
धर्मशाला। वर्तमान में जंगथांग (लद्दाख) में तिब्बती खानाबदोश बस्तियों के आधिकारिक दौरे पर चल रहे सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने आज १३ जुलाई की सुबह जंगथांग सुमधो से मीडिया को संबोधित किया और ‘रिज़ॉल्व तिब्बत ऐक्ट‘ को अमेरिका के कानून में शामिल करने, आगे बढ़ाने और अनुवाद करने में शामिल सभी लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
सिक्योंग ने कहा, ‘आज सुबह जब मैं लद्दाख के तिब्बती खानाबदोश बस्तियों में से एक- सुमदो में सोकर उठा, तो मुझे यहां एक अच्छी खबर मिली कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने आज सुबह ‘रिज़ॉल्व तिब्बत ऐक्ट या तिब्बत समाधान विधेयक’ पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना दिया है। आज की तारीख भारत में १३ जुलाई और संयुक्त राज्य अमेरिका में १२ जुलाई है। मैं इस अवसर पर राष्ट्रपति जो बिडेन को इस कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और साथ ही विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष अमेरिकी सांसद मैककॉल और जिम मैकगवर्न को इसे सदन में पेश करने और सदन, समिति और फिर सदन में इसे पारित कराने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं रिपब्लिकन पार्टी से सीनेटर टॉड यंग और डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर जेफ मर्कले और सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिन्होंने इसे सीनेट समिति और सीनेट में सर्वसम्मति से पारित कराने में अपना पूरा सहयोग दिया।
यह तिब्बत पर अमेरिकी नीति और चीन-तिब्बत संघर्ष या विवाद को हल करने के तरीके में बदलाव है, जैसा कि कानून में उल्लेख किया गया है। यह कानून हमारे लिए इस मायने में महत्वपूर्ण है कि अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास २००२ से तिब्बत पर एक कानून है जिसे ‘यूएस-तिब्बत समर्थन और नीति अधिनियम २०२०‘ के माध्यम से संशोधित किया गया है। इस बीच, एक और कानून भी पारित किया गया था जिसे रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट (आरएटीए) कहा जाता है। यह चौथा कानून है और यह हमारे लिए राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अधिनियम या कानून तिब्बत को एक अनसुलझा मुद्दा बताता है और कहता है कि अगर भविष्य में चीन-तिब्बत विवाद को हल करने की आवश्यकता है तो इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हल किया जाना चाहिए। कानून तिब्बती लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के बारे में भी बात करता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून में है। कानून चीन के प्रचार या चीन के इस दावे को स्वीकार न करने की भी बात करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका मान्यता नहीं देता है, और परम पावन ने भी मान्यता नहीं दी है।
यह विशेष प्रावधान चीन की ओर से तिब्बती इतिहास, तिब्बती लोगों, संस्थाओं और परम पावन दलाई लामा के बारे में गलत जानकारी या गलत बयानबाजी का मुकाबला करने की बात करता है। इस अधिनियम का अंतिम भाग तिब्बत के क्षेत्र के बारे में है। यह केवल तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, जिसे चीन तिब्बत के रूप में परिभाषित कर रहा है और उन्होंने अब इसका नाम बदलकर शिज़ांग रख दिया है। इसकी जगह यह कानून कहता है कि न केवल तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, बल्कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बाहर के क्षेत्र, जैसे कि किंघई प्रांत, सिचुआन प्रांत, और गांसु और युन्नान भी तिब्बत का हिस्सा हैं। तो यह तिब्बत पर अमेरिकी नीति में एक नया बदलाव है। मुझे लगता है कि इसे अलग-अलग पर्यवेक्षकों, चीनी पर्यवेक्षकों और तिब्बती पर्यवेक्षकों द्वारा अलग-अलग तरीकों से समझा गया है। हमारे लिए, यह एक नया उपकरण है। अब हमें अमेरिकी सरकार के साथ-साथ कई अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करना शुरू करना होगा ताकि उन्हें अमेरिकी सरकार द्वारा अपनाए गए रुख के समान रुख अपनाने के लिए राजी किया जा सके।
