वाशिंगटन। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि कम्युनिस्ट चीन के समक्ष और खुलापन एंव स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र के वैशिवक रुख को अपनाने के सिवा अन्य कोई विकल्प नही है और इससे ही लंबित तिब्बत मुद्दे का मार्ग प्रशस्त होगा । निवार्सित तिब्बती नेता ने कहा कि एक बार चीन ज्यादा खुलापन का एहसास करे तब तिब्बत मुद्दे का बडी आसानी से समाधान हो सकता है । देर सबेर चीन को वैशिवक रुख यानी स्वतंत्रता एंव लोकतंत्र के मार्ग पर चलना ही होगा । पचहत्तर वर्षिय तिब्बती नेता अमेरिका में ओहियों के सिनसिनाटी में कल इंटरनेशनल कंडक्टर पुरस्कार ग्रहाण करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि एक अरब 30 करोड चीनी जनता को हकीकत जानने का पूरा हक है और वे इस बात का निर्णय लेने में बिल्कुल समर्थ है कि क्या सही है और क्या गलत है। चीनी विद्रोही नेता लिऊ श्याआबो तो वर्ष 2010 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए चुने जाने की चीन द्वारा तीखी आलोचना पर प्रतिक्रिया करते हुए दलाईलामा ने कहा कि पिछले कुछ दशक में वह थ्यान आन मान चौक घटना समेत और खुलापन , और अधिक इंसाफ , कम भ्रष्टाचार की चीनी जनता की मांग का समर्थन करते रहे है। दलाई लामा ने कहा कि नोबल समिति् ने इस बार ल्यो के लिए नोबल शांति पुरस्कार की घोषणा की तब उनकी खुशी की सीमा नही रही । उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार किसी एक व्यक्ति के लिए नही है बल्कि ल्यो के साथ हजारों ऐसे बुद्धिजीवी है और आम आदमी है जो आजादी की संघर्ष को सही मायने में आगे बढा रहे है। दलाईलामा ने कहा कि यह जरुरी नही है कि ए लोग चीनी पार्टी शासन के खिलाफ है बल्कि वे सही मायनों में ज्यादा खुलापन , ज्यादा पारर्शिता एंव आजादी चाहते है।
चीन में लोकतंत्र की बहाली से ही तिब्बत मुद्दे का निकलेगा हल
[शुक्रवार, 22 अक्तूबर, 2010 | स्रोत : VIRAAT VAIBHAV]
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