tibet.net / असम। असम स्थित एक तिब्बत समर्थक समूह ‘फ्री तिब्बत- ए वॉयस फ्रॉम असम’ ने २६ दिसंबर २०२१ को भैरबकुंडा, असम में तिब्बत के समर्थन में एक जन आंदोलन का आयोजन किया। तिब्बत को स्वतंत्रता और न्याय देने के लिए शांतिपूर्ण तिब्बती मुक्ति साधना के समर्थन में असम के उदलगुरी के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थान भैरबकुंड के युवा और आम लोगों ने ‘फ्री तिब्बत- ए वॉयस फ्रॉम असम’ के नेतृत्व में इस जन आंदोलन में भाग लिया। आंदोलन में शामिल लोग ‘हम अपने पड़ोसी देश, तिब्बत पर कम्युनिस्ट चीन द्वारा जबरदस्ती कब्जे का विरोध करते हैं’ और ‘हम कम्युनिस्ट चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र सभ्यता की पारिस्थितिकीय विनाश का विरोध करते हैं’ जैसे नारे लगा रहे थे।
अभियान के दौरान, बोडो समुदाय के स्थानीय युवाओं ने कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के क्षेत्रीय संयोजक (असम और मेघालय) श्री सौम्यदीप दत्ता के साथ एक संवाद सत्र में भाग लिया, जो तिब्बती मुक्ति साधना के बारे में युवाओं और स्थानीय लोगों के बीच जागरुकता पैदा करने के साथ इसमें उनकी भागीदारी का महत्व बताने के लिए आयोजित किया गया था।
इस तरह के अभियानों के साथ ‘फ्री तिब्बत- ए वॉयस फ्रॉम असम’ तिब्बती मुक्ति साधना को भारत के ग्रामीणों, जातीय समुदायों और जमीनी स्तर पर ला रहा है, जिससे यह असम में एक जन आंदोलन बन गया है।
भैरबकुंड एक त्रिकोण पर स्थित है जहां असम, भूटान और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं लगती हैं। भूटान से जमपानी नदी और भैरबी नदी यहां ब्रह्मपुत्र नद की एक प्रमुख सहायक धनसिरी नदी में विलीन हो जाती है। पर्यटकों की रुचि का स्थान होने के अलावा भैरबकुंड हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए धार्मिक महत्व का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह जगह अपने खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण से पूरे असम के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।