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तिब्बती लोकतंत्र दिवस की 62वीं वर्षगांठ के महत्वपूर्ण अवसर पर कशाग तिब्बत के भीतर और बाहर रहने वाले तिब्बती भाइयों- बहनों के साथ ही तिब्बत मुद्दे के न्यायोचित मांग का समर्थन करने वाले मित्रों को बधाई देता है।
पिछले 60 वर्षों में तिब्बत मुद्दे को आगे बढ़ाने और सफल निर्वासित तिब्बती समुदाय के तौर पर खुद को स्थापित करने के प्रति प्रतिबद्धता और लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन और इसे विकिसत करने की क्षमता हमारी उल्लेखनीय उपलब्धि और आधारशिला रही है। निर्वासन में रहते हुए हमारे आंदोलन की ताकत और प्रेरक शक्ति यही लोकतांत्रिक व्यवस्था ही रही है। जब हम तिब्बत में रहने वाले अपने तिब्बती भाइयों से फिर से मिलेंगे तो यह उनके लिए हमारा सबसे कीमती उपहार भी होगा।
पिछले साल तिब्बती लोकतंत्र दिवस पर अपने बयान में कशाग ने स्पष्ट किया था कि कैसे परम पावन दलाई लामा ने तिब्बती लोगों को लोकतंत्र के पथ पर अग्रसर किया। इस बार कशाग निर्वासित तिब्बतियों के बीच लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत कशाग और न्यायपालिका के विकास के बारे में जानकारी देगा।
कशाग की स्थापना सातवें दलाई लामा केलसांग ग्यात्सो द्वारा की गई थी। उन्होंने 1751 में तिब्बत का आध्यात्मिक और राजनीतिक नेतृत्व ग्रहण किया था। उस समय कशाग में तीन आम तिब्बती और एक भिक्षु मंत्री होते थे। इसकी संरचना में बाद के समय में क्रमिक परिवर्तन हुए हैं। हालांकि, तिब्बती सरकार की वैधता की निर्बाध निरंतरता का प्रतीक पहले राजा न्यात्री त्सेनपो से गादेन फोडंग तक कशाग की आधिकारिक मुहर- कथम शिशु डिकी- का हस्तांतरण होता था। इस परंपरा की शुरुआत तत्कालीन सातवें दलाई लामा द्वारा शुरू की गई थी। लेकिन, कशाग के परिवर्तन के दौरान मुहर सौंपने की वह परंपरा अब भी जारी है।
भारत में निर्वासन में आने के बाद 18 अप्रैल 1959 को तेजपुर में परम पावन दलाई लामा ने एक बार फिर 17 सूत्री समझौते के खंडन की घोषणा की। 25 अप्रैल 1959 को मसूरी में कालोन और सरकारी अधिकारियों के साथ एक बैठक में परम पावन दलाई लामा ने आधुनिक व्यवस्था के अनुरूप तिब्बती सरकार की स्थापना पर विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया था और इसके अनुरूप काम करने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। 29 अप्रैल 1959 को परम पावन दलाई लामा को इस विचार-विमर्श के निकले सुझावों से अवगत कराया गया और तदनुसार पहली बार एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री, चार मंत्रालयों और उनके मंत्रियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के साथ एक अंतरिम कशाग का गठन किया गया। 20 जून 1959 को परम पावन दलाई लामा ने प्रेस के साथ अपनी पहली मुलाकात में कहा था कि ‘मैं जहाँ भी रहता हूं, अपनी सरकार के साथ रहता हूं। तिब्बती लोग हमें तिब्बत की सरकार के रूप में पहचानते हैं।‘
परम पावन दलाई लामा द्वारा कालोनों और सचिवों को नामांकित करने की व्यवस्था को 02 सितंबर 1960 को बदलकर इसे तिब्बती पीपुल्स डेप्युटीज की सभा के अधीन कर दिया गया। इसके अलावा कालोन द्वारा सभी मामलों पर विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने की प्रणाली में सुधार किया गया था। अब महत्वपूर्ण मामलों को तय करने के लिए कैबिनेट परिषद का गठन किया गया था और कालोन को अपने संबंधित कार्यालयों के माध्यम से धर्म, गृह, विदेश संबंध, वित्त और शिक्षा के प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
