
धर्मशाला। निर्वासित तिब्बती संसद ने अरुणाचल प्रदेश के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में ०६ सितंबर २०२४ को चोएनोर हाउस, मैक्लोडगंज में दोपहर के भोज का आयोजन किया। इसमें अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, अरुणाचल प्रदेश के सांसद और ‘तिब्बत के लिए अखिल भारतीय संसदीय मंच (ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत)’ के सह-संयोजक श्री तापिर गाओ, शिक्षा और पर्यटन मंत्री श्री पासंग दोरजी सोना और नामसाई के विधायक श्री झिंगनू नामचूम शामिल हुए।
दोपहर के भोज में निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेन्पो सोनम तेनफेल, कालोन ग्यारी डोल्मा, कालोन नोरज़िन डोल्मा और स्थायी समिति और लोक लेखा समिति के सदस्य शामिल हुए।
अरुणाचल प्रदेश से आए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए स्पीकर खेन्पो सोनम तेनफेल ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की परम पावन दलाई लामा के प्रति गहरी आस्था और तिब्बत के मुद्दे के प्रति उनके अटूट समर्थन की प्रशंसा की। स्पीकर ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करने के साथ ही उनके प्रति आभार और सम्मान प्रकट किया।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू ने आज ०६ सिंतबर की सुबह परम पावन दलाई लामा के साथ मुलाकात के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने तिब्बती मुद्दे के प्रति समर्पित प्रयासों के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की प्रशंसा की और साझा धर्म और संस्कृति में निहित तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के बीच विशेष संबंधों पर प्रकाश डाला। भारत और तिब्बत के बीच सीमा के बारे में विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश में उन्होंने ‘चीन-भारत सीमा’ के बजाय ‘भारत-तिब्बत सीमा’ शब्द का उपयोग करने की अपनी पहल का उल्लेख किया।
दोपहर के भोज के बाद प्रतिनिधिमंडल ने निर्वासित तिब्बती संसद का दौरा किया, जहां उन्हें इसके सत्रों, समितियों और विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई। यह यात्रा अरुणाचल प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल और निर्वासित तिब्बती संसद की हस्तियों के बीच स्मृति चिन्हों और औपचारिक खटक (स्कार्फ) के आदान-प्रदान के साथ संपन्न हुई।