मैं इस तथ्य से पूरी तरह से अवगत हूं कि अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन द्वारा कानून पर हस्ताक्षर करने के बाद व्हाइट हाउस से आए बयान के एक हिस्से को लेकर कुछ लोग काफी चिंतित हैं, जिसमें तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और तिब्बत के अन्य हिस्सों के चीन का हिस्सा होने के बारे में अमेरिका की घोषित स्थिति का उल्लेख है। यह कानून पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है, क्योंकि कानून मुख्य रूप से तिब्बत की स्वतंत्र देश के रूप में ऐतिहासिक स्थिति की बात करता है। इसलिए, मुझे उम्मीद है कि लोग इसे गलत नहीं समझेंगे। वे इसे सही भावना से लेंगे। यह किसी भी तरह से कानून को प्रभावित नहीं करता है। बेशक, अमेरिका-चीन संबंधों के बीच बहुत तनाव है और ऐसी चीजें हैं जिन्हें अमेरिकी सरकार को निपटारा करना है। इसलिए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करते समय उन सभी को भी ध्यान में रखना होगा। आप सभी का धन्यवाद।
बहुत से लोगों ने बहुत प्रयास किया है। यह केवल अमेरिकी संसद के पुरुष और महिलाएं ही नहीं हैं जिन्होंने सदन और सीनेट दोनों में, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पक्षों के समर्थन से बिल को पारित किया है। इसमें हमारी ओर से भी अप्रैल २०२२ से सीटीए की ओर से रणनीति बनाकर बहुत प्रयास किए गए हैं। इस तरह के प्रयास पिछले २६ महीनों से चल रहा है। तिब्बत कार्यालय के साथ सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में हमारा नेतृत्व बहुत प्रेरणादायक रहा है। इस मामले में प्रतिनिधि नामग्याल चोएडुप ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमने इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत (आईसीटी) के मित्रों, विशेष रूप से रिचर्ड गेरे, जो बहुत अच्छे दोस्त हैं, पुराने दोस्त हैं, ने हर बार हमारे साथ आकर कैपिटोल हिल (वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सरकार का मुख्यालय) में पैरवी करने में साथ निभाया है। मैंने अमेरिका का दौरा किया, मैं वहां छह बार गया। चार बार गेरे हमारे साथ रहे। एक बार वे शारीरिक रूप से हमारे साथ शामिल नहीं हो पाए, लेकिन वे ऑनलाइन हमारे साथ शामिल हुए। रिचर्ड ला, मैं इस विधेयक को आगे बढ़ाने में आपके समर्थन, मदद और मार्गदर्शन के लिए आपको धन्यवाद देना चाहता हूं। साथ ही मैं आईसीटी के अध्यक्ष तेनचो ला के अतिरिक्त आईसीटी में भुचुंग ला, फ्रांज और अन्य मित्रों के पूरे नेतृवर्ग को धन्यवाद देना चाहता हूं। इन सब महानुभावों ने लगातार पिछले २६ महीने तक इसे पारित करने के लिए बहुत-बहुत मेहनत की है। मैं तिब्बत के लिए जनमत बनानेवालों (लॉबिस्टों)द्वारा भरपूर समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं। इनमें वे युवा तिब्बती भी शामिल हैं, जो कई वर्षों से वाशिंगटन जाते रहे हैं। विशेष रूप से इस वर्ष ११ और १२ मार्च को २०० से अधिक तिब्बती कैपिटोल हिल में विशेष रूप से इस बिल पर लॉबिंग कर रहे थे। इसके अतिरिक्त और बहुत से तिब्बत समर्थक हैं जिन्होंने इस बिल का समर्थन करने के लिए नेताओं को पत्र लिखा है। इस अभियान में तिब्बती समुदायों ने भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए इस अनुभव से हम जानते हैं कि यदि हम अपनी सारी ऊर्जा सकारात्मक दिशा में लगाते हैं तो परिणाम प्राप्त करना संभव है। इसका सारा श्रेय हम में से हर एक को जाता है जिसने इस पर काम किया है। हम इसे एक सबक के रूप में याद रखें कि हमें भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए कैसे मिलकर काम करना चाहिए। इसलिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। यह तिब्बत के अंदर रहनेवाले और बाहर निर्वासित में रहनेवाले तिब्बतियों के लिए बहुत मायने रखता है। आगे हमें उस गति से काम करना होगा जो हमने पहले ही तय कर ली है। तो चलिए इसे पूरा करते हैं। हमें यह काम मिलकर करना है। मैं फिर से आप सभी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
सिक्योंग ने आगे कहा, हर कोई जानता है कि यह सब परम पावन दलाई लामा के आशीर्वाद से हो रहा है। मैं परम पावन को उनके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि कल से परम पावन बिना किसी सहारे के अपने बल पर चलने लगे हैं। परम पावन बहुत अच्छी तरह से ठीक हो रहे हैं। मैं उन हर तिब्बती और गैर-तिब्बतियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने परम पावन के स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना की है। परम पावन के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए हमें उनके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए। इससे तिब्बती आंदोलन की दीर्घकालिक स्थिरता में काफी मदद मिलेगी। आप सबका एक बार फिर से बहुत-बहुत धन्यवाद।