देश बंधु 11 दिसम्बर 2012
तिब्बत में चीन प्रशासन द्वारा लम्बे समय से तिब्बतियों के मानवाधिकारों का हनन किए जाने पर लोकसभा में आज गहरी चिंता जतार्इ और चीनी नेतृत्व से वहां के लोगों की आवाज सुनने का अनुरोध किया गया। भारतीय जनता पार्टी के यशवंत सिन्हा ने सदन में शुन्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा कि चीनी शासन के दमन के कारण पिछले कुछ वर्ष में 81 तिब्बतियों ने आत्मदाह किया है। कोर्इ भी व्यक्ति आत्मदाह जैसा कदम बहुत ही गंभीर और खराब स्थिति में उठाता है। सेना के दमन के साथ-साथ तिब्बतियों को सांस्कृतिक दमन भी झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में पिछले करीब 60 वर्ष से मानवाधिकारों का भारी हनन हो रहा है।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त ने भी इस स्थिति पर चिंता जतार्इ है। श्री सिन्हा ने कहा कि चीनी नेतृत्व को तिब्बतियों का दमन करने की बजाय उनकी आवाज सुननी चाहिए। कुछ अन्य सदस्यों ने भी उनकी बात का समर्थन किया। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वासुदेव आचार्य ने जम्मू-कश्मीर में अनेक युवकों को वर्षों तक विचाराधीन कैदियों के रूप में रखे जाने का मामला उठाते हुए कहा कि सुरक्षा बल इन लोगों के मानवाधिकारों का हनन करते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में राजधानी में जंतर-मंतर पर जम्मू-कश्मीर से आयी महिलाओं के धरने की ओर ध्यान दिलाया।