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चीनी अधिकारी तिब्बत की राजधानी ल्हासा में सरकारी कर्मचारियों और छात्रों को बौद्ध पवित्र महीने सागा दावा के दौरान करीब से नजर रख रहे हैं। इन लोगों को इस दौरान पारंपरिक धार्मिक समारोहों में भाग लेने से मना किया गया है। तिब्बत के सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
तिब्बती चंद्र कैलेंडर का चैथा महीना सागा दावा इस साल 23 मई को शुरू हुआ। यह महीना बुद्ध के जन्म, मृत्यु और ज्ञान प्राप्ति का महीना है और पारंपरिक रूप से दुनिया भर के बौद्ध देशों में मनाया जाता है।
हालांकि, ल्हासा के प्रसिद्ध जोखांग मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों को अब जनता के लिए खोल दिया गया हैं, लेकिन शहर के निवासी एक व्यक्ति ने आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया, ष्छात्रों, सरकारी कर्मचारियों और सरकारी पेंशन पाने वाले व्यक्तियों को इन धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है।ष्
आएफए के सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि, इसी तरह तिब्बती स्कूली बच्चों के माता-पिता को चीनी अधिकारियों के साथ बैठकों में चेतावनी दी गई है कि वे अपने बच्चों को सागा दावा के दौरान धार्मिक समारोहों में शामिल होने की अनुमति न दें।
सूत्र ने बताया कि, “अधिकारियों ने कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों, सरकारी कर्मचारियों और छात्रों को चेतावनी दी है कि धार्मिक समारोह में भाग लेने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।”
उन्होंने बताया कि “इस समय ल्हासा में पुलिस की गतिविधि भी काफी बढ़ गई है।”
ल्हासा के एक दूसरे सूत्र ने कहा, “ल्हासा में कोरोनोवायरस के प्रारंभिक मामले आने के बाद ही तिब्बत के स्कूलों को लंबे समय के लिए बंद कर दिया गया था।”
ल्हासा के एक अन्य सूत्र ने बताया कि ल्हासा क्षेत्र के स्कूलों को कोरोनोवायरस के फैलने की आशंका के बीच ही आखिरकार लंबी अवधि के बाद पूरी तरह से खोल दिया गया है।
स्कूली बच्चों में से ही एक के अभिभावक ने नाम का खुलासा न करने की शर्त पर बताया कि, ष्ल्हासा में कोरोना वायरस के शुरुआती मामले आने के दौरान ही तिब्बत के स्कूलों को लंबे समय के लिए बंद कर दिया गया था।ष्
उन्होंने बताया कि “धीरे-धीरे स्कूल फिर से खोले गए, लेकिन ज्यादातर किंडरगार्डन और डे केयर सेंटर बंद रहे, जिन्हें 25 मई के बाद ही फिर से खोला गया।”
क्षेत्र के सूत्रों का कहना है कि चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्रों के अधिकारियों ने लंबे समय से इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि तिब्बती बच्चों पर बौद्ध धर्म, पारंपरिक तिब्बती संस्कृति और राष्ट्रीय पहचान जैसे प्रभावों को प्रतिबंधित किया जाए।