को सौंप चुके हैं। वे स्वयं को सिर्फ आध्यात्मिक कार्यों तक सीमित कर चुके हैं। इसके बावजूद तिब्बती आंदोलन आज भी उन्हीं की प्रेरणा, प्रोत्साहन और आशीर्वाद से शांतिपूर्वक चल रहा है। इसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है। बेहतर होगा कि उनके जीवनकाल में ही तिब्बत के सवाल को शांतिपूर्ण एवं अहिंसक तरीके से हल कर लिया जाये। वे जुलाई 2019 में अपनी उम्र के 84वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। उनकी उम्र को देखते हुए समस्या का शीघ्र समाधान विश्वशांति के लिए भी जरूरी है। भविष्य में तिब्बती संघर्ष शांतिपूर्ण एवं अहिंसक ही रहेगा, ऐसी भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
विश्वजनमत तिब्ब्ती आंदोलन के पक्ष में है। इसी फरवरी, 2019 में हिमाचल प्रदेश की धर्मशाला स्थित दलाईलामा के कार्यालय में उनसे मिलने के लिए विभिन्न देशों के तिब्बत समर्थक आये। उन्होंने दलाई लामा जी के दर्शन किये। उनके आध्यात्मिक विचार जाने। उन्होंने तिब्बत में जारी मानवाधिकार हनन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए तिब्बती संघर्ष में भरपूर सहयोग एवं समर्थन का अपना निश्चय प्रकट किया। उनका मत है कि चीन सरकार की विनाशकारी नीति के कारण तिब्बत सहित विश्व के अनेक देशों, विशेषकर तिब्बत के पड़ोसी देशों को काफी नुकसान हो रहा है। तिब्बत के कई ग्लेसियर सूखने और सिकुड़ने लगे हैं। तिब्बत को विश्व का तीसरा ध्रुव कहा जाता है, क्योंकि यहाँ ग्लेसियर ज्यादा हैं। यहाँ के ग्लेसियर नष्ट होने से कई देशों में जल संकट गहराने लगा है। वहाँ की जैव विविधता नष्ट हो रही है। वहाँ की कई नदियों पर चीन सरकार ने बड़े-बड़े बांध बना लिये हैं और कई नदियों की दिशा मोड़ दी है। परिणामतः कई देश भयंकर बाढ़ एवं सूखे की चपेट में आने लगे हैं। भारत भी बुरी तरह प्रभावित देशों में शामिल है।
निर्वासित तिब्बत सरकार के सिक्योंग डॉ. लोबजंग संग्ये बताते हैं कि चीन की तिब्बत नीति से पूरे विश्व के पर्यावरण को खतरा है। तिब्बत में प्राकृतिक संसाधनों का विनाश अन्य पड़ोसी देशों के विनाश का भी कारण बनेगा। तिब्बत के विकास के नाम पर चीन सरकार अपने विस्तारवादी एजेंडे को लागू कर रही है। तिब्बत का चीनीकरण हो रहा है। वहाँ शासन-प्रशासन, व्यवस्था, उद्योग तथा व्यापार पर सिर्फ चीनी लोगों का नियंत्रण है। तिब्बती अपने ही देश में गुलाम बना दिये गये हैं। उनकी भाषा, संस्कृति तथा शिक्षा को विकृत किया जा रहा है। तिब्बत प्राचीनकाल से शांति, अहिंसा, करूणा एवं सद्भाव का प्रचारक रहा है। इन मूल्यों को मजबूत करने के लिये चीन सरकार की क्रूरतापूर्ण तिब्बत नीति का व्यापक विरोध जरूरी है।
विश्व समुदाय की तिब्बत संबंधी चिंता अमरीका में भी देखने को मिली। फरवरी, 2019 में वहाँ ‘‘थैंक यू अमेरिका’’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ। ज्ञातत्व है कि वर्ष 2018-19 को तिब्बती प्रशासन ‘‘धन्यवाद वर्ष’’ के रूप में मना रहा है। विश्व के कई देशों में स्थानीय लोगों के सहयोग एवं समर्थन से संघर्ष जारी है। इसीलिये तिब्बती स्थानीय लोगों को धन्यवाद दे रहे हैं। अमरीका के कार्यक्रम में अमरीकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने तिब्बत की आंतरिक स्थिति को बहुत ही चिंताजनक बताते हुए अपील की कि हम चीन की दमनकारी तिब्बत नीति के बारे में लोगों को ज्यादा जागरूक करें। अमरीकी जनता तिब्बतियों के संघर्ष में सदैव साथ देती रहेगी। नैंसी पेलोसी की अपील एवं आश्वासन से भी स्पष्ट है कि तिब्बत एक वैश्विक समस्या है तथा विश्वजनमत तिब्बती आंदोलनकारियों के साथ है।