बीजिंग, एएनआइ। तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों का चीन द्वारा किए जा रहे दोहन के बीच निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने दुनिया से क्षेत्र में तिब्बत की परिस्थितिकी पर ज्यादा ध्यान देने की अपील की है। दुनिया भर के नेता स्काटलैंड के ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में जुटे हैं। ऐसे में दलाई लामा ने तिब्बत की परिस्थितिकी भूमिका एवं वैश्विक जलवायु संकट पर अधिक ध्यान देने की अपील में सर्वाधिक आबादी वाले एशिया का उल्लेख किया।

निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता के हवाले से रेडियो फ्री एशिया ने कहा, ‘एशिया में तिब्बत पानी का बुनियादी स्रोत है। पाकिस्तान की सिंधु से लेकर भारत की गंगा और ब्रह्मापुत्र, चीन की पीली नदी, वियतनाम की मेकांग नदी तिब्बत से निकलती है। हमें तिब्बत की परिस्थितिकी के संरक्षण की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए। यह न केवल 60 से 70 लाख तिब्बतियों, बल्कि क्षेत्र की पूरी आबादी के हित में है।’

रेडियो फ्री एशिया ने कहा है कि करीब-करीब चीन की 1.4 अरब आबादी, भारत की 1.3 अरब आबादी, 17 करोड़ 50 लाख दक्षिण एशियाई और पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के करोड़ों निवासी तिब्बत के पानी पर आश्रित हैं।

चीन पर जमकर बरसे थे तवांग मठ के प्रमुख ग्यांगबुंग रिंपोचे

वहीं, दूसरी ओर पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग मठ के प्रमुख ग्यांगबुंग रिंपोचे अगले दलाई लामा का चयन करने की प्रक्रिया में अड़ंगा लगा रहे चीन पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा था कि दलाई लामा का चयन करने की प्रक्रिया में चीन को शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है। चीन की सरकार धर्म में विश्वास नहीं करती, जबकि यह तिब्बती लोगों के लिए पूरी तरह से एक आध्यात्मिक मसला है। केवल वर्तमान दलाई लामा व तिब्बत के लोगों को यह फैसला लेने का अधिकार है कि अगला तिब्बती आध्यात्मिक नेता कौन होगा। चीन इस मामले में कोई भूमिका नहीं निभा सकता है।