भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

नाथू-ला झड़प: चीन का भारतीय सीमा में “अर्ली हार्वेस्ट”

May 22, 2020

छेवांग दोरजी।

tibetpolicy.net, 

उत्तरी सिक्किम के नाथू-ला में कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर सीमा बंद है, लेकिन तिब्बत-सिक्किम सीमा पर विवाद शुरू हो गया। सिक्किम और हिमाचल प्रदेश की चीन-भारतीय सीमाएं भारत तथा चीन के कब्जे वाले तिब्बत के बीच निर्विवाद मानी जाती हैं। लेकिन चीन ने हाल ही में सिक्किम और हिमाचल प्रदेश सीमा पर नए मोर्चे खोल दिए हैं, जिसे चीन का “अर्ली हार्वेस्ट” रणनीतिक कदम कहा जाता है। इसका उद्देश्य चीन-भारतीय सीमा संघर्षों का लाभ उठाकर भारत को चीन के भू-राजनीतिक प्रभाव के क्षेत्र में लाना है।

एक प्रसिद्ध रक्षा विशेषज्ञ, क्लाउडे अर्पि ने अपने ब्लॉग में लिखा है: “2017 में डोकलाम प्रकरण की शुरुआत से कुछ महीने पहले नई दिल्ली में चीनी राजदूत लुओ झाओहुई को राष्ट्रीय राजधानी में एक थिंक टैंक में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। अपने भाषण के दौरान लुओ ने कुछ “अर्ली हॉर्वेस्ट” का उल्लेख किया। इस व्याख्यान के मॉडरेटर एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक थे। जब उन्होंने लुओ से पूछा कि उनके “अर्ली हॉर्वेस्ट” का क्या मतलब है तो लुओ ने कहा कि यह सिक्किम से संबंधित है। जानकार दर्शकों को वास्तव में समझ में नहीं आया कि वह क्या संदेश देना चाह रहे थे। यह तथ्य है कि 2017 की शुरुआत तक नई दिल्ली में सभी को लगता था कि सिक्किम सीमा एक सुलझा हुआ मुद्दा है।

9 मई को नाथू-ला में हाथापाई हुई और 11 अप्रैल और 20 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश की सीमा पर सुमडो में चीनी हेलीकॉप्टरों ने भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन किया। यह चीन के “अर्ली हॉर्वेस्ट” रणनीतिक कदम का संकेत था जो भारत के खिलाफ सीमा अतिक्रमण के नए रूप में सामने आया।

नाकु-ला भारत के सिक्किम और पूर्वी हिमालय में चीन के कब्जे वाले तिब्बत की सीमा पर स्थित है। उत्तरी सिक्किम और तिब्बत के लोग इसे “नाक-पो-ला” कहते हैं, जिसका अर्थ है “ब्लैक पास या अंधी सुरंग”। तिब्बती में “नाक-पो” का अर्थ है काला और “ला” का अर्थ है पहाड़ी दर्रा।

स्थानीय भूगोल की स्थिति के अनुसार, नाकु-ला सेक्टर नो-मेंस लैंड है। यानि यहां कोई मनुष्य का वास नहीं है। परंपरागत रूप से, तिब्बती खानाबदोश गर्मियों के दौरान नाकु-ला सेक्टर, मुगथांग और लहोनक में अपनी भेड़ों और याक को चराने जाते थे और सर्दियों के करीब आने पर तिब्बत लौट जाते थे। 1962 में चीन-भारत युद्ध के बाद सीमा के आरपार आने-जाने का यह पारंपरिक अधिकार समाप्त हो गया।

