जिनेवा। इस साल २३ जनवरी को संयुक्त राष्ट्र के २४ सदस्य देशों ने चीन के चौथे वैश्विक आवधिक समीक्षा (यूपीआर) चक्र के दौरान अपने मौखिक बयानों में तिब्बत और तिब्बतियों का उल्लेख किया। इनमें से २१ देशों ने तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई, जिसके परिणामस्वरूप २३ सिफारिशें की गईं।
चीन का मानवाधिकार रिकॉर्ड तिब्बतियों, उग्यूरों और हांगकांग में असंतुष्टों के साथ उसके व्यवहार पर गहन जांच का प्रमुख केंद्र था। चीन की समीक्षा में तिब्बत का मुद्दा उठाने वाले देश- ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, जापान, लिथुआनिया, मोंटेनेग्रो, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन और अमेरिका थे।
तिब्बत में चीन के मानवाधिकार उल्लंघनों को सदस्य देशों ने अपने बयानों से व्यापक फलक पर पेश किया। इसमें बीजिंग द्वारा सांस्कृतिक संहार और राजनीतिक सिद्धांत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उसके अधिकारों के रिकॉर्ड की समीक्षा करने का आग्रह किया गया है। समीक्षा के दौरान मुख्य फोकस विशेष रूप से चीन द्वारा सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों के दमन पर था। सदस्य देशों ने तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की और विशेष रूप से औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों को समाप्त करने का आह्वान किया। इन स्कूलों के माध्यम से १० साल से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों, भाषा, धर्म और संस्कृति से अलग कर दिया गया है। सदस्य देशों ने निजी स्कूलों को अधिकृत करने, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए तिब्बतियों की रिहाई और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को तिब्बत में निर्बाध आवागमन की आजादी देने का भी आह्वान किया।
हमेशा की तरह चीन सरकार ने तिब्बत में आवासीय स्कूलों को देश में शिक्षा में समानता लाने के लिए शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच अंतर को पाटने के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है। हालांकि चीन यह सबूत देने में विफल रहा है कि स्कूलों में पाठ्यक्रम युवा तिब्बती छात्रों के बीच तिब्बती भाषा या संस्कृति को कमजोर नहीं करता है। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न आंकड़ों के आधार पर कहा कि तिब्बतियों को धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अधिकार प्राप्त हैं। हालांकि उनके दावे में कोई दम नहीं दिखा। चीनी प्रतिनिधिमंडल द्वारा तिब्बतियों की सहमति से संचालित होने वाली पुनर्वास नीतियों की रूपरेखा तैयार की गई थी। चीनी राजदूत ने आलोचना का खंडन किया और आरोपों को चीन को कलंकित करने वाला, झूठा और अपमानजनक बताया।
सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के सचिव कर्मा चोयिंग ने संयुक्त राष्ट्र की चीन समीक्षा में तिब्बत का मुद्दा उठाने वाले देशों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की सराहना की और कहा, ‘हम उन सभी देशों के आभारी हैं, जिन्होंने पीआरसी सरकार की गैरकानूनी शासन के तहत तिब्बत की गंभीर मानवाधिकार स्थिति को उठाया। तिब्बत के भीतर की स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए चीन को वैश्विक आवधिक समीक्षा पर ध्यान देना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा प्रदान की गई सिफारिशों का पालन करना चाहिए। तिब्बतियों और अन्य लोगों के संरक्षित अधिकारों का सम्मान करने के अपने दायित्वों का पालन करने के अलावा चीन को तिब्बती पहचान को कमजोर करने वाली अपनी विलयवादी गतिविधियों को तुरंत बंद करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा चीन की समीक्षा से कई महीने पहले तिब्बती ब्यूरो जिनेवा ने केंद्रीय तिब्बती महिला संघ और स्विट्जरलैंड और लिकटेंस्टीन के तिब्बती समुदाय के साथ मिलकर जुलाई २०२३ में तिब्बत में मानवाधिकारों के व्यवस्थित और व्यापक उल्लंघन के पैटर्न का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया था। रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सिफारिशें करने के अलावा तिब्बती संस्कृति पर चीनी सरकार की दमनकारी नीतियों के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूल, तिब्बती पहचान और भाषा का चीनीकरण, धार्मिक स्वतंत्रता पर दमनात्मक कार्रवाई, विभिन्न राष्ट्रीयताओं का दमन, निगरानी प्रणाली, तिब्बती पर्यावरण का विनाश और मनमानी गिरफ़्तारियां शामिल है।
चीन ने पिछले साल फरवरी में वैश्विक आवधिक समीक्षा से पहले आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के कार्यान्वयन समीक्षा के अपने तीसरे चक्र को पूरा किया। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति ने चीन द्वारा व्यापक उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए अपनी निष्कर्षात्मक टिप्पणियों के साथ चीन की समीक्षा की। इसमें अनुरोध किया गया कि पीआरसी सरकार तिब्बत में औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों के संचालन और तिब्बतियों के बड़े पैमाने पर पुनर्वास के अपने कार्यक्रम को तुरंत बंद कर दे और तिब्बतियों को बिना किसी हस्तक्षेप के अपने सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करे।
वैश्विक आवधिक समीक्षा या यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू (यूपीआर) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को हर पांच साल में अन्य सभी सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की समीक्षा करने का अवसर प्रदान किया जाता है। यूपीआर का उद्देश्य रचनात्मक आलोचना करना और हर देश के मानवाधिकार रिकॉर्ड और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुपालन के लिए सिफारिशों की जांच सुनिश्चित करना है। चीन की पिछली यूपीआर ०६ नवंबर २०१८ को की गई थी।