tibet.net
रोम और मिलान। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने शनिवार, ३० अक्तूबर की सुबह मिलान में सीनेटर रॉबर्टो रैम्पी और तिब्बत समर्थक समूह (टीएसजी) के सदस्यों से मुलाकात की।
तिब्बत समर्थकों के साथ अपनी बातचीत में उन्होंने तिब्बत के लिए उनके अटूट समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और एक उपयोगी परिणाम प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे के सहयोग से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्वासन में तिब्बती लोगों की स्थिति और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की गतिविधियों के बारे में भी बात की।
अन्योन्याश्रयता की अवधारणा पर बोलते हुए सिक्योंग ने कहा कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं और हमें आपके समर्थन की आवश्यकता है, जबकि तिब्बती निर्वासितों द्वारा लाए गए तिब्बती बौद्ध धर्म के गहन ज्ञान से आपको भी लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हम यहां एक-दूसरे के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। यह अन्योन्याश्रितता और आपसी प्रशंसा का प्रतीक है। तिब्बतियों के निर्वासन में आने का एक सकारात्मक पहलू यह है कि तिब्बती बौद्ध धर्म पश्चिम में फलने-फूलने लगा है। अगर तिब्बत स्वतंत्र रहता तो ऐसा नहीं होता।’
उन्होंने कहा कि ‘यह भी एक सच्चाई है कि आप जैसे तिब्बत समर्थकों के समर्थन और प्यार के कारण तिब्बत मुद्दा जिंदा है। ६० साल पहले जब से परम पावन दलाई लामा निर्वासन में आए, तिब्बती लोगों ने लगातार प्रगति की है। तिब्बतियों का नेतृत्व अब लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेतृत्व कर रहा है। हालांकि, तिब्बती लोगों ने अब तक जो कुछ भी हासिल किया है, वह परम पावन दलाई लामा के प्रयासों का परिणाम है। हम तिब्बतियों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘तिब्बत के अंदर की स्थिति के मामले में हालात बदतर होते जा रहे हैं, भले ही यह उग्यूर और हांगकांग के मुद्दे की तरह हाई प्रोफाइल नहीं है। उदाहरण के लिए तिब्बती भाषा अत्यधिक दबाव में है। चीन जानते हैं कि यदि तिब्बती भाषा का सफाया कर दिया गया तो तिब्बती बौद्ध धर्म और संस्कृति दोनों विलुप्त हो जाएगी।’
गेफीलिंग बौद्ध संस्थान में तिब्बती समुदाय के साथ बातचीत में सिक्योंग ने उन्हें यात्रा के दौरान अपनी व्यस्तताओं के बारे में ताजा जानकारियों से अवगत कराया। उन्होंने विशेष रूप से इटली पहुंचने पर दक्षिण टायरॉल के राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपनी बैठकों के बारे में बताया।
उन्होंने वास्तविक स्वायत्तता की मांग जैसी राजनीतिक समस्याओं को हल करने के लिए राजनीतिक संकल्प के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने समझाया, ‘यदि केंद्र और क्षेत्रीय सरकार दोनों की राजनीतिक इच्छा है तो इटली में दक्षिण टायरॉल के मामले की तरह ही अन्य किसी भी राजनीतिक संघर्ष को हल किया जा सकता है। १९९३ से, हम दक्षिण टायरॉल सरकार के संपर्क में हैं और हम तिब्बती दक्षिण टायरॉल के मामले को एक संदर्भ बिंदु के रूप में देखते हैं। इसलिए यहां आने के बाद से मैं दक्षिण टायरॉल के साथ व्यक्त किए गए संबंधों को मजबूत करने के लिए दक्षिण टायरॉल सरकार के अध्यक्ष से मिला।’
सिक्योंग ने इटली के साथ तिब्बत के प्राचीन संबंधों के बारे में भी संक्षेप में बताया। उन्होंने तिब्बत और इटली के बीच प्राचीन संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘ऐतिहासिक रूप से इटली के साथ तिब्बत के संबंध गहरे और प्राचीन हैं। १७वीं शताब्दी से इतालवी जेसुइट और कैपुचिन मिशनरियों ने तिब्बत में प्रवेश करना शुरू किया। १३वीं सदी में भी इटली के पादरी तिब्बत में आए थे। कुछ लोग कहते हैं कि इतालवी खोजकर्ता मार्को पोलो विशेष रूप से कोकोनोर क्षेत्र के आसपास तिब्बत आए हो सकते हैं।’ सिक्योंग ने तिब्बत के लिए विशेष रूप से अपने एमईपी दिवंगत मार्को पैनेला जैसे नेताओं के माध्यम से समर्थन के लिए इटली के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
सिक्योंग ने परम पावन दलाई लामा के तिब्बती लोगों के प्रति अपार योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि तिब्बती लोग आज आधुनिक शिक्षा और सापेक्ष समृद्धि का लाभ उठा रहे हैं। यह सब परम पावन दलाई लामा की दूरदर्शी दृष्टि और प्रयासों के कारण है।’ उन्होंने आगे कहा कि चूंकि उन्हें तिब्बती लोगों द्वारा सिक्योंग की भूमिका सौंपी गई है, वे तिब्बती लोगों के कल्याण और चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए तिब्बती चार्टर के अनुसार काम करेंगे। उन्होंने समझाया कि समाज में समस्याएं तब उत्पन्न होती हैं जब लोग जान-बूझकर या अनजाने में नियमों और विनियमों का दुरुपयोग या गलत व्याख्या करते हैं।
सिक्योंग ने सहयोगात्मक प्रयासों और पहलों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए जनता के सहयोग और समर्थन का आह्वान किया और स्पष्ट किया कि अकेले सिक्योंग या कशाग ही सब कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘लोगों और कशाग के संयुक्त प्रयासों से ही हम कुछ हासिल कर सकते हैं।’ उन्होंने तिब्बती प्रशासन की गतिविधियों के बारे में सूचित करते रहने के महत्व पर भी बात की और जहां आवश्यक हो वहां शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि तिब्बत और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आप कई तरह के समाचार आउटलेट पर जा सकते हैं।
सिक्योंग ने शाही काल से तिब्बती इतिहास को शाक्यपा, फागमोद्रुपास, रिनपुंगपास, देपा त्संगपास और फिर गदेन फोडंग सरकार के क्रमिक शासन के अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें पता होना चाहिए कि उस समय क्या हुआ था और तिब्बत में १८वीं शताब्दी के बाद क्या परिवर्तन हुए थे? तिब्बती इतिहास की पक्की समझ के बिना, संकीर्ण क्षेत्रीय और सांप्रदायिक संघर्ष में शामिल होना गैर-जिम्मेदाराना कदम है, खासकर जब हमारे पास अपनी कहने के लिए एक मुट्ठी जमीन भी नहीं है। ऐसा लगता है कि हममें से कुछ लोग यह समझने में पूरी तरह से गलत हैं कि हमारा असली दुश्मन कौन है।’
परम पावन दलाई लामा द्वारा परिकल्पित मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के बारे में बोलते हुए सिक्योंग ने उस राजनीतिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की व्याख्या की, जिसके तहत मध्यम मार्ग का दृष्टिकोण आया। उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति और तिब्बती बौद्ध धर्म का सार तिब्बती भाषा में संरक्षित है।