वाशिंगटन-डीसी। चेक विदेश मंत्रालय के मानवाधिकार और संक्रमण नीति विभाग की निदेशक वेरोनिका मिटकोवा की आधिकारिक अमेरिकी यात्रा के अवसर पर वाशिंगटन डीसी स्थित चेक दूतावास ने मंगलवार ०६ फरवरी को चेक राजदूत के आवास पर दोपहर के भोजन की मेजबानी की। क्यूबा, वेनेजुएला, रूस और ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ दोपहर के भोजन में तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि नामग्याल चोएडुप और कर्मचारी सुल्ट्रिम ग्यात्सो शामिल हुए।
राजदूत मिलोस्लाव स्टासेक ने वेरोनिका मिटकोवा के साथ दोपहर के भोजन में शामिल होने वाले मेहमानों का स्वागत किया। राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि चेक सरकार अपनी विदेश नीति के प्रमुख घटकों के रूप में मानवाधिकारों और लोकतंत्र को प्राथमिकता देती है। निदेशक मिटकोवा ने राष्ट्रपति वैक्लाव हावेल के साथ काम करने की अपनी यादों और सरकार और नागरिक समाज के तौर पर मानवाधिकार मुद्दे के क्षेत्र में अपनी भागीदारी को याद किया। स्वतंत्र दुनिया के समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने में चेक सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने के साथ ही उन्होंने दुनिया भर में अधिनायकवादी शासनों को गंभीर मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मानवाधिकार रक्षकों सहित मीडिया और नागरिक समाज को चेक सरकार के ठोस समर्थन का भी आश्वासन दिया। उन्होंने मेहमानों से अपने अनुभव बयां करने का आग्रह किया और इस पर सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी कि कैसे चेक सरकार दुनिया भर में मानवाधिकारों और लोकतंत्र के लिए अपने समर्थन को और मजबूत कर सकती है।
प्रतिनिधि नामग्याल चोएडुप ने तिब्बती मुद्दे के प्रति अटूट समर्थन और दुनिया भर में अधिनायकवादी शासनों के खिलाफ खड़ा होने और मानवाधिकारों और लोकतंत्र पर सैद्धांतिक विदेश नीति अपनाने में वैश्विक और नैतिक नेतृत्व के लिए चेक सरकार और वहां के लोगों के प्रति गहरी सराहना व्यक्त की। उन्होंने आगे बताया कि कैसे चीनी कम्युनिस्ट शासन द्वारा तिब्बत पर ७० वर्षों से अधिक समय के कब्जे के बावजूद, बीजिंग तिब्बती लोगों का विश्वास जीतने में सक्षम नहीं हो पाया है। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए तिब्बती लोगों सहित दुनिया भर के उत्पीड़ित लोगों के लिए मानवाधिकार और लोकतंत्र पर सैद्धांतिक रुख अपनाना बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है।