कशाग की पुनर्स्थापना के बाद से लेकर 11 मई 1990 को सातवीं कशाग और 10वीं तिब्बती पीपुल्स डेप्युटी की सभा के विघटन तक कशाग की अवधि अलग-अलग समयावधि की रही। पहले कशाग प्रशासन का काल कुछ महीनों के लिए था वहीं दूसरा, तीसरा और पांचवां कशाग 3 साल तक चला और चौथा, छठा और सातवां कशाग छह साल तक प्रशासन में रहा। नियुक्त कालानों की संख्या पाँच से सात तक ही रही। हालांकि निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर में कशाग के लिए पांच साल की अवधि निर्धारित की गई, लेकिन आठवें, नौवें और दसवें कशाग का कार्यकाल क्रमशः 11 महीने, 17 महीने और 3 साल और 3 महीने ही रहा। पांच साल का कार्यकाल ग्यारहवें कशग से लागू हो सका।
जब निर्वासित तिब्बतियों का चार्टर प्रख्यापित हुआ तो इसमें परम पावन दलाई लामा की कार्यकारी शक्तियां और अधिकार एक परिषद को सौंपने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, कालोन त्रिपा का प्रत्यक्ष चुनाव 2001 में शुरू किया गया और पिछले दस वर्षों के अनुभव के बाद 2011 में परम पावन दलाई लामा ने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक शक्तियों को लोकप्रिय निर्वाचित नेतृत्व को सौंप दिया और रीजेंसी की परिषद को भी भंग कर दिया गया। इन सुधारों को शुरू किए 11 साल से अधिक समय बीत चुके है। कशाग 2001 से सिक्योंग की अध्यक्षता में एक कार्यकारी कार्यालय बन गया है, जिसे पहले कालोन ट्रिपा कहा जाता था।
चार्टर के लागू होने से पहले कालोन की नियुक्ति व्यक्तियों को नामांकित कर चयन प्रणाली के माध्यम से की जाती थी। जब चार्टर को अपनाया गया तो कालोन के लिए नामांकित व्यक्तियों के चयन करने और उनकी नियुक्ति- दोनों की शक्ति तिब्बती पीपुल्स डेप्युटी सभा में निहित कर दी गई। हालांकि, एक उम्मीदवार को कालोन बनने के लिए कम से कम 70% वोटों की आवश्यकता होती थी। लेकिन संसद आवश्यक सात में से केवल दो कालोन का ही चुनाव कर सकती थी। इस प्रावधान को 1993 में संशोधित किया गया। इसके तहत संसद को परम पावन दलाई लामा द्वारा नामांकित 14 उम्मीदवारों की सूची में से सात को कालोन के तौर पर चुनने का अधिकार था। 1996 में कालोन की संख्या बढ़ाकर आठ कर दी गई। 2000 में 11वें चार्टर संशोधन के तहत परम पावन दलाई लामा द्वारा नामांकित दो उम्मीदवारों में से संसद को एक कालोन त्रिपा चुनने का प्रावधान किया गया। यह कालोन त्रिपा संसद के साधारण बहुमत के माध्यम से अधिकतम सात कालोन नामित कर सकते थे। 12वीं तिब्बती संसद के 11वें सत्र को संबोधित करते हुए परम पावन ने सुझाव दिया कि कालोन त्रिपा को निर्वासित तिब्बती लोगों द्वारा सीधे चुना जाना चाहिए। तदनुसार, 2001 में चार्टर के 13वें संशोधन के द्वारा तिब्बती लोगों द्वारा कालोन त्रिपा के प्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया को लागू किया गया है। यह व्यवस्था वर्तमान में चल रही है।
हालांकि, एक निर्वासित समुदाय में न्यायिक तंत्र को लागू करना मुश्किल है, फिर भी निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर में निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप सर्वोच्च न्यायिक आयोग तिब्बतियों, निर्वासन में सार्वजनिक संस्थानों और तिब्बती प्रशासन के लिए सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण के तौर पर काम कर रहा है। सर्वोच्च न्यायिक आयोग मेजबान सरकार द्वारा नियंत्रित आपराधिक और संपत्ति विवादों से अलग है। इस आयोग के पास चार्टर की व्याख्या करने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए चार्टर के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून, कार्यकारी आदेशों और विनियमों को अमान्य करने, लोगों के मौलिक अधिकारों की निष्पक्ष रूप से रक्षा करके समान समाज की दिशा में काम करने की शक्तियां हैं। तिब्बती प्रशासन और निर्वासित लोगों की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों से संबंधित सेवा मामलों और लाभों से संबंधित विवादों को हल करने और तिब्बती लोगों की उनके अधिकारों और कर्तव्यों के लिए संबोधित करने के लिए न्याय आयोगों की स्थापना की गई है। चार्टर के 25वें संशोधन के बाद सर्वोच्च न्यायिक आयुक्त को लोकतंत्र के तीन स्तंभों और तीन स्वायत्त निकायों के प्रमुखों को पद की शपथ दिलाने की शक्ति प्राप्त हो गई है।
यद्यपि यह हमारे लिए श्न मनाने का क्षण है, लेकिन तिब्बत के कुछ क्षेत्र कोविड-19 के प्रकोप और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं। चीनी सरकार के कठोर रोग निवारक उपायों ने तिब्बतियों के सामान्य जीवन और आजीविका को प्रभावित किया है। हम तिब्बत में अपने तिब्बती भाइयों और बहनों से सामाजिक दूरी और निवारक उपायों का पालन करने की अपील करते हैं और भविष्यवाणी के अनुसार तारा मंत्र का भी पाठ करते हैं। जैसा कि पहले घोषित किया गया था, कशाग निर्वासित तिब्बतियों से तारा मंत्र का पाठ करने के लिए फिर से अपील करता है।
23 जून 2022 को अमेरिकी कांग्रेस ने पहली बार तिब्बत की ऐतिहासिक स्थिति पर विशेषज्ञों की सुनवाई का आयोजन किया। विशेषज्ञों ने चीनी दस्तावेजों और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर बताया कि चीनी सरकार का यह दावा सच नहीं है कि ‘तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है।
हम अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न और प्रतिनिधि माइकल मैककॉल को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने गत 13 जुलाई 2022 को ‘तिब्बत-चीन संघर्ष अधिनियम’ का प्रस्ताव पेश किया। यह न केवल केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की मध्य-मार्ग नीति के अनुरूप है, बल्कि बातचीत के माध्यम से चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के हमारे प्रयासों में भी मदद करता है। हम यूरोप में समान विचारधारा वाले देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास जारी रखेंगे।
निर्वासित तिब्बतियों का जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण 18 जुलाई 2022 को शुरू किया गया था। भारत, नेपाल और भूटान में जनगणना का संग्रह पूरा हो गया है। एक बार जब हमें विदेशों से सर्वेक्षण प्रपत्र प्राप्त हो जाते हैं तो तिब्बती आबादी की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। हमें उम्मीद है कि जनगणना केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के लिए अपनी परियोजनाओं को लागू करने में वैज्ञानिक डेटाबेस के रूप में काम करेगी।
पिछले एक साल से अधिक समय से सिक्योंग, कालोन और विभागों के अधिकारियों ने आम जनता की जरूरतों का आकलन करने के लिए तिब्बती बस्तियों का दौरा किया। इसने कशाग को अगले चार वर्षों के लिए परियोजनाओं को तैयार करने में सक्षम बनाया है। जैसे कि जिनके पास घर नहीं है, बस्तियों में जरूरतमंद लोगों का पुनर्वास और कृषि बस्तियों में औषधीय पौधों का रोपण। यह की परियोजनाओं पर काम किया जाएगा। यह लोगों की जरूरतों के अनुसार एक स्पष्ट उद्देश्य, संरचना और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में मदद करता है।
हालाँकि, निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर में इसके लागू होने के तीस वर्षों के दौरान कई संशोधन हुए हैं, फिर भी इसमें प्रत्यक्ष मुद्दों को देखते हुए वास्तविकता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुसार आवश्यक सुधारों की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम आशा करते हैं कि आगामी संसद सत्र में एक चार्टर संशोधन समिति का गठन किया जाएगा।
अंत में, हम दुनिया में संघर्षों और महामारी के तत्काल अंत के लिए प्रार्थना करते हैं। परम पावन दलाई लामा के पुण्य कर्म फलते-फूलते रहें और उनकी सभी मनोकामनाएं स्वतः पूर्ण हों।
कशाग
02 सितंबर 2022
नोट: यह मूल तिब्बती दस्तावेज का अनुवाद है। यदि कोई विसंगतियां उत्पन्न होती हैं तो कृपया तिब्बती संस्करण को अंतिम और आधिकारिक मानें।