बेंगलुरु। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग पेन्पा छेरिंग बाल्टिक क्षेत्र के देशों- एस्टोनिया, लाटिविया, लिथुआनिया के अलावा फिनलैंड, ब्रिटेन और बेल्जियम की अपनी सफल यात्रा के बाद ०६ फरवरी २०२४ की सुबह बेंगलुरु हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतरे। हवाई अड्डे पर दक्षिण क्षेत्र के मुख्य कार्यालय प्रतिनिधि (सीटीए) के कर्मचारियों द्वारा सिक्योंग का स्वागत किया गया।
अपने आधिकारिक कार्यक्रमों के क्रम में सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने बेंगलुरु के आईटीएफएस सदस्यों के साथ माउंट कार्मेल कॉलेज का दौरा किया और वहां के छात्रों को संबोधित किया। बातचीत सत्र के दौरान सिक्योंग ने ‘तिब्बती पठार के वैश्विक महत्व’ पर मुख्य भाषण दिया, जिसमें ‘दुनिया की छत’ कहे जानेवाले तिब्बत की ऊंचाई और वैश्विक पर्यावरण, जलवायु और भूविज्ञान के लिए इसके महत्व पर जोर दिया गया। सिक्योंग ने भारत-तिब्बत संबंधों के लंबे इतिहास के बारे में बात की। सदियों से चले आ रहे इस संबंध में सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक पहलू शामिल हैं। सत्र में महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के छात्र उपस्थित थे। ४० मिनट तक संबोधन के बाद प्रश्नोत्तर सत्र हुआ और अधिकांश छात्रों ने प्रश्नोत्तर सत्र में गहरी रुचि लेते हुए सक्रिय रूप से भाग लिया। अपने भाषण से पहले सिक्योंग ने कॉलेज के संकाय सदस्यों के साथ संक्षिप्त बातचीत की।
दोपहर के भोजन के दौरान तिब्बती राजनीतिक नेता ने तिब्बत मुक्ति साधना के संबंध में न्यू इंडियन एक्सप्रेस के बाला चौहान को साक्षात्कार दिया। सिक्योंग ने बाद में भारत सरकार की पूर्व विदेश सचिव श्रीमती निरुपमा राव से दोपहर में उनके आवास पर मुलाकात की। उन्होंने श्रीमती राव के साथ तिब्बत की वर्तमान स्थिति और तिब्बत के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर चर्चा की और तिब्बत के हित के लिए उनसे निरंतर समर्थन मांगा।