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‘यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस यूथ लीडर्स’ के साथ संवाद का पहला दिन

September 23, 2022

dalailama.com

२२ सितंबर २०२२

थेगछेन छोलिंग, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश। आज २२ सितंबर की सुबह परम पावन दलाई लामा ‘युनाइटेड स्टेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस (यूएसआईपी)’ के युवा नेताओं और शांति कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए अपने आवास के श्रोता कक्ष में पधारे। सबसे पहले उन्होंने सावधानीपूर्वक उनके चेहरों पर गौर किया और फि‍र गर्मजोशी से‘गुड मार्निंग’ बोलकरउनका अभिवादन किया।

बैठक के मॉडरेटर यूएसआईपी में एप्लाइड कॉन्फ्लिक्ट ट्रांसफॉर्मेशन के उपाध्यक्ष डेविड यांगने घोषणा की कि परम पावन और यूएसआईपी प्रतिनिधियों के बीच यह सातवीं बातचीत है। उन्होंने बताया कि आज और कल परम पावन १२ संघर्षरत क्षेत्रों के २६ युवा नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले दो वर्षों से यह बैठक ऑनलाइन आभासी संवाद के रूप में चल रहा था, लेकिन अब यह वापस शारीरिक रूप में आ गया है जिससे सभी खुश हैं।

कहानी सुनाना युवा नेताओं के प्रशिक्षण का हिस्‍सा होता है और यांग ने स्पष्ट किया कि वे परम पावन को बताना चाहते हैं कि कैसे युद्धग्रस्‍त क्षेत्र के बच्चे शांति सैनिक बन सकते हैं। उन्‍होंने बताया कि इस बैठक के दौरान चार विषयों पर चर्चा होगी। वे हैं-परस्‍पर संबंध, करुणा, आंतरिक शांति तथा समता और न्याय।

दक्षिण सूडान के कुओल ने बातचीत की शुरुआत की। एक बाल सैनिक के तौर पर युद्ध में भाग ले चुके कुओल अपने उस कड़वे अनुभव का उपयोग यह सुनिश्‍च‍ित करने के लिए कर रहे हैं कि आगे से कोई भी बच्चा कम उम्र में बंदूक न उठाए। उन्होंने उस समय को याद किया,जब उनके देश में युद्ध चरम पर था। उस  समय  गांवों में कोई पुरुष नहीं बचा था, केवल महिलाएं और बच्चे थे। जिस किसी परिवार में दो लड़के होते थे तो उनमें से एक को सैनिक बना लिया जाता था। अब वह उन्हें शिक्षा और अन्य अवसरों तक पहुंच देना चाहते हैं।

सीरिया की रूबी ने महसूस किया कि शांति स्‍थापित करने के लिए मानवशास्त्रीय और नृतत्‍ववंशीय संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है और उसी के अनुसार अध्ययन करना होता है। वह शांति-निर्माण, न्याय, महिलाओं के अधिकार और जलवायु संबंधी मुद्दों से संबंधित परियोजनाओं पर काम कर रही हैं। उन्‍होंने अपने इस अहसास के बारे में बात की कि पुरुष और महिला समान रूप से सक्षम हैं, लेकिन दोनों को शक्तिशाली और बहादूर होने की आवश्यकता है।

कोलंबिया की एंजेला एक मनोवैज्ञानिक हैं, जिन्होंने किशोरों और वयस्कों के साथ अनौपचारिक शिक्षा पद्धतियों, कार्यशालाओं, नेतृत्व और सॉफ्ट-कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को मजबूत और बहादुर होने और समाधान का हिस्सा बनने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

सोमालिया के मोहम्मद गरीबी उन्मूलन और स्थायी शांति के निर्माण के उपकरण के रूप में सामाजिक नवाचार, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता पर केंद्रित काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में आए महत्वपूर्ण बदलाव की घटना को याद किया, जब उनका सामना दो बंदूकधारियों से हुआ। उनमें से एक उनका पूर्व सहपाठी ही था। उन्होंने ऐसे लोगों को कौशल प्रदान करने के लिए एक शिक्षक बनने का संकल्प लिया जो उन्‍हें रोजगार दिलाने और शांतिपूर्ण सोमालिया के निर्माण में योगदान करने के लायक बनाएगा।