भारत की चीन अधिकृत तिब्बत के साथ 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है जो भारत के लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक लंबा है। इसके अलावा, सिक्किम और तिब्बत के बीच 220 किलोमीटर की सीमा है, जिसे 1890 के ब्रिटिश-चीनी सम्मेलन में तिब्बत को सूचित किए बिना और सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किए बिना तय कर दिया गया था। कन्वेंशन के पहले अनुच्छेद में सिक्किम और तिब्बत के बीच की सीमा को परिभाषित किया गया था। इसमें लिखा गया था, “सिक्किम और तिब्बत की सीमा सिक्किम में तीस्ता में बहने वाली धारा और इससे अलग होकर तिब्बत के मोचू में बहने वाली धारा जो उत्तर की ओर तिब्बत की नदियों में मिलती है, के द्वारा विभाजित की जा रही पर्वत शृंखला की चोटी होगी। यह रेखा भूटान सीमा पर गिपमोची पर्वत से शुरू होती है और उपरोक्त जल विभाजन को उस बिंदु तक ले जाती है जहां यह नेपाली क्षेत्र से मिलती है।

जॉर्ज गिंसबर्ग और माइकल माथो कहते हैं कि “जो तिब्बत पर अधिकार रखता है, वह पूरे हिमालयी क्षेत्र पर राज करता है। जो हिमालयी क्षेत्र पर राज करता है, वह भारतीय उपमहाद्वीप के लिए खतरा होता है और इस पूरे उपमहाद्वीप पर अपनी नजर रखते हुए वह पूरे दक्षिण एशिया और इस तरह पूरे एशिया पर अपना प्रभाव रखता हैं।” 19वीं शताब्दी के बाद से चीनी राष्ट्रवादियों ने तिब्बत को चीन का खुला पिछला दरवाजा कहना शुरू कर दिया और इसके शीर्ष पर उन्होंने चीन के लिए तिब्बत को भू-रणनीतिक महत्व का माना जहां से होकर वे एशिया में अपनी भू-राजनीतिक महात्वाकांक्षाओं का विस्तार कर सकें।

1950 में तिब्बत पर चीन के आक्रमण से पहले तिब्बत ने भारत और चीन के बीच दो हजार से अधिक वर्षों तक बफर-स्टेट का कार्य किया है। एक बफर के रूप में तिब्बत की ऐतिहासिक भूमिका अब नेपाल, भूटान और शेष हिमालयी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गई है। इसलिए अब हिमालय दो एशियाई दिग्गजों के बीच नए खेल का एक महा-केंद्र बन गया है।

उत्तर सिक्किम में हाल का नाथू-ला झड़प और चीनी हेलीकॉप्टर का भारत के पश्चिमी क्षेत्र में भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन भारत-चीन सीमा पर चीन के “अर्ली हॉर्वेस्ट” रणनीति के एक बड़े खेल के संकेत देते हैं। इसलिए भारत और चीन के बीच तिब्बत को एशिया के शांति क्षेत्र के रूप में विकसित करना ही दोनों देशों के बीच सद्भाव ला सकता है और तिब्बत दोनों देशों के बीच सेतु का काम कर सकता है। यही सेतु हिमालय में नए खेल को समाप्त करने का भी अंतिम उपाय होगा।

* त्सावांग दोरजी तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट में विजिटिंग फेलो हैं। वह मद्रास विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं और भारत-चीन संबंधों पर शोध करने में रूचि रखते हैं। यहां व्यक्त किए गए उनके विचार तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।


विशेष पोस्ट

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

9 May at 11:40 am

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

9 May at 10:26 am

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

8 May at 9:05 am

परम पावन दलाई लामा ने दीर्घायु प्रार्थना में भाग लिया

7 May at 9:10 am

संबंधित पोस्ट

तिब्बत नहीं, जिज़ांग: चीन के मनमाने नामकरण के मतलब क्या है

2 weeks ago

चीन ने हालिया श्वेत पत्र में तिब्बत का नाम ही मिटा दिया

4 weeks ago

तिब्बत में दूरसंचार के लिए प्रताड़ना

1 month ago

तिब्बत में भूकंप: प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित आपदा

4 months ago

कैलाश शिखर के पास चीन नया बॉर्डर गेम खेल रहा!

1 year ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service