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प्रख्यात लेखक एवं पर्यावरणविद् कुंचोक त्सेफेल १३ साल जेल में रहने के बाद रिहा हुई।

March 22, 2022

प्रख्यात लेखक एवं पर्यावरणविद् कुंचोक त्सेफेल

phayul.com, चोकेल्हामो

धर्मशाला। प्रसिद्ध तिब्बती लेखक, शिक्षक और पर्यावरणविद् कुंचोक त्सेफेल गोपे त्सांग को कथित तौर पर १३ साल जेल की सजा काटने के बाद १८ मार्च को रिहा कर दिया गया है। उन्हें २००९ में ‘सरकार के गोपनीय सूचनाओं को लीक करने’ के आरोप में १५ साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। धर्मशाला स्थित अधिकार समूह ‘तिब्बतन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी (टीसीएचआरडी)’ को पता चला है कि एक साथी कैदी के जीवन को बचाने और जेल में ‘अच्छे व्यवहार’ के लिए त्सेफेल की सजा की अवधि लगभग दो साल कम कर दी गई थी।

सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया, ‘टीसीएचआरडी समझता है कि त्सेफेल और उसके परिवार के सदस्य इस तथ्य को देखते हुए कड़ी निगरानी में हैं कि त्सेफेल को अभी भी ’राजनीतिक अधिकारों से वंचित’ रहने की चार साल की पूरक सजा काटनी है। यह पुलिस के विवेक पर निर्भर करता है कि वह त्सेफेल की गतिविधियों और आवागमन पर अत्यधिक प्रतिबंध लगाए या नहीं।’

त्सेफेल पर्यावरण अधिकारी थे और पहली तिब्बती साहित्यिक वेबसाइट छोमेह (बटर लैंप) के सह-संस्थापक थे। इन्होंने प्रसिद्ध तिब्बती कवि क्याबचेन डेड्रोल के साथ ‘तिब्बती कवियों की तीसरी पीढ़ी’ के रूप में जाने जाने वाले साहित्यिक आंदोलन का नेतृत्व किया। यह स्वतंत्र और व्यक्तिवादी विचारधारा को बढ़ावा देता है।

चीनी अधिकारियों द्वारा २००५ में स्थापित उनकी वेबसाइट को विभिन्न अवसरों पर बंद या सेंसर किया गया था। उन्हें पहली बार २६ फरवरी २००९ को उनके घर पर छापेमारी के बाद हिरासत में लिया गया था और कंप्यूटर, कैमरा और सेल फोन सहित उनके सभी उपकरणों को जब्त कर लिया गया था। महीनों की मनमानी हिरासत के बाद आखिरकार १२ नवंबर को कन्ल्हो इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट द्वारा बंद कमरे में मुकदमे में अस्पष्ट आरोपों के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया। हालांकि, कई रिपोर्ट में कहा गया है कि उनपर लगे आरोप उनकी वेबसाइट की सामग्री और २००८ के विद्रोह के दौरान तिब्बत के बाहर जानकारी भेजने से संबंधित थे।

अपनी उम्र के ५० के दशक में चल रहे त्सेफेल कनल्हो तिब्बती स्वायत्त प्रान्त के माचू काउंटी में नगुलरा टाउनशिप के निवासी हैं। १९८९ में वह निर्वासन में भारत आए और हिमाचल प्रदेश स्थित तिब्बती सुजा स्कूल में दाखिला लिया था, जहां उन्होंने तीन साल तक तिब्बती और अंग्रेजी की पढ़ाई की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद १९९४ में वह तिब्बत लौट आए और फिर बीजिंग मिंज़ू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी और चीनी भाषा का अध्ययन किया। इसके बाद १९९७ से १९९९ तक उन्होंने लान्झोउ के नॉर्थ-वेस्ट नेशनलिटी यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी का अध्ययन किया। एक शिक्षक के रूप में उनका कैरियर माचू काउंटी के तिब्बती मिडिल स्कूल से शुरू हुआ, जहां उन्हें २००४ में अनुकरणीय सेवा के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार’ भी मिला।


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