तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के इस्तीफे को सात सदस्यीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद भी निर्वासित तिब्बतियों की संसद उनके इस्तीफे पर मोहर लगाने की इच्छुक नहीं है। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही निर्वासित प्रधानमंत्री सैमधोंग रिपनोछ ने आज दुख भरे अंदाज में कहा कि धर्मगुरु के राजनीतिक पद से इस्तीफे के निर्णय को भारी मन से स्वीकार करना होगा। लेकिन संसद सदस्य इस पक्ष में नहीं हैं। वैसे इस बारे में अंतिम फैसला बहस के बाद ही हो सकेगा। नोबल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने पिछले सप्ताह घोषणा कर दी थी कि अब वह तिब्बती समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधि के पद से मुक्त होना चाहते हैं। उन्होंने जल्द ही निर्वासित संसद द्वारा चुने जाने वाले प्रधानमंत्री को अपनी सभी जिम्मेदारियां सौंपने की भी इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि तिब्बती धर्मगुरु के कार्यालय के सूत्रों के अनुसार अधिकतर सांसद दलाई लामा के पद छोड़ने के समर्थन में नहीं हैं जिसके लिए गुरुवार को दोबारा चर्चा करायी जायेगी। वैसे अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने में कुछ और समय लग सकता है। सांसदों ने कहा कि भले ही कैबिनेट ने दलाई लामा के इस्तीफे को मंजूरी दी हो लेकिन इस मसले पर लगातार बहस से यह स्पष्ट है कि संसद के अधिकतर सदस्य उनके पद पर बने रहने के इच्छुक हैं।
दलाई लामा के इस्तीफे को स्वीकार करने को राजी नहीं तिब्बती संसद
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