भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

दलाई लामा राष्ट्र के रूप में तिब्बत के अंतिम प्रतीक हैं

June 28, 2022

श्री न्गोंडुप डोंगचुंग।

theweek.in 

 दलाई लामा | रॉयटर्स

दुनिया जब ०६ जुलाई को परम पावन दलाई लामा का ८७वां जन्मदिन मना रही है, यह मेरे लिए खट्टा-मीठा का मिश्रित क्षण है। एक तरफ, मैं बहुत धन्य महसूस करता हूं कि मुझे दलाई लामा और तिब्बती प्रशासन के विभिन्न पदों पर ४५ वर्षों तक सेवा करने का अवसर मिला है, जिसमें कुछ अत्यंत चुनौतीपूर्ण समय भी शामिल हैं। दूसरी ओर, जैसा कि वे कहते हैं, सभी अच्छी चीजों का अंत होना निश्चित है। इसलिए अब समय आ गया है कि मैं तिब्बती नौकरशाहों की युवा पीढ़ी को मशाल सौंप दूं।

कहने की जरूरत नहीं है कि दलाई लामा आज एक विश्व-प्रसिद्ध आध्यात्मिक और नैतिक नेता हैं, जो भारत के सम्मानित अतिथि के रूप में ६३ वर्षों से अधिक समय से धर्मशाला में निवास कर रहे हैं। धर्मशाला कभी एक सुदूर और उजाड़ पहाड़ी शहर हुआ करता था।लेकिन अब यह अपने आप में एक विशाल शहर है, जहां दिल्ली से पांच, कभी-कभी छह सीधीदैनिक उड़ानें हैं। धर्मशाला आज एक तरह से दुनिया भर के बौद्धों के लिए आध्यात्मिक राजधानी और जीवन और आध्यात्मिकता में अर्थ तलाशने वालों के लिए एक बड़ा केंद्र बन गया है।

तिब्बतियों के साथ-साथ हिमालयी बौद्ध पट्टी और इससे अलग रहने वाले लोगों के लिए दलाई लामा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण अवलोकितेश्वर या चेनरेज़िग, करुणा के बोधिसत्व- तिब्बत के संरक्षक संत की तरह हैं। दलाई लामा १६४२ सेतिब्बत के आध्यात्मिक और इहलौकिक शासक रहे हैं। दलाई लामा तिब्‍बत राष्ट्र, इसमें बसने वाले लोगों और इसकी विशिष्ट ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के सर्वोच्‍च प्रतीक हैं।

हालांकि, परम पावन ने तिब्बत की धार्मिक शासन व्यवस्था को लोकतांत्रि‍क व्‍यवस्‍था में परिवर्तित  करने के माध्यम से आधुनिकीकरण करने का लगातार प्रयास किया है। आम तिब्बती बोलचाल में हमारे जीवंत लोकतंत्र को अक्सर परम पावन के उपहार’ के रूप में पहचाना जाता है। २०११ में दलाई लामा द्वारा राजनीतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के पूर्ण हस्तांतरण के बाद तिब्बती प्रशासन की लोकतांत्रिक व्यवस्था आज एक निर्वाचित नेतृत्व के हाथों में है, जिसमें अधिकारियों, विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियों में स्पष्ट नियंत्रण, विभाजन और संतुलन है।

मानवीय मूल्यों और अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने और वैश्विक पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपनी सक्रिय भागीदारी के अलावा परम पावन को दुनिया भर में शांति और अहिंसा के अग्रदूत के रूप में सम्मानित किया गया है। परम पावन अक्सर कहते हैं कि २१वीं सदी संवाद की सदी होनी चाहिए और उन्होंने सच्चे, स्थायी मेल-मिलाप और सभी वैश्विक संघर्षों को हल करने के एकमात्र साधन के रूप में अहिंसा और संवाद की अथक वकालत की है। तिब्बत को मुक्त कराने के संघर्ष में हिंसा के उपयोग का लगातार विरोध करने और अपने लोगों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सहिष्णुता और आपसी सम्मान के आधार पर शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करने के लिए परम पावन को १९८९ में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

परम पावन के सबसे स्थायी वैश्विक योगदानों में से एक उनका प्राचीन भारतीय अहिंसा और करुणा के ज्ञान का पुनरुद्धार है। वे दिन गए, जब कुछ लोगों ने मिलावटी या विदेशी ‘लामावाद’ कहकर तिब्बती बौद्ध धर्म को ठुकरा दिया था। दुनिया भर के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के साथ उनके वर्षों के व्यापक विमर्श ने बौद्ध विज्ञान और दर्शन और बौद्ध धार्मिक साधना के बीच गहरी समझ विकसित की है और स्पष्ट सीमांकन किया है। प्राचीन भारतीय नालंदा परंपरा पर आधारित मन की जटिल कार्यप्रणाली से संबंधित बौद्ध विज्ञान और दर्शन पहले से ही विभिन्न विश्वविद्यालयों और स्कूलों में पढ़ाया और शोध किया जाने वाला धर्मनिरपेक्ष शैक्षणिक विषय बन गया है।

परम पावन अक्सर एक प्रार्थना को दोहराते हुए कहते हैं, ‘जब तक यह अंतरिक्ष है और जब तक प्राणियों का अस्तित्‍व हैं, तब तक मैं भी संसार के दुखों को दूर करने में मदद करने के लिए बना रहूँ।‘ मैं यहां एक प्रार्थना के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं-‘जिस तरह इस जीवन में मुझे दलाई लामा की सेवा करने का अवसर मिला है, मेरी कर्मों की निधि इतनी संचित और स्वस्थ हो कि मैं अगले जीवन में भी फि‍र से उनकी सेवा कर सकूं।‘

लेखक नई दिल्ली में दलाई लामा के प्रतिनिधि हैं।

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और इसका मतलब ‘द वीक’ के विचारों को प्रतिबिंबित करना नहीं है।


विशेष पोस्ट

तिब्बत पर विश्व सांसदों का नौवां सम्मेलन टोक्यो घोषणा-पत्र, टोक्यो कार्य योजना और परम पावन १४वें दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के सम्मान में प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न

5 Jun at 9:29 am

दीर्घायु प्रार्थना समारोह में शामिल हुए परम पावन दलाई लामा

4 Jun at 10:59 am

तिब्बत पर विश्व सांसदों के नौवें सम्मेलन के लिए दुनिया भर के सांसद टोक्यो पहुंचे

3 Jun at 3:17 pm

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

3 Jun at 7:22 am

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

संबंधित पोस्ट

‘पिंजरे में बंद पक्षी के समान’: चीन इसी तरह तिब्बतियों के स्वतंत्र आवागमन को प्रतिबंधित करता है

4 weeks ago

नब्बे वर्षीय दलाई लामा को जन्मदिन पर होगा कृतज्ञतापूर्वक सम्मान

4 weeks ago

तिब्बत: अगर तुम तिब्बती क्रांतिकारी हो तो हम तुम्हारी बिजली-पानी काट देंगे

2 months ago

तिब्बत नहीं, जिज़ांग: चीन के मनमाने नामकरण के मतलब क्या है

2 months ago

चीन ने हालिया श्वेत पत्र में तिब्बत का नाम ही मिटा दिया

2 months ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service