दैनिक जागरण, 8 फरवरी 2012
 धर्मशाला, जागरण संवाददाता। करमापा अवतार उग्येन त्रिनले दोरजे ने कहा है कि तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों की मानवीय संवेदना को चीन सरकार को समझना होगा। जिस प्रकार से तिब्बत में चीन के प्रति अविश्वास की भावना पनप रही है। उसे दूर करने के लिए चीन सरकार को पूरी जिम्मेवारी लेकर विश्वास कायम करने का बौद्धिक आधार विकसित करना होगा।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। करमापा अवतार उग्येन त्रिनले दोरजे ने कहा है कि तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों की मानवीय संवेदना को चीन सरकार को समझना होगा। जिस प्रकार से तिब्बत में चीन के प्रति अविश्वास की भावना पनप रही है। उसे दूर करने के लिए चीन सरकार को पूरी जिम्मेवारी लेकर विश्वास कायम करने का बौद्धिक आधार विकसित करना होगा।
उधर, बुधवार को मैक्लोडगंज में ग्लोबल विजिल डे पर आयोजित समारोह में निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये ने कहा कि तिब्बत के वर्तमान हालत ठीक नहीं हैं। लोगों के अधिकारों को कुचला जा रहा है। विश्व समुदाय को इसके लिए आगे आना चाहिए तभी वहां के लोगों को अधिकार मिल पाएंगे। उन्होंने तिब्बत के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि विश्व के देशों के सहयोग के बिना तिब्बत मसले का हल नहीं निकल सकता है।
बुधवार को जारी बयान में करमापा ने कहा कि अगर चीन मानवीय कल्याण के विषय में सोचे तो समस्या का हल संभव है। उन्होंने कहा कि एक ही दिन में पूर्वी तिब्बत में तीन तिब्बतियों के आत्मदाह की घटना पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण हैं। एक ही दिन में तीन मौतें होना हृदय विदारक घटना है। उन्होंने प्रार्थना की है कि यह बलिदान व्यर्थ न जाए और साथ ही ऐसी नीतियों में परिवर्तन हो, जिससे तिब्बत में रह रहे लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों का कल्याण ही उनके लिए सर्वोपरि है। करमापा ने चीनी सरकार से परमपावपन दलाईलामा को दुश्मन के तौर पर पेश करने को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।





