धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) के कालोन (मंत्री) नोरज़िन डोल्मा ने ०५ अक्तूबर को अपने विभाग में यूरोपीय संसद और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय कार्यालय फ्रेडरिक नौमान फाउंडेशन फॉर फ्रीडम (एफएनएफ) के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।
यूरोपीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल में ऑस्ट्रियाई संसद सदस्य यानिक शेट्टी, ऑस्ट्रिया की वियना असेंबली के सदस्य डोलोरेस बाकोस,जर्मनी की थुरिंगिया स्टेट पालिर्यमेंट के डिप्टी स्पीकर डिर्क बर्गनर, जर्मनी के जेना नगर निगम के विभागाध्यक्ष रेजिना बर्गनर, जर्मनी के एफडीपी बुंडेस्टाग समूह के संसदीय दल के नेता टॉर्स्टन हर्बस्ट, जर्मन सांसद सैंड्रा वीसर, क्रिस्टीन एशेनबर्ग-डुग्नस और ओलाफ इन डेर बीक शामिल थे।
फ्रेडरिक नौमैन फाउंडेशन (एफएनएफ) के प्रतिनिधिमंडल में एफएनएफ दक्षिण एशिया के प्रमुख डॉ. कार्स्टन क्लेन, एफएनएफ दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय परियोजना प्रबंधक फ्रैंक हॉफमैन, एफएनएफ दक्षिण एशिया के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक नूपुर हसीजा, एफएनएफ दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय कार्यक्रम और संचार प्रबंधक हिमांशु चावला, एफएनएफ दक्षिण एशिया के कार्यक्रम और संचार अधिकारी तेनज़िन पलजोर, एफएनएफ इंटर्न अलेक्जेंडर ड्रूप और जर्मनी में एफएनएफ के विकास सहयोग और परियोजनाओं के सलाहकार यानिक मेफ़र्ट शामिल थे। एफएनएफ प्रतिनिधिमंडल के साथ सीटीए के वित्त विभाग के सामाजिक और संसाधन विकास कोष (एसएआरडी) से तेनज़िन नोरसांग भी थे।
एक घंटे तक चली बैठक के दौरान कालोन नोरज़िन डोल्मा ने प्रतिनिधियों को तिब्बत के अंदर की गंभीर स्थिति, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की वर्तमान स्थिति, तिब्बत के संबंध में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तिब्बत की अपेक्षाओं से अवगत कराया। उन्होंने तिब्बती मुद्दे की प्रासंगिकता का श्रेय परम पावन दलाई लामा के नैतिक नेतृत्व, तिब्बत के अंदर तिब्बतियों के लचीलेपन, निर्वासित तिब्बतियों के प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन को दिया। इसके अलावा कालोन ने तिब्बत के अंदर की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला और चीन सरकार द्वारा लागू की गई कठोर नीतियों को रेखांकित किया। इनमें धार्मिक अधिकारों और स्वतंत्रता को कम करना और मठों को निशाना बनाना प्रमुख हैं। चीन सरकार तिब्बती मठों को अपनी हालिया नीति के खिलाफ ‘बगावत का अड्डा’ मानती है। इस नीति के तहत चीन की कम्युनिस्ट सरकार तिब्बती बच्चों को औपनिवेशिक शैली के आवासीय स्कूलों में जबरन प्रवेश कराती है और बच्चों को संशोधित बनावटी इतिहास की शिक्षा चीनी भाषा में दे रही है। उन्होंने मध्यम-मार्ग नीति के तहत चीन-तिब्बत संघर्ष के समाधान की मांग करने के लिए सीटीए के प्रतिबद्ध रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि यह चीनी सरकार और तिब्बती लोगों-दोनों की मूलभूत चिंताओं को दूर करनेवाली नीति है।
कालोन ने परम पावन दलाई लामा और तिब्बती समुदाय को निवास के लिए जगह देने और तिब्बती पहचान के संरक्षण में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार और यहां के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। इसी तरह उन्होंने अमेरिकी सरकार द्वारा तिब्बतियों को वित्तीय सहायता और समर्थन करने वाले कानूनों के रूप में राजनीतिक सहायता के प्रति आभार जताया। इसके साथ ही कालोन ने तिब्बत मुद्दे पर यूरोपीय देशों के समर्थन को याद किया। इसके अलावा, उन्होंने पूर्वी तुर्केस्तान, इनर मंगोलिया, ताइवान, हांगकांग सहित उत्पीड़ित समूहों के साथ गठबंधन बनाने के सीटीए के प्रयासों पर प्रकाश डाला और बताया कि उसका परम उद्देश्य दुनिया भर के उत्पीड़ित समूहों का गठबंधन बनाना है। बैठक में डीआईआईआर के सचिव कर्मा चोयिंग और सूचना विभाग के अतिरिक्त सचिव नामग्याल छेवांग भी उपस्थित थे।