
सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)। कैनबरा स्थित तिब्बत कार्यालय ने चीनी लोकतंत्र गठबंधन के साथ मिलकर १० जुलाई २०२४ को सिडनी विश्वविद्यालय में ‘शी जिनपिंग के बाद के युग में चीन-तिब्बत संबंध’ शीर्षक से संगोष्ठी आयोजित की।
संगोष्ठी में प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं, कार्यकर्ताओं और चीन के प्रमुख विशेषज्ञों की उपस्थिति में व्यापक चर्चा हुई। चर्चा में चीन-तिब्बत संबंधों पर शी-जिनपिंग की नीतियों के प्रभाव से लेकर उनके शासन में तिब्बत में हो रहे भयावह सांस्कृतिक संहार तक के बारे में चर्चा हुई।
अपने शुरुआती भाषण में प्रतिनिधि कर्मा सिंगे ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, ‘आज, चीनी सरकार के विस्तारवादी लालच और दमनकारी नीतियों के कारण असुरक्षा, अनिश्चितता और भय की गहरी भावना व्याप्त है। अगर इन नीतियों को चुनौती नहीं दी गई, तो दुनिया की शांति और सुरक्षा गंभीर खतरे में पड़ जाएगी।’ उन्होंने आगे बताया कि चीन की नीति तिब्बत को अपने लिए सुरक्षित बनाने और तिब्बती लोगों को चीन में बसाने की है, जो शी जिनपिंग के दीर्घकालिक विलयीकरण अभियान का हिस्सा है।
तिब्बत में चीन की विलयीकरण और शिक्षा नीतियों के एक प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. ग्यालो ने हान-केंद्रित राष्ट्रवाद नीति बनाने के लिए शी जिनपिंग के समग्र दृष्टिकोण और चीनी सरकार द्वारा तिब्बती बच्चों के लिए अनