
न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क शहर के बाहरी इलाके एलमोंट में २२ अगस्त २०२४ की सुबह उत्तरी अमेरिका में रह रहे तिब्बती, मंगोलियाई और हिमालयी समुदायों के लगभग १७,००० अनुयायियों ने एकत्र होकर सामूहिक रूप से परम पावन दलाई लामा की दीर्घायु के लिए तेनशुग प्रार्थना की।
परम पावन २० अगस्त २०२४ को सिरैक्यूज़ से न्यूयॉर्क सिटी पहुंचे थे।
परम पावन जब २० अगस्त की सुबह यूबीएस एरिना पहुंचे तो उनका स्वागत पारंपरिक चेमार और चांगफू अर्पण कर और धुंग और ग्यालिंग बजाकर किया गया। मंच पर परम पावन के आसन ग्रहण करते ही वहां उपस्थित २०० से अधिक भिक्षुओं, भिक्षुणियों और साधकों सहित सभी लोग उनके सम्मान में खड़े हुए। इसके बाद परम पावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के उत्तरी अमेरिका स्थित कार्यालय में प्रतिनिधि डॉ. नामग्याल चोएडुप ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने परम पावन द्वारा शल्य चिकित्सा के बाद फिजिकल थेरेपी और सेहत में सुधार की प्रक्रिया चलते रहने के बीच ही संक्षिप्त प्रवचन देने के लिए समय निकालने का अनुरोध स्वीकार करने के लिए सभी लोगों की ओर से उनके प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।
उन्होंने कहा कि आज की हार्दिक तेनशुग प्रार्थना सभी भव्य प्राणियों के हित में परम पावन के दीर्घायु होने के लिए है।
डॉ. चोएडुप ने परम पावन के उपचार के लिए यहां तक की यात्रा में सहायता प्रदान करने के लिए हॉस्पिटल फॉर स्पेशल सर्जरी की मेडिकल टीम, अमेरिका सरकार, विशेष रूप से तिब्बती मुद्दों के लिए अमेरिकी विशेष समन्वयक के कार्यालय और विदेश विभाग की राजनयिक सुरक्षा सेवा, शुभचिंतकों और संगठनों को धन्यवाद दिया। उन्होंने १९ अगस्त के कार्यक्रम की मेजबानी बहुत ही कम समय में करने में मदद करनेवाले लोगों और संगठनों को भी धन्यवाद दिया। दुनिया भर के सभी भक्तों और शुभचिंतकों की ओर से परम पावन के निरंतर स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हुए प्रतिनिधि ने यह भी प्रार्थना की कि वह दिन दूर न हो जब परम पावन तिब्बत लौट सकें और तिब्बत में और निर्वासन में रहने तिब्बती एक बार फिर एक साथ हों सकें। डॉ. चोएडुप की टिप्पणियों के बाद परम पावन दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के लिए न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के पांच स्कूलों के ४०० तिब्बती छात्रों (७ से १४ वर्ष की आयु) द्वारा एक गीत प्रस्तुत किया गया।
परम पावन ने अपने संबोधन में उन समृद्ध आध्यात्मिक परंपराओं के बारे में व्याख्यान दिया, जिन्हें तिब्बतियों के तीनों चोलखाओं के नेतृत्व में पूरा हिमालयी समुदाय संरक्षित करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘फिर, तिब्बत के लोग ग्यालवा तेनजिन ग्यात्सो में पर विश्वास करते हैं, और मैं प्रार्थना कर रहा हूं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जो भी संभव है, कर रहा हूं।’
‘हर कोई काम कर रहा है। यहां तक कि मैं भी १०० से अधिक वर्षों तक जीवित रहूंगा।’
‘तिब्बत के लोगों में अकल्पनीय दृढ़ संकल्प और साहस है। भले ही वे चुनौतियों का सामना कर रहे हों, लेकिन वे अपनी तिब्बती पहचान को भी कायम रखे हुए हैं।’
‘इस दुनिया में जो लोग बौद्ध नहीं भी हैं, वे भी हमारी आध्यात्मिक विरासत की प्रशंसा करते हैं। आप कड़ी मेहनत कर रहे हैं और ऐसा करते रहना चाहिए।’
