ब्रसेल्स। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चल रहे ५७वें सत्र के दौरान आइटम- ४ के तहत दिए गए एक व्यापक बयान में यूरोपीय संघ ने तिब्बत में निरंतर विकट मानवाधिकार स्थिति के बारे में अपनी चिंताओं को दोहराया, अनिवार्य बोर्डिंग स्कूली शिक्षा, सामूहिक डीएनए सैंपलिंग और तिब्बती स्कूलों को बंद करने पर प्रकाश डाला।
इसके अतिरिक्त, यूरोपीय संघ ने मानवाधिकार रक्षकों, वकीलों, पत्रकारों, मीडियाकर्मियों, लेखकों और बुद्धिजीवियों के खिलाफ किए जानेवाले उत्पीड़न, धमकी और निगरानी पर प्रकाश डाला। इस तरह के उत्पीड़न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चल रहे हैं। इनमें इन लोगों को बाहर निकलने पर प्रतिबंध, घर में नजरबंद, यातना और दुर्व्यवहार, गैरकानूनी हिरासत, सजा और जबरन गायब होने का भी सामना करना पड़ रहा है। इसमें निर्दिष्ट स्थान (आरएसडीएल) में आवासीय निगरानी भी शामिल है जो यातना और दुर्व्यवहार के बराबर हो सकती है।
इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने चीन से तिब्बतियों सहित सभी के मानवाधिकारों का सम्मान करने, उनकी रक्षा करने और उन्हें पूरा करने के लिए चीन के अपने संविधान सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों को बनाए रखने का आग्रह किया।
यूरोपीय संघ ने तिब्बतियों की मौलिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक विरासत और पहचान के संरक्षण की बारीकी से निगरानी करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और चीन से स्कूली शिक्षा प्रणाली के सभी स्तरों पर तिब्बती और चीनी दोनों में पूर्ण द्विभाषी शिक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
अंत में, यूरोपीय संघ ने चीन को अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र विशेष प्रक्रिया जनादेश धारकों और नागरिक समाज संगठनों को तिब्बत में अधिक यात्राओं की अनुमति देने के लिए प्रोत्साहित किया। इसने अन्या सेंगद्रा, चाड्रेल रिनपोछे, गो शेरब ग्यात्सो, गोलोग पाल्डेन, सेमकी डोल्मा और ताशि दोरजे सहित अन्य की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का भी आह्वान किया गया है।
यूरोपीय संघ के बयान का स्वागत करते हुए ब्रुसेल्स के तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि रिग्जिन जेनखांग ने तिब्बत में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को दूर करने की प्रतिबद्धता के लिए यूरोपीय संघ के प्रति आभार व्यक्त किया और निरंतर समर्थन का आग्रह किया।