भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

मानव कल्याण के लिए भगवान बुद्ध से प्रेरणा लें : दलाईलामा

January 3, 2017

नई दुनिया, 2 जनवरी, 2017

बोधगया। मानव जगत के कल्याण के लिए भगवान बुद्ध से प्रेरणा लें। चाहे कोई भी धर्म हो, चित्त से ध्यान कर उसका अनुपालन करना चाहिए। केवल प्रार्थना करने से कुछ नहीं होता।

अपने-अपने धर्म के शास्त्रों में बताए गए धार्मिक मूल्यों का अनुसरण करें। सभी धर्म के शास्त्रों में करुणा व मैत्री को विशेष स्थान दिया गया है। करुणा-मैत्री के नियमित अभ्यास से ही विश्व शांति व कल्याण संभव है।

सोमवार को बोधगया (बिहार) के ऐतिहासिक कालचक्र मैदान पर तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने 34वीं कालचक्र पूजा के धार्मिक क्रियाकलापों की विधिवत शुरुआत करते हुए उपरोक्त संदेश दिया।

उन्होंने कालचक्र पूजा का आगाज करते हुए विश्व शांति का आह्वान किया। इसके पूर्व पारंपरिक वाद्ययंत्र वादन और तांत्रिक मंत्रोच्चार के बीच दलाईलामा ने भूमि पूजन किया। मौके पर हजारों बौद्ध श्रद्धालु उपस्थित थे। कार्यक्रम दो घंटे तक चला।

इसके बाद दक्ष बौद्ध लामा ने मंडाला (पूजा चिह्न) निर्माण का काम शुरू कर दिया। धर्मगुरु ने निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांग्ये को दीक्षित किया। उसके बाद सुसज्जित मंच पर लगाए गए आसन पर विराजमान होकर प्रवचन सत्र की शुरुआत की। धर्मगुरु ने कालचक्र के महत्व से श्रद्धालुओं को अवगत कराते हुए कहा कि दान, शील, प्रज्ञा, शांति, सत्य व मैत्री आदि पारमिताएं हैं।

पारमिता के उदय होने से बुद्धत्व संभव है। बुद्धत्व प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील व्यक्ति को बोधिसत्व कहते हैं। अनेक जन्म की साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति होती है। 20 भाषाओं में अनुवाद दलाईलामा तिब्बती भाषा में प्रवचन कर रहे हैं। इस प्रवचन का विश्व की 20 भाषाओं में अनुवाद कर एफएम बैंड से प्रसारण किया जा रहा है।

धर्मगुरु को बताया गया कि हिंदी, अंग्रेज़ी, जापानी, कोरियाई, रूसी, चाइनीज, मंगोलियन, वियतनाम, थाई आदि भाषाओं के अनुवादक इस कार्य में लगे हैं। 11 प्रवेश द्वार पर लंबी कतार कालचक्र मैदान पर 14 प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इसमें एक धर्मगुरु व अतिविशिष्ट लामाओं के लिए सुरक्षित है।

दूसरा द्वार विशिष्ट अतिथियों और एक मीडियाकर्मियों के लिए है। शेष 11 प्रवेश द्वार पर धर्मगुरु दलाईलामा के पहुंचने के लगभग एक घंटे पूर्व से श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी थी। सघन तलाशी के बाद ही मैदान में प्रवेश दिया जा रहा था।

दलाईलामा से मिला थाई शिष्टमंडल आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा से सोमवार को उनके आवासन स्थल तिब्बत मंदिर में 20 सदस्यीय थाई शिष्टमंडल मिला। दल का नेतृत्व थाई भारत सोसाइटी वट पा के वरिष्ठ भिक्षु फ्रा बोधिनंदा मुनि कर रहे थे। शिष्टमंडल सदस्यों को संबोधित करते हुए धर्मगुरु ने कहा कि बौद्ध धर्म का जन्म भारत में हुआ और यहीं से विश्व के विभिन्न देशों में फैला।

Link of news articles: http://naidunia.jagran.com/national-take-a-cue-from-the-buddha-to-human-welfare-dalai-lama-926248


विशेष पोस्ट

तिब्बत पर विश्व सांसदों का नौवां सम्मेलन टोक्यो घोषणा-पत्र, टोक्यो कार्य योजना और परम पावन १४वें दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के सम्मान में प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न

5 Jun at 9:29 am

दीर्घायु प्रार्थना समारोह में शामिल हुए परम पावन दलाई लामा

4 Jun at 10:59 am

तिब्बत पर विश्व सांसदों के नौवें सम्मेलन के लिए दुनिया भर के सांसद टोक्यो पहुंचे

3 Jun at 3:17 pm

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

3 Jun at 7:22 am

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

संबंधित पोस्ट

तिब्बत पर विश्व सांसदों का नौवां सम्मेलन टोक्यो घोषणा-पत्र, टोक्यो कार्य योजना और परम पावन १४वें दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के सम्मान में प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न

2 weeks ago

दीर्घायु प्रार्थना समारोह में शामिल हुए परम पावन दलाई लामा

2 weeks ago

तिब्बत पर विश्व सांसदों के नौवें सम्मेलन के लिए दुनिया भर के सांसद टोक्यो पहुंचे

2 weeks ago

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

2 weeks ago

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

1 month ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service