‘इसलिए कृपया उत्साह बनाए रखें और यह मानकर चलें कि इसमें हमारी संस्कृति का योगदान है। धोमी से ल्हामो थोंडुप आपका नेतृत्व कर रहे हैं। लद्दाख से खाम तक के क्षेत्र के सभी लोग दलाई लामा के प्रति श्रद्धा रखते हैं। यह श्रद्धा और प्रेम तिब्बती संस्कृति के लिए है, यह न केवल सामाजिक क्षेत्र तक सीमित है बल्कि हमारी आध्यात्मिक विरासत के लिए भी है। बौद्ध धर्म की तिब्बती परंपरा सबसे विस्तृत है। तिब्बत और तिब्बतियों के लिए हाल की चुनौतियां एक प्रकार का आशीर्वाद है क्योंकि इसने हमें अपनी संस्कृति के मूल्य को जानने-समझने में सक्षम बनाया है। मैं सभी मित्रों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूँ।’
‘मैंने एक सपना देखा था। उस सपने में मैं इसी तरह के स्थान पर था। मैं लोगों के बीच बैठा था और वहाँ बुद्ध मुझे अपनी ओर आने के लिए इशारा कर रहे थे। मैं उनके पास गया। उस समय मेरे पास उन्हें देने के लिए केवल कुछ चॉकलेट थीं, जो उन्होंने बहुत पसंद आईं। मैंने यथासंभव बुद्ध धर्म की सेवा की है और ऐसा करना जारी रखूंगा।’
‘आज, दुनिया भर में बौद्ध धर्म के प्रति रुचि बढ़ी है। यहां तक कि चीन में भी तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि बढ़ी है।’
तत्पश्चात, बोधिचित्त प्रतिज्ञा प्रदान करते हुए परम पावन ने कहा कि यह कितना अद्भुत सिद्धांत है कि बोधिचित्त स्वयं के हित के साथ-साथ दूसरों के हित के लिए भी आवश्यक है।
तत्पश्चात परम पावन ने बुद्ध मंत्र, तारा मंत्र, चेनरेसिग मंत्र, जम्पेलयांग मंत्र, हेयाग्रीव मंत्र, मेनला मंत्र और गुरु रिनपोछे मंत्र का मौखिक जाप किया।
जैसे ही तेनशुग प्रार्थना शुरू हुई, अमेरिका और कनाडा के ३० तिब्बती संघों के साथ-साथ कलमीकियाई, बुरातियाई, मंगोलियाई समुदायों के साथ-साथ शेरपा, तमांग, ह्योल्मो, भूटानी, लिमी, मुस्तांग, मनांगी, नुबरी और अन्य हिमालयी समुदायों और न्यूयॉर्क स्थित तिब्बती गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि प्रतीकात्मक रूप से खटग लहराते हुए मंच के सामने से जुलूस के रूप में गुजरे।
अंत में, आय-व्यय का लेखा-जोखा के अलावा प्राप्त दान के शेष के उपयोग के बारे में पूरा विवरण प्रस्तुत किया गया। समारोह में उपस्थित अनुयायियों में चीनी, कोरियाई, ताइवानी, अमेरिकी समुदायों के लोग भी शामिल हैं। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सेवारत और पूर्व अधिकारी, जिनमें पूर्व सर्वोच्च न्याय आयुक्त, कालोन त्रिसूर, सिसूर, कासूर, पूर्व सांसद, पूर्व सचिव के साथ ही सांसदों ने भी समारोह में भाग लिया।
हालांकि कार्यक्रम को अल्प सूचना पर आयोजित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में भक्तों ने इसमें शिरकत की। पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए निर्दिष्ट समय पर ऑनलाइन टिकट कार्यालय की घोषणा और उसके समय पर खुलने के लिए पूर्व व्यवस्था की गई थी। सारे टिकट दो घंटे के भीतर बिक गए। मेहमानों के लिए अलग रखे गए कुछ टिकट भी बाद में जनता के लिए जारी किए गए। वाशिंगटन, डीसी, टोरंटो आदि के तिब्बती समुदायों ने बसें किराए पर ले रखी थीं, ताकि उनके क्षेत्र के भक्त न्यूयॉर्क में परम पावन से आशीर्वाद प्राप्त करने के इस विशेष अवसर का लाभ उठा सकें।
समारोह का समापन शुभ नामथर (ओपेरा) के गायन के साथ हुआ, जिसके बाद परम पावन एरिना से अपने होटल के लिए प्रस्थान कर गए।
तिब्बत कार्यालय के अनुरोध पर अमेरिका के चोत्रुल मोनलम एसोसिएशन द्वारा समारोह के लिए प्रारंभिक प्रार्थना (शेदुप) १८ से २१ अगस्त २०२४ तक तिब्बती सामुदायिक केंद्र में आयोजित की गई थी।