भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

भारत वैश्विक शांति में योगदान देने में अत्यधिक सक्षम है रू परमपावन दलाई लामा

January 14, 2020

बोधगया, बिहार। बोधगया में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम बीजी) विश्वविद्यालय में एक वार्ता के दौरान परमपावन दलाई लामा ने आज के विश्व में भारत के प्राचीन ज्ञान और परंपरा की प्रासंगिकता की ओर ध्यान आकृष्ट किया।
सभा को संबोधित करते हुए परम पावन ने आनंद प्राप्ति के बारे में अपने रुख को दोहराया कि यह आनंद की प्राप्ति सभी संवेदनशील प्राणियों का परम लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि स्थायी खुशी केवल करुणा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
परम पावन ने कहा, ‘आम तौर पर मनुष्य अपने स्वार्थ और अदूरदर्शी सोच के कारण अंधा हो जाता है, जो कई समस्याओं का मुख्य कारण है।‘ उन्होंने कहा, ‘हमारी सहज प्रकृति करुणा है इसलिए हमें उसका पोषण करना चाहिए। इसके अलावा इस ग्रह पर सभी सात अरब मानव एक ही परिवार हैं।‘
20वीं सदी के युद्धों को याद करते हुए परम पावन ने कहा कि पिछली सदी की त्रुटियों को न दोहराकर 21वीं सदी को शांति और करुणा की सदी बनाने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा कि अगर मानवता की वास्तविक शांति और सद्भाव की आवश्यकता है और इसे आपा चाहते हैं तो अहिंसा और करुणा के प्राचीन भारतीय ज्ञान की साधना करनी पड़ेगी।
केवल शांति के लिए नारे लगाना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि शांति के लिए हिंसा और घातक हथियारों को खत्म के लिए पुरजोर प्रयास करना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि शत्रुता और असुरक्षा के समय में संवाद की शक्ति से बड़ा कोई और दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता है।
आज की दुनिया में प्रासंगिक उपकरण के रूप में ‘अहिंसा’ और ‘करुणा’ के महत्व को रेखांकित करते हुए परम पावन ने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी प्राचीन परंपरा और विचार को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा इस बात पर जोर देता हूं कि भारत एकमात्र राष्ट्र है जो मन की शांति विकसित करने के लिए आधुनिक शिक्षा को अपने प्राचीन ज्ञान के साथ जोड़ सकता है।‘
परम पावन ने आगे उल्लेख किया कि मन की शांति के लिए घातक नकारात्मक भावनाओं का मुकाबला करने के लिए भारत की एक बिंदु पर ध्यान केंद्रति करने की विधि और विश्लेषणात्मक ध्यान की परंपरा भी रचनात्मक है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्कूल पाठ्यक्रम में भारत के प्राचीन ज्ञान और परंपरा को पुनर्जीवित करने को एक शैक्षणिक विषय के रूप में शामिल करना जरूरी है। परम पावन ने उल्लेख किया कि ऐसा करके भारत कई और महान विचारक पैदा करने की सक्षम हो सकता है।


विशेष पोस्ट

तिब्बत पर विश्व सांसदों का नौवां सम्मेलन टोक्यो घोषणा-पत्र, टोक्यो कार्य योजना और परम पावन १४वें दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के सम्मान में प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न

5 Jun at 9:29 am

दीर्घायु प्रार्थना समारोह में शामिल हुए परम पावन दलाई लामा

4 Jun at 10:59 am

तिब्बत पर विश्व सांसदों के नौवें सम्मेलन के लिए दुनिया भर के सांसद टोक्यो पहुंचे

3 Jun at 3:17 pm

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

3 Jun at 7:22 am

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

संबंधित पोस्ट

तिब्बत पर विश्व सांसदों का नौवां सम्मेलन टोक्यो घोषणा-पत्र, टोक्यो कार्य योजना और परम पावन १४वें दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के सम्मान में प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न

2 weeks ago

दीर्घायु प्रार्थना समारोह में शामिल हुए परम पावन दलाई लामा

2 weeks ago

तिब्बत पर विश्व सांसदों के नौवें सम्मेलन के लिए दुनिया भर के सांसद टोक्यो पहुंचे

2 weeks ago

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

2 weeks ago

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

1 month ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service