नाइजीरिया से मोजिसोला लिंग, शांति-निर्माण और मानवाधिकारों के क्षेत्र में सक्रिय रूप से संलग्न है। वह किस्‍सागोई, अभिनय और संवाद के माध्‍यम से महिलाओं, युवाओं, शांति और सुरक्षा पर कार्यशालाओं की सुविधा प्रदान करती हैं। उन्होंने अपनी मां द्वारा झेली जाने वाली परेशानियों के साथ ही महिलाओं द्वारा एक-दूसरे की मदद और पूर्वाग्रह और दबाव का सामना करने में एक-दूसरे की मदद करने के लिए एक क्लब बनाने के अपने प्रयासों का वर्णन किया।

कोलंबिया के लियोनार्डो कला, वैकल्पिक विकास और निरंतर सीखने के क्षेत्र में काम करते हैं। उन्होंने हस्तलिखित पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से पूर्व एफएआरसी लड़ाकों और आम नागरिकों को एक साथ लाने का काम किया है। स्कूल के एक कमरे में खुद को अकेला पाकर उन्‍हें इस इस बात का महत्व समझ में आया कि कोई भी पीछे न छूटने पाए या बि‍ल्‍कुल छूटा हुआ महसूस नहीं करे। वे कहते हैं कि यह सुनिश्चित करना अहम है कि लोग महसूस करें कि वे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

प्रस्तुतियों के पहले सेट पर प्रतिक्रिया देते हुएपरम पावन ने घोषणा की:

“हमें एक बेहतर शांतिपूर्ण विश्व और एक खुशहाल मानव समाज बनाने के लिए प्रयास करना होगा। हम नस्ल, राष्ट्रीयता और धर्म के संदर्भ में अपने बीच के भेदों की पहचान कर सकते हैं।लेकिन बेहतर होगा कि हम समग्र रूप से मानवता के बारे में सोचें। हम सबका समान अधिकार है। हम सभी एक मां से पैदा हुए हैं और हममें से ज्यादातर लोग मां का दूध पी चुके हैं। हम अपने जीवन की शुरुआत से मां की दया पर निर्भर हैं। सौहार्दता एक उपयुक्त प्रतिक्रिया है।

आधुनिक शिक्षा आंतरिक मूल्यों के बजाय भौतिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करती है। ऐसा लगता है कि यह इस बात पर जोर देने कि हम अनिवार्य रूप से वही हैं और हमें एक साथ रहना है के बजाय‘हम’और ‘उन’की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।

हम सबकी दो आंखें, एक नाक, एक मुंह है। अगर हममें से किसी एक की तीन आंखें होंतो यह आश्चर्य की बात होगी। अगर हम अपने दिमाग की बात करें, तो वे भी उतने ही जटिल होंगे। इसलिए हमें आपस में भाई-बहन होने की भावना को प्रोत्साहित और मजबूत करना होगा।

जैसा कि मैंने कहा कि हम सभी एक ही तरह से पैदा हुए हैंऔर अंत में हम सभी को एक ही तरह से प्रस्‍थान करना है। जब ऐसा हैतो इस तरह का समारोह करना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्‍वपूर्ण यह है कि हमारे आसपास रिश्तेदारों और दोस्तों का स्नेह रहे। जैसा कि मैंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि मैं और १५ या २० साल जीने की उम्मीद करता हूं।लेकिन जब मैं मरूं तो मैं भारत में स्वतंत्र और दोस्तों से घिरा होना पसंद करूंगा, न कि कठोर चीनी कम्युनिस्ट अधिकारियों से।

स्वतंत्रता हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है। हमें अपने दिमाग लगाने में सक्षम होने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, हमेशा ‘क्‍यो’ जैसा सवाल पूछने में सक्षम होना चाहिए। इस दृष्टि से अधिनायकवादी व्यवस्था पूर्णतया प्रतिकूल है। यह स्वतंत्रता ही है जो सौहार्दता और करुणा को बढ़ावा देती है, जो आंतरिक शांति की ओर ले जाती है। जब आप सौहार्दपूर्ण होते हैं तो डरने का कोई आधार नहीं होता है। डर मन के लिए बुरा है और बहुत आसानी से क्रोध की ओर ले जाता है। और क्रोध मन की शांति का दुश्मन है।

मैं करुणा की साधना करता हूं।इसलिए मैं जहां भी जाता हूं, मुस्कुराता रहता हूं और खुशी महसूस करता हूं। मनुष्य के रूप में हमें यह पता लगाना होगा कि शांति के साथ कैसे रहना है।

