धर्मशाला। नई दिल्ली में १७ और १८ जनवरी को आयोजित एशियाई बौद्ध शांति सम्मेलन (एबीसीपी) की १२वीं महासभा ने सर्वसम्मति से परम पावन दलाई लामा को ‘बौद्ध धर्म का वैश्विक सर्वोच्च धर्मगुरु’ घोषित किया। ऐसा करके बौद्ध समुदायों को करीब लाने और मानवता की एकता की भावना को मजबूत करने में उनके आजीवन योगदान को एक तरह से मान्यता प्रदान की गई।
‘द बुद्धिस्ट वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ थीम वाले दो दिवसीय सम्मेलन में परम पावन १४वें दलाई लामा के जन्मदिन ०६ जुलाई को ‘वैश्विक करुणा दिवस’ के रूप में घोषित किया गया, जो भगवान बुद्ध और परम पावन की मूल उपदेशों का सम्मान है। इसमें कहा गया है कि १४वें दलाई लामा एक सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण करेंगे। सम्मेलन ने अपने प्रस्ताव में गैडेन फोडरंग संस्थान की महत्ता को स्वीकार किया और परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म की मान्यता में सरकारों या व्यक्तियों के किसी भी तरह के हस्तक्षेप को खारिज कर दिया।
एबीसीपी की १२वीं महासभा के उद्घाटन समारोह के लिए परम पावन दलाई लामा और विभिन्न देशों के प्रमुख नेताओं ने शुभकामना संदेश भेजे। अपने पत्र में परम पावन ने ‘एशिया और दुनिया में शांति को बढ़ावा देने के लिए अधिक जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता के साथ-साथ बौद्ध संस्कृति और मूल्यों को मजबूत करने के प्रयासों के लिए पहल करने के लिए एबीसीपी की सराहना की।
आज की दुनिया में यह बहुत स्पष्ट है कि दूसरे लोगों को ‘हम’ और ‘वे’ के संदर्भ में देखने की हमारी प्रवृत्ति दुर्भाग्य से मतभेदों को पैदा करती है और संघर्षों को जन्म देती है। पत्र में आगे कहा गया है, ‘ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम मानवता की एकता की सराहना करने में विफल रहते हैं। हालांकि, जब हम यह जान जाएंगे कि हम सभी एक जैसे इंसान हैं तो हम सद्भाव और दोस्ती में रहना और एक-दूसरे की मदद करना सीख सकते हैं। सम्मेलन को दिया गया परम पावन का संदेश गरीबी और पर्यावरणीय संकट से उत्पन्न खतरों को कम करने को लेकर भी सुझव देता है। इसमें कहा गया है कि इससे न केवल उन लोगों को मदद मिलेगी जो आज जीवित हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी मदद मिलेगी।
इसके अलावा सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने भी व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया। सम्मेलन में भारत, मंगोलिया, रूस, दक्षिण कोरिया, लाओस, बांग्लादेश, जापान, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया, भूटान और नेपाल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
धर्म और संस्कृति विभाग के सचिव चाइम छेयांग ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में एबीसीपी के सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिनिधियों द्वारा अपनी रिपोर्ट पढ़ने के बाद एबीसीपी इंडियन नेशनल सेंटर के सचिव सोनम वांगचुक शक्स्पो ने सम्मेलन द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव को पढ़ा।