
परम पवन दलाई लामा।
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मेरे प्रिय भाईयों एवं बहनों,
विश्वभर से अनेक लोगों द्वारा बार-बार अनुरोध करने के प्रत्युत्तर में, मैं इन शब्दों को लिख रहा हूँ। आज हम सब कोरोना वायरस महामारी फैलने के कारण असामान्य रूप से एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, आज मानव जगत जलवायु परिवर्तन जैसे अन्य विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। इस अवसर पर मैं, भारत सरकार सहित विश्व के अन्य सरकारों द्वारा इन समस्याओं के निवारण हेतु जो अभियान चलाये जा रहे हैं, उसके लिए सभी के प्रति अनुमोदन और आभार व्यक्त करता हूँ।
भारतीय पुरातन विद्या में यह उल्लिखित है कि समय के साथ इस दुनिया का निर्माण, स्थिति और विनाश होगा तथा हथियार एवं रोग इसके विनाश के कारणों में से एक होंगे। और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जो आज हम अनुभव कर रहे हैं वह उसके अनुरूप घटित हो रहा है। लेकिन, मनुष्य सहित सम्पूर्ण प्राणियों के समक्ष खड़े इन चुनौतियों के बावजूद हम सब सुख-दुःख के इस जीवन की गति को आगे बढ़ाने में सफल हुये हैं।
परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल हों, हमें इन समस्याओं का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्प एवं साहस के साथ तकनीक और मानवीय प्रतिभा का प्रयोग करना चाहिए। जब हमारे सेहत एवं कुशलक्षेम पर संकट आता है तो चिंता एवं भय का सताना स्वाभाविक है। तथापि, मुझे समस्याओं के विश्लेषण में नीचे दी गयी इस बुद्धिमत्तापूर्ण शिक्षा से अत्यन्त ढाढ़स मिलता है- ‘यदि (समस्या का) समाधान है, तो चिंता करने की क्या जरूरत है, और यदि समाधान नहीं है, तो चिंतित रहने से क्या लाभ।’
आज सभी लोग कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अपना श्रेष्ठतम प्रयास कर रहे हैं। मैं, सभी देशों द्वारा इस खतरे को नियंत्रित करने के ठोस प्रयासों की प्रशंसा करता हूँ। विशेषकर, भारत सरकार द्वारा कोविड-19 से निपटने के लिए अन्य सार्क देशों के साथ मिलकर एक आपात्कालीन निधि बनाने तथा सूचना, ज्ञान एवं विशेषज्ञ इत्यादि के आदान-प्रदान हेतु एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म बनाने की पहल करने की सराहना करता हूँ। यह पहल भविष्य में भी ऐसे संकटों का सामना करने में एक मिसाल पेश करेगा।
मैं समझ सकता हूँ कि दुनिया भर में इस प्रकार के अपरिहार्य लॉकडाउन से अनेकों लोगों को जीविका के अभाव में अत्यन्त विपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है। उन लोगों के लिए जिनका कोई स्थिर आय नहीं है, जीवन जीना एक दैनिक संघर्ष हो गया है। मैं आग्रहपूर्वक सभी संबन्धित लोगों से अपील करता हूँ कि समाज के कमजोर वर्ग की सहायता के लिए हर संभव प्रयास करें।
मैं उन सभी स्वास्थ्यकर्मियों- चिकित्सकों, नर्सों और अन्य सहयोगी कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ जो अपने व्यक्तिगत जीवन को खतरे में डालकर लोगों की जिदगी बचाने के लिए अग्रपंक्ति में खड़े होकर कार्य कर रहे हैं। उनकी यह सेवा वास्तव में करुणा का क्रियान्वयन है।
मैं हृदय के अन्तःकरण से मेरे भाईयों एवं बहनों के लिए चिंतित हूँ जो इस विकट समय का सामना कर रहे हैं। मैं, इस महामारी के शीघ्र अन्त होने की प्रार्थना करता हूँ जिससे आपके जीवन में सुख और शांति पुनः लौट आये।