यह पूछे जाने पर कि वह क्‍या चीज है जि‍ससे एक अच्छा नेता तैयार होता है, परम पावन ने निर्वाचित नेतृत्व के लाभों पर बल दिया। यह पूछे जाने पर कि क्रोध पर कैसे काबू पाया जाए, उन्होंने उन परिस्थितियों का परीक्षण करने का सुझाव दिया,जो आपको ऐसा करने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने व्यापक, दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की। उनसे इस बात बात के लिए सुझाव देने को कहा गया कि कैसे पुरुष और महिलाएं एक साथ रहना सीख सकते हैं।उन्होंने बस इतना ही कहा कि पुरुषों को महिलाओं की जरूरत है और महिलाओं को पुरुषों की जरूरत है। इतना सुनते हीसभी हंस पड़े।

किस्‍सागो के दूसरे समूह ने करुणा के बारे में बात की। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शांति-निर्माण, समस्या समाधान, सरकार और लोकतंत्र को मजबूत करने के मुद्दों पर योगदान करनेवाले कोलंबिया के सेबेस्टियनने एक लड़ाके से सामना होने का वाकया याद किया। उन्होंने वर्णन किया कि कैसे एक छोटी लड़की के प्रकट होने पर उनके मन से शत्रुतापूर्ण भावनाएंखत्‍म हो गईं और उनके प्रतिद्वंद्वीने उसे उठाकर गले लगा लिया।

इथियोपिया की हेलिनायुवा नेताओं को शांति परियोजनाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं और कमजोर समुदायों में जोखिम और असमानता को कम करने के लिए उन्‍हें सशक्त बनाना चाहती हैं। हेलिना ने सुझाव दिया कि परिवर्तन लाने के लिएहमें मानवता की रक्षा करनी होगी।

परम पावन ने यूरोपीय संघ (ईयू) की भावना की अपनी चिरपरिचित प्रशंसा को व्यक्त करने के लिए हस्तक्षेप किया। वह इस  बात से बहुत प्रभावित हैं कि फ्रांस और जर्मनी के बीच सदियों के संघर्ष के बावजूदद्वितीय विश्व युद्ध के बाद एडेनॉयर और डी गॉल ने यूरोपीय संघ की स्थापना की। तब सेसंघ के सदस्यों के बीच कोई हिंसा नहीं हुई है। उन्होंने सुझाव दिया कि बाकी दुनिया शांति की खोज में इस उदाहरण का अनुसरण कर सकती है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात आंतरिक शांति प्राप्त करना है। लेकिन आप किसी दुकान में मन की शांति नहीं खरीद सकते। यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे किसी कारखाने में उत्पादित किया जा सकता है।

वेनेजुएला की अन्ना ने बताया कि वह अपने देश की सड़कों पर टैंकों को देखकर किस तरह से आक्रोशि‍त हो गई थी। उन्‍होंने अपनी सुरक्षा के लिए केवल लकड़ी की  ढाल बनाई और उन्‍हें चुनौती दी। वह काफी अकेला महसूस कर रही थी, इतना विनाश देखकर व्यथित थी। एक बार एक सुरक्षित स्थान पर आ जाने के बाद उन्‍होंने खुद से पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है। और अब वह शांति के लिए काम करने वाले युवाओं, विशेषकर महिलाओं की मदद करने के लिए समर्पित है।

अद्भुत, परम पावन ने उत्तर दिया। हम सभी खुश रहना चाहते हैं और शांति से रहना चाहते हैं। लेकिन हमें पूरी मानवता को ध्यान में रखते हुए इसके लिए काम करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘हमें पूरी तरह से विसैन्यीकृत दुनिया को अपना लक्ष्‍य बनाने की जरूरत है। मैं तिब्बत से हूं, जहां का सब कुछ चीनी कम्युनिस्टों के कड़े नियंत्रण में है। लेकिन तिब्बती भावना प्रबल है और हमने नालंदा परंपरा को संरक्षित रखा है। हम बंदूकों पर निर्भर रहने के बजाय करुणा का उपयोग करते हैं। बुद्ध ने क्षमा और करुणा के बारे में जो शिक्षा दी, उसमें साठ लाख तिब्बतियों ने अपना विश्वास जताया है।

‘और क्योंकि जलवायु परिवर्तन बहुत गंभीर मुद्दा है, इसलिए हमें पारिस्थितिकी पर भी ध्यान देना चाहिए।‘

दक्षिण सूडान के डेनिस जल प्रबंधन, प्रदूषण,जलवायु परिवर्तन सहित पर्यावरण और शांति-निर्माण पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार के रूप में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने मानवाधिकारों के इतने उल्लंघन देखे हैं।लेकिन उन्हें मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जैसे लोगों का उदाहरण प्रेरित करता है,जिन्होंने घृणा और कष्‍टों से मुक्त शांतिपूर्ण समाज बनाने के लिए काम किया।

