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तिब्बती समुदाय ने यूएनएचआरसी के ५८वें सत्र के शुरू होने पर जिनेवा में विरोध-प्रदर्शन किया, तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया

February 25, 2025

तिब्बती समुदाय ने यूएनएचआरसी के ५८वें सत्र के शुरू होने पर जिनेवा में विरोध-प्रदर्शन किया, तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया

जिनेवा, २४ फरवरी २०२५। स्विट्जरलैंड और लिकटेंस्टीन के तिब्बती समुदाय (टीसीएसएल) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के ५८वें सत्र के उद्घाटन के दिन जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के सामने विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में चीनी शासन के तहत तिब्बत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति की निंदा की गई।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने अपने उद्घाटन भाषण में अतीत में हुए अत्याचारों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए मानवाधिकारों और कानून के शासन को बनाए रखने की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अनियंत्रित बल का उपयोग, नागरिकों पर हमले और व्यापक दुर्व्यवहार जैसे अधिकारों के अनियंत्रित उल्लंघन फिर से हो सकते हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून, यूएनएचआरसी, नागरिक समाज और न्यायिक संस्थाओं सहित अंतरराष्ट्रीय तंत्र ऐसे दुरुपयोगों के खिलाफ आवश्यक सुरक्षा उपाय के रूप में काम करेंगे। तुर्क ने वैश्विक मानवाधिकार उल्लंघनों की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए अपने कार्यालय की प्रतिबद्धता को भी स्वीकार किया। इसके बारे में आगे की जानकारी उनके आगामी वैश्विक सूचना में प्रस्तुत की जाएगी।

तिब्बत ब्यूरो जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में पक्षधरता अधिकारी फुंत्सोक टोपग्याल ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए तिब्बत में गंभीर होते जा रहे मानवाधिकार संकट की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि २४ फरवरी से शुरू हुआ ५८वां यूएनएचआरसी सत्र ०४ अप्रैल २०२५ तक जारी रहेगा। टोपग्याल ने मानवाधिकार के पक्ष में खड़े रहने में स्विट्जरलैंड की भूमिका को स्वीकार किया और ०१ जनवरी २०२५ को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में उनके चुनाव पर स्विस राजदूत जुर्ग लाउबर को बधाई दी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्विट्जरलैंड में तिब्बतियों की स्थिति और उनके सामने आने वाले अंतरराष्ट्रीय दमन पर एक रिपोर्ट को स्विस संघीय परिषद द्वारा मंजूरी दिए जाने का स्वागत किया। इस निर्णय पर १२ फरवरी २०२५ को अंतिम मुहर लगेगी।

टोपग्याल ने कहा, ‘आज हम न केवल तिब्बतियों के रूप में, बल्कि अपने चीनी-ईसाई भाइयों और बहनों के साथ चीनी शासन के तहत चल रहे उत्पीड़न के खिलाफ एकजुटता के साथ खड़े हैं।’

उन्होंने ६१वें म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में समता और बहुध्रुवीय विश्व के बारे में चीन के हालिया बयानों की आलोचना की और तर्क दिया कि चीन की घरेलू नीतियां ही उसके इन दावों का खंडन करती हैं। उन्होंने ‘डॉक्यूमेंट्री इनसाइड चाइना: द बैटल फॉर तिब्बत’ का हवाला देते हुए तिब्बत में गंभीर दमन पर प्रकाश डाला। इस डॉक्यूमेंट्री में तिब्बत में व्यापक निगरानी, सांस्कृतिक संहार और तिब्बतियों का चीनी संस्कृति और मूल में जबरन विलय करने की नीति को उजागर करती है। रिपोर्ट बताती हैं कि तिब्बती बच्चों को सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में रखा जा रहा है जहां मंदारिन शिक्षा की एकमात्र भाषा है। यह तिब्बती भाषा और विरासत के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। कभी तिब्बती आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवन के केंद्र रहे मठ अब सख्त सरकारी नियंत्रण में हैं और शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को भयंकर दमन चक्र चलाकर कुचला जा रहा है।

प्रदर्शन के दौरान चीन में धार्मिक उत्पीड़न, विशेष रूप से ईसाइयों के खिलाफ़ उत्पीड़न की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। टॉपग्याल ने कहा, ‘चीन में हमारे ईसाई भाई-बहन इसी तरह के उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।’उन्होंने चीनी सरकार द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता के दमन का हवाला दिया, जिसमें गैरकानूनी हिरासत और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जबरन गायब कर दिया जाना शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पहले भी तिब्बत और पूर्वी तुर्केस्तान में चल रहे दुर्व्यवहारों पर चिंता जताई है। टॉपग्याल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से यूरोपीय संघ से इन अन्यायों के खिलाफ़ कड़ा रुख अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘चीन विदेश में अपनी स्वच्छ छवि पेश करता है, लेकिन इसकी घरेलू नीतियां स्वार्थ और नियंत्रण से प्रेरित हैं। अगर चीन वास्तव में वैश्विक नेतृत्व और समतापूर्ण व्यवहार चाहता है, तो उसे सबसे पहले तिब्बतियों और ईसाइयों सहित अपने लोगों को मौलिक अधिकार प्रदान करने होंगे।’

प्रदर्शन में ८० से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिनमें ४० से अधिक चीनी-ईसाई, तिब्बत के फ्रेंच-भाषी समर्थक, तिब्बती समर्थक समूहों के सदस्य, टीसीएसएल के उपाध्यक्ष और कार्यकारी सदस्य, यूरोप में तिब्बती युवा संघ (टीवाईएई) के सह-अध्यक्ष और तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के कर्मचारी शामिल थे।

५८वें यूएनएचआरसी सत्र से पहले जिनेवा में तिब्बत ब्यूरो ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में सक्रिय रूप से पक्षधरता अभियान चलाया, उनके समक्ष लिखित बयान प्रस्तुत किया है और आगे भी तिब्बत में चीन के मानवाधिकार उल्लंघन को उजागर करने वाले मौखिक बयान देने की योजना बनाई है। सत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, आतंकवाद विरोधी नीतियों और भोजन और आवास के अधिकारों सहित प्रमुख वैश्विक मुद्दों को उठाया जाएगा।


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