जोधपुर. तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि भारत गुरु है, तो तिब्बत चेला है। उन्होंने यह बात बुधवार को यहां एक होटल में एक इंस्टीट्यूट और बाद में राजमाता कृष्णाकुमारी गल्र्स स्कूल के कार्यक्रम में कही। वे यहां अपनी तीन दिवसीय जोधपुर यात्रा पर आए हुए हैं। दलाई लामा ने अपने संबोधन में सबसे पहले भाइयों व बहनों कहा तो तालियों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई।
भारतीय ज्ञान और संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आठवीं सदी में नालंदा के शोधार्थियों ने तिब्बत साम्राज्य में बौद्ध धर्म को स्थापित किया। इसी तरह तक्षशिला के ज्ञान का तिब्बत में प्रसार हुआ, नागाजरुन, आर्य, द्रविड़ आदि ने भी बोधत्व को बढ़ावा दिया। भारत आज भी ज्ञान का भंडार है। उसने अपनी संस्कृति को बचा रखा है, अन्यथा आधुनिक जमाने में कई देशों की संस्कृतियां भी खत्म हो गई हैं। आधुनिक शिक्षा में मानवीय मूल्यों की कमी हो गई है, मगर भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां मानवीय मूल्य भी जिंदा हैं। इसलिए मानवता को बचाने के लिए भारत ही विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘तिब्बत ने भारत से बहुत कुछ सीखा है। सही मायने में भारत गुरु है और तिब्बत चेला। सही कहूं तो भारत की रोशनी से ही तिब्बत जगमग है।’ उन्होंने ठहाका लगा कर कहा कि चेला भी बहुत विश्वासपात्र है जो अपने गुरु के सम्मान में हर वक्त खड़ा रहता है। उन्होंने कहा किआतंकी घटनाओं व वैमनस्य से भरी पिछली सदी में दो सौ मिलियन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। पृथ्वी के अलावा कहीं और हमारा घर नहीं है, इसलिए उसे बचाने के लिए एकजुट होना जरूरी है।