tibet.net / नई दिल्ली। तिब्बती संसदीय तिब्बत समर्थन अभियान सातवें दिन यानि २० दिसंबर को भी जारी रहा और अभियान में शामिल तिब्बती गणमान्य हस्तियों ने तिब्बत के मुद्दे पर भारतीय मंत्रियों, सांसदों और विदेशी अधिकारियों के साथ बैठक, बातचीत और अपने पक्ष को मजबूती से रखा।
भारतीय संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान १७वीं तिब्बती संसद के सदस्यों- सेर्टा त्सुल्ट्रिम, गेशे ल्हारम्पा गोवो लोबसंग फेंडे, लग्यारी नामग्याल डोलकर, गेशे एटोंग रिनचेन ग्यालत्सेन और चोएडक ग्यात्सो के प्रतिनिधिमंडल ने भारत के कौशल विकास,उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, हिमाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य श्री सुरेश कुमार कश्यप, पश्चिम बंगाल से लोकसभा सदस्य श्री राजू बिस्ता, पंजाब से लोकसभा सदस्य श्री मनीष तिवारी, और ओडिशा से लोकसभा सदस्य श्री सब्तागिरी उल्का से मुलाकात की।
बाद में शाम को तिब्बती प्रतिनिधियों ने दिल्ली में अमेरिकी दूतावास का दौरा किया और राजनीतिक मामलों के सलाहकार श्री ग्राहम डी.मेयर और अमेरिकी दूतावास के सचिव श्री जॉन एन. विनस्टेड से मुलाकात की। उन्होंने तिब्बत के भीतर वर्तमान गंभीर स्थिति पर चर्चा की और तिब्बत के मुद्दे के लिए अमेरिका के निरंतर समर्थन बनाए रखने का आग्रह किया।
तिब्बत एडवोकेसी अभियान के दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भारत से तिब्बत के लिए सर्वदीलय भारतीय संसदीय मंच के पुनरुद्धार और निम्नलिखित पांच बिंदुओं पर समर्थन मांगा।
१. तिब्बती पहचान और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अस्तित्व के सवाल पर भारत अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाए।
२. तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन, धार्मिक दमन पर चिंता प्रदर्शित करने में विश्व के नेताओं के साथ शामिल हो।
३. परम पावन और साम्यवादी चीन के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की शीघ्र बहाली का समर्थन करे।
४. वैश्विक जलवायु परिवर्तन का तिब्बती पठार पर पड़नेवाले प्रभाव को समझने के लिए एक वैज्ञानिक अनुसंधान अध्ययन शुरू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) से आग्रह करने के लिए विश्व के नेताओं के साथ शामिल हो।
- तिब्बत में मानवीय पीड़ा के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शीतकालीन ओलंपिक, २०२२ का बहिष्कार करे।