दक्षिण सूडान की ही न्याबोथशांति, लिंग, संस्कृति और इतिहास पर विशेष ध्यान देने के साथ सामाजिक मुद्दों के बारे में बोलती हैं। वह साक्ष्य-आधारित तर्कों और शांतिपूर्ण परिवर्तन के अभियान के माध्यम से जीवन को बदलने की कोशिश कर रही हैं। जब २०१३में संघर्ष छिड़ गयातो वह युगांडा में सीमा पार कर गई और एक बुजुर्ग व्यक्ति से मिलीं,जिन्‍होंने उसे बताया कि उन्‍हें लग रहा है कि वह हमेशा भाग रहे हैं। जब वह वापस लौटीतो वह उस महिला की कहानी सुनकर बहुत व्‍यथित हो गई, जिसे परिवार द्वारा उसके लिए चुने गए व्यक्ति से शादी करने से इनकार करने पर भाई ने पीट-पीट कर मार डाला था। उन्‍हें इस बारे में कुछ करने की सख्त जरूरत महसूस हुई,भागने की नहीं। अब वह इस बात को लेकर दृढ़ है कि महिलाओं और लड़कियों को अपनी पसंद चुनने का अधिकार होना चाहिए।

नाइजीरिया के नोरल ने अपने नौवें जन्मदिन को याद किया, जब उनकी मां ने उनके लिए उनके लिए पसंदीदा चावल का व्यंजन तैयार किया था। उसी दिन तीन लोगों ने अंदर घुसकर उनके सामने ही मां के साथ बलात्कार किया और मां की हत्या कर दी। उन्होंने वर्णन किया कि उस समय जो हुआ उससे उबरना२० साल बाद भी कितना कठिन है।लेकिन वह उस दि‍न को देखने के लिए प्रतिबद्ध है कि महिलाएं हिंसा और बलात्कार की शिकार न बनाई जाएं।

डेविड यांग के यह पूछने पर कि वे अपने जीवन में करुणा को कैसे बनाए रख सकते हैं, परम पावन ने घोषणा की:

“मेरा मानना ​​है कि मनुष्य के रूप में हम सभी मौलिक रूप से दयालु हैं। हमें मानवीय मूल्यों पर आधारित एक ऐसी दुनिया-एक विसैन्यीकृत दुनिया का निर्माण करना है। एक ऐसी दुनिया, जो हथियारों के इस्तेमाल पर निर्भर नहीं होगी। जब लोग लड़ते हैं और मरते हैंतो उनके दिमाग में शांति नहीं होती है, लेकिन हम करुणा पर आधारित दुनिया के निर्माण की कल्पना कर सकते हैं।‘

यह पूछे जाने पर कि शांति लाने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है, परम पावन ने टिप्पणी की:

‘मैं एक बौद्ध हूं और जैसे ही मैं हर सुबह उठता हूं, मैं खुद को याद दिलाता हूं कि सभी इंसान मेरे जैसे ही हैं- हम सभी खुश रहना चाहते हैं। मैं अपने जीवन का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करता हूं कि अन्य प्राणी खुश रहें। यह करुणा है जो मन की शांति लाती है, क्रोध और घृणा नहीं,इसलिए हमें अपने भाइयों और बहनों के रूप में पूरी मानवता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।‘

परम पावन ने नकारात्मक अनुभवों को अलग रखने और सकारात्मक लक्ष्य निर्धारित करने का उपदेश दि‍या। उन्होंने कहा कि लोगों को अधिक दयालु होने की शिक्षा देना संभव है क्योंकि हम सभी के पास अपने जीवन की शुरुआत से ही करुणा का बीज है- हमें बस इसे पोषित करना है। मुख्य कारक सौहार्दता का विकास करना है।

डेविड यांग ने सत्र का सार प्रस्तुत किया जो अपनेपन और परिवार और सामुदायिक बंधनों की गर्मजोशी को अभिव्‍यक्‍त करने वाला था।

परम पावन ने टिप्पणी की, ‘मैं ऐसे लोगों से मिलकर खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं जिनका भविष्य उनके आगे है। हम दिन-प्रतिदिन कैसे जीते हैं, यह हमारे भविष्य को प्रभावित करता है। मैं दोहराता हूं कि सौहार्दता प्रमुख कारक है। मैं हमेशा इसके बारे में सोचता हूं क्योंकि यह सौहार्दता ही है जो हमें मन की शांति देती है। कल फि‍र मिलते हैं।‘


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