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परिपत्र परमपावन 14वें दलार्इ लामा का 77वां जन्मदिन (6 जुलार्इ, 2012)

July 5, 2012

प्रिय मित्रो,

बहुत-बहुत शुभकामनाएं और टाशी डेलेक!

हम आपको हर्ष के साथ बताना चाहते हैं कि परमपावन दलार्इ लामा का 77वां जन्मदिन 6 जुलार्इ, 2012 को पड़ रहा है। जैसा कि आप जानते हैं पिछले वर्षों में परमपावन दलार्इ लामा द्वारा नवनिर्वाचित नेता कालोन ट्रिपा (तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री) डा. लोबसांग सांगे को अपनी राजनीतिक सत्ता सौंपने के बाद तिब्बती प्रशासन में एक नया लोकतांत्रिक बदलाव आया है।

सुधारों के अनुसार अब तिब्बत मसले को हल करने के संबंध में तिब्बत पर सभी तरह के राजनीतिक निर्णय की जिम्मेदारी केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की होगी। इसलिए हम तिब्बत आंदोलन का मजबूती से समर्थन कर रहे सभी तिब्बत समर्थक समूहों से अनुरोध करते हैं कि वे तिब्बत के भीतर आज़ादी और शांति की बहाली के लिए नए नेतृत्व को अपना पूरा समर्थन दें।

पूर्व कालोन ट्रिपा प्रोफेसर सामदोंग रिनपोछे द्वारा नए चुने हुए नेता डा. लोबसांग सांगे को राजनीतिक नेतृत्व का कार्यभार सौंपने (जिन्होंने 8 अगस्त, 2011 को यह जिम्मेदारी ग्रहण की) के तत्काल बाद अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस समारोह की शोभा बढ़ाने वाले परमपावन दलार्इ लामा ने एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बात कही थी कि, जब मैं युवा था तो मुझे राजनीतिक सत्ता तत्कालीन राजप्रतिनिधि (रीजेंट) तक्त्रक रिनपोछे ने सौंपी थी, आज मैं इसे एक लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए नेता को हस्तांतरित कर रहा हूं और यह मेरा लंबे समय से सपना रहा है। इससे साफतौर पर यह पता चलता है कि परमपावन कर्इ दशकों से लोकतंत्र की महान दृषिट रखते थे।

आज तिब्बत के भीतर के हालात काफी गंभीर हो चुके हैं, वहां विरोध के परंपरागत तरीकों जैसे अनशन, प्रदर्शन और यहां तक की शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने की भी गुंजाइश नहीं है। तिब्बती आत्मदाह कर लेने जैसे चरम कदम उठाने को मजबूर हैं। साल 2009 से अब तक हम तिब्बत के भीतर और बाहर आत्मदाह की ऐसी 39 घटनाएं देख चुके हैं। अकेले इस साल ही ऐसे 26 मामले सामने आ चुके हैं। ये आत्मदाह तथाकथित ‘समाजवादी स्वर्ग’ के तहत किए गए खोखले वादों को पूरी तरह से खारिज करते हैं और यह तिब्बती पहचान एवं गरिमा को दृढ़ता से पेश करते हैं।

कशाग (मंत्रिमंडल) ने निर्णय लिया है कि जन्म दिन को हम परमपावन के दीघायर् होने की प्रार्थनाओं के साथ मनाएंगे क्योंकि यह उनके राजनीतिक सत्ता त्यागने के बाद पहला साल है। इसलिए हम सभी तिब्बत समर्थकों से अनुरोध करते हैं कि इस दिन वे विभिन्न स्कूलों, कालेजों और विश्वविधालयों में तिब्बत, चीन और भारतीय सुरक्षा के बारे में संगोष्ठी, समूच चर्चा और सम्मेलनों का आयोजन करें जैसा कि धर्मशाला में आयोजित चौथे अखिल भारतीय तिब्बत समर्थक समूहों के सम्मेलन में तय किया गया है।

कृपया कार्यक्रमों की खबर, फोटो और अखबारों में छपी खबरों की किलपिंग हमारे कार्यालय को भेजें। हम तिब्बत के आंदोलन को मिल रहे आपके लगातार समर्थन के लिए अत्यंत आभारी हैं।

जय भारत, जय तिब्बत
आपका शुभेच्छु,
तेनजिन नोबर्
समन्वयक
भारत-तिब्बत समन्वय केंद्र


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