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यार्चेन गार की उपसंपदा दीक्षा प्राप्‍त बौद्ध भिक्षुणियों को ‘पुनःशिक्षा’ के लिए वापस तिब्बत भेजा गया

August 3, 2022

bitwinter.org / हे युयान

(तिब्बत में भिक्षुणियों की संख्या को सीमित करने के कारणभिक्षुणियां सिचुआन के बड़े मठ में गई थीं। सीसीपी के व्‍यापक तंत्र ने उन्हें वहां से खोज निकाला।)

यार्चेन गार दुनिया का सबसे बड़ा मठ हुआ करता था। यह गारज़ू तिब्बती स्वायत्त प्रि‍फेक्‍चर में स्थित है, जो ऐतिहासिक रूप से तिब्बत का हिस्सा हुआ करता था, जिसे अब चीनी प्रांत सिचुआन में शामिल कर दिया गया है। यार्चेन गार के अधिकांश निवासी तिब्बती बौद्ध भिक्षुणियाँ हैं।यहां भिक्षुणियों की बड़ी संख्‍या को देखते हुए इस विशाल मठ को ‘भिक्षुणियों के  शहर’ भी कहा जाता था। एक समय में यहां लगभग १०,०००भिक्षुणियां रहती थीं।

कुछ साल पहले तकसीसीपी ने भिक्षुणियों को निगरानी में रखा था, लेकिन यार्चेन गार में पर्यटकों को भी आने दिया जाता था। ऐसा यह दिखाने के लिए किया जाता था कि तिब्बती बौद्ध धार्मिक स्वतंत्रता में रहते हैं। वास्तव में, जब अधिकारियों को लगा कि मठ बहुत अधिक बढ़ रहा है, तो २१वीं सदी की शुरुआत में ही इसके कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया था।

हालांकि शी जिनपिंग के नेतृत्व में यह भावना बनी रही कि यार्चेन गार सीसीपी के लिए खतरा है, और २०१७ और २०१९में यहां बड़े पैमाने पर विध्वंस किए गए, जिसका व्यापक अंतरराष्ट्रीय विरोध भी हुआ। उस समय हजारों भिक्षुणियों को ‘पुनर्शिक्षा’ के लिए शिविरों में भेजा गया था।

उसी समय, सीसीपी ने ‘यार्चेन गार पर्यटन’ के नाम पर एक जटिल खेल खेला। समय-समय पर, मठ के विध्वंस और भिक्षुणियों को निर्वासित करने के लिए पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई। इस दौरान, मठ परिसर के क्षेत्र पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की प्रक्रिया में रहे हैं। सीसीपी के ऐसे लोग, जो यार्चेन गार को अनगिनत अन्य धार्मिक स्मारकों की श्रेणी में देखना चाहते हैं, उनकी इच्‍छा के अनुरूप इस मठ को पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र और इसे ‘डिज्नीफाइड’ रूप में परिवर्तित कर दिया गया है, शायद वहां कुछ सीसीपी समर्थक भिक्षुणियों को छोड़ दिया गया है जो केवल पर्यटकों द्वारा फोटो खिंचने के लिए होंगी।

हालांकि, हाल ही मेंसीसीपी को यार्चेन गार में एक नई समस्या का सामना करना पड़ा है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में सीसीपी द्वारा लगाई गई कोटा सीमा उन उपसंपदा वाली भिक्षुणियों की संख्या को सीमित करती हैं जिन्हें बौद्ध मठों में प्रवेश दिया जा सकता है। उपलब्ध जगह से ज्यादा लड़कियां भिक्षुणी बनना चाहती हैं। कोविडऔर गहन सीमा निगरानी अब इन लड़कियों के भारत या नेपाल जाने और वहां के मठों में उपसंपदा दीक्षा ग्रहण करने की संभावना को सीमित कर देती है।

उनके लिए एकमात्र विकल्प टीएआर के बाहर चीन में ही मठ की तलाश करना है। विध्वंस के बावजूद, यार्चेन गार अभी भी एक बड़ा मठ और एक प्रतिष्ठित संभावना है। यह बताता है कि क्यों टीएआर की सैकड़ों बौद्ध लड़कियां सिचुआन के यार्चेन गार में भिक्षुणी बनने की उम्मीद में गईं।

हालांकि, सीसीपी इसे तिब्बत में बौद्ध भिक्षुणियों की संख्या को सीमित करने वाले नियमों के परिणामों से बचने के लिए एक बचाव के रूप में देखती है। पिछले कुछ हफ्तों में यार्चेन गार को पर्यटकों के लिए फिर से सख्ती से बंद कर दिया गया हैऔर टीएआर से उपसंपदा दीक्षा ग्रहण करने के लिए आई लड़कियों को बसों में डाल कर वापस टीएआर में भेज दिया गया है। हालांकि उन्‍हें उनके घर पर नहीं भेजा गया। उन्‍हें ‘पुनर्शि‍क्षा के लि‍ए शिक्षा शिविरों’ में डाल दिया गया है। ऐसा कर वे यह दिखाना चाहते हैं कि आप सीसीपी के लंबे हाथों से बच नहीं सकती हैं।


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