
धर्मशाला। रिजॉल्व तिब्बत बिल (तिब्बत समाधान विधेयक) कानून बनने की ओर अग्रसर है। अमेरिकी कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा ने बुधवार, १२ जून को सीनेट से पारित विधेयक पर निलंबन प्रस्ताव पारित कर दिया। यह विधेयक एक दिन पहले ही सदन में पेश किया गया था। बुधवार की सुबह सदन ने २६ के मुकाबले ३९१ मतों से संशोधित कानून को मंजूरी दे दी।
अब यह विधेयक अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति बिडेन के कार्यालय में जाएगा।
प्रोमोटिंग ए रिजोल्यूशन टू द तिब्बत-चाइना कंफ्लिक्ट ऐक्ट (तिब्बत-चीन संघर्ष के समाधान को बढ़ावा देने वाला अधिनियम) शीर्षक बिल का नंबर एस.१३८ है। अमेरिका के दोनों दलों के समर्थन वाला यह विधेयक सीनेट में एचआर. ५३३ नंबर से था। इसे सदन ने १५ फरवरी को भारी बहुमत से पारित किया था। इसके बाद विधेयक को सीनेट के पास भेजा गया, जहां इस पर एस.१३८ के रूप में एक पैराग्राफ का संशोधन किया गया और २३ मई को इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके बाद सीनेट द्वारा संशोधित विधेयक विचार के लिए सदन में लौट आया।
११ जून को विधेयक को मैसाच्यूसेट्स के डेमोक्रेट प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न और टेक्सास से रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइकल मैककॉल ने पेश किया और प्रतिनिधि बिल कीटिंग के साथ सदन के सदस्यों से विधेयक के पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया। कीटिंग ने भी विधेयक का पुरजोर समर्थन किया।
प्रतिनिधि माइकल मैककॉल ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका ने कभी यह स्वीकार नहीं किया कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा था जैसा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) झूठा दावा करती है। यह कानून अमेरिकी नीति को स्पष्ट करता है और तिब्बती लोगों की अनूठी भाषा, धर्म और संस्कृति पर प्रकाश डालता है। इसके साथ ही अमेरिकी नीति हैकि किसी भी प्रस्ताव में तिब्बती लोगों की इच्छाओं और आवाज को शामिल किया जाना चाहिए। इस विधेयक को पारित करना अमेरिका के इस संकल्प को दर्शाता है कि तिब्बत में सीसीपी की यथास्थिति स्वीकार्य नहीं है और मैं दलाई लामा और तिब्बत के लोगों के लिए इससे बड़ा कोई संदेश या उपहार नहीं सोच सकता कि इस विधेयक को जल्द से जल्द राष्ट्रपति के टेबल पर पहुंचा दिया जाए ताकि तिब्बत के लोगों को अपने भविष्य की कमान संभालने में मदद मिल सके।’
प्रतिनिधि बिल कीटिंग ने कहा, ‘बहुत लंबे समय से चीनी शासन ने तिब्बती लोगों पर अत्याचार किया है और तिब्बत के भविष्य के बारे में दलाई लामा और उनके प्रतिनिधियों के साथ सार्थक बातचीत करने की अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने में विफल रहा है। यह (विधेयक) बीजिंग की दमनकारी रणनीति और भ्रामक दुष्प्रचार की निंदा करता है। यह विधेयक तिब्बती मुद्दों के लिए हमारे अटूट समर्थन को मजबूत करता है और पीआरसी से तिब्बती प्रतिनिधियों के साथ वास्तविक बातचीत में शामिल होने का आह्वान करता है। यह तिब्बत के बारे में पीआरसी के भ्रामक दुष्प्रचारों का मुकाबला करने के लिए हमारे सार्वजनिक कूटनीति प्रयासों के तहत २००२ के तिब्बती नीति अधिनियम को भी मजबूत करता है।
संघर्षों के मूल में लोगों के मानवाधिकारों का व्यवस्थित रूप से हनन होता है। तिब्बत और चीन के बीच दशकों पुराना विवाद आक्रमण, प्रतिरोध और विद्रोह के सशस्त्र संघर्ष के रूप में शुरू हुआ। लंबे समय तक की यह हिंसा रोकने का एकमात्र तरीका यह है के पीआरसी तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों और उनकी प्रतिष्ठा को स्वीकार करे। इस विधेयक के समर्थन में मतदान, तिब्बती लोगों के अधिकारों को मान्यता देने के लिए मतदान है और यह तिब्बत और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार बातचीत और बिना किसी पूर्व शर्त के शांतिपूर्ण तरीके से हल करने पर जोर देने के लिए है।’
विधेयक के लेखक प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न ने कहा, ‘दुनिया संघर्षों में डूबी हुई है। कई संघर्षों का मूल कारण लोगों के मानवाधिकारों का सुनियोजित रूप से हनन होता है। तिब्बत और चीन के बीच भी दशकों पुराना विवाद आक्रमण, प्रतिरोध और उग्रवाद के सशस्त्र संघर्ष के रूप में शुरू हुआ। इस विधेयक के लिए मतदान तिब्बती लोगों के अधिकारों को मान्यता देने के लिए मतदान है और यह तिब्बत और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार बातचीत के माध्यम से और बिना किसी पूर्व शर्त के शांतिपूर्ण ढंग से हल करने पर जोर देने के लिए है।’