28 नवम्बर 2012
प्रेस विज्ञपित
तिब्बत मुक्ति के लिए बौद्ध नवयुवकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा -हठयोगी
अखिल भारतीय संत एकता आन्दोलन परिषद एवं हठयोगी सर्वधर्म सदभाव विश्व शानित मिश्न के अध्यक्ष हठयोगी महंत कैलाशनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा गुरूनानक जी के अवसर पर एक संदेश एवं बयान जारी कर विश्व मानवअधिकार संगठनों राष्ट्रों विशेष रूप से अमेरिका के राष्ट्रपति महामहिम बराक हुसैन ओबामा जी से अनुरोध किया है कि तिब्बत की स्वायत्तता के लिए लम्बे समय से संघर्षरत बौद्ध धर्म गुरू विश्व शांति के अग्रदूत परमपावन दलार्इ लामा जी का संघर्ष गांधीवादी तरीके से होता आ रहा है। किन्तु चीन के अडियल रवैये एवं दमनकारी नीतियों के कारण बौद्ध धर्मानुयायी युवाओं द्वारा आत्मदाह की निरन्तर बढ़ रही घटनाओं से मानवता एवं शांति में विश्वास रखने वाले लोग अत्यधिक चिंचित हैं। हठयोगी ने कहा कि हाल ही में आत्मदाह की घटनाओं में अत्यधिक अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो रही है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मानवाधिकार को समर्पित संगठन एवं राष्ट्र कुंभकरणी निद्रा में सो रहे हैं। जोकि मानवाधिकार के सिद्धांतों के विपरीत है। इस प्रकार की घटनाओं को रोककर ही किसी भी देश व्यकित संगठन समाज आन्दोलन को निष्पक्ष न्याय दिलाया जा सकता है।
बौद्ध धर्म गुरू परमपावन दलार्इलामा जी 50 वर्षों से निरन्तर मां और मातृ भूमि के स्वाभिमान सम्मान स्वतंत्रता के लिए निर्वासित जीवन भारत में व्यतीत करते हुए अहिंसक तरीके से सत्याग्रह करते आ रहे हैं। उनके सत्याग्रह को कुचलने का प्रयास तथा मित्या आरोप लगाने का क्रम चीन द्वारा निरन्तर जारी है जो कि चिंता का विषय है। हठयोगी ने तिब्बत युवाओं बौद्ध भिक्षुओं से भी आग्रह किया है कि तिब्बत की मुकित के लिए हर संभव प्रयास करें किन्तु हिंसा के मार्ग का परित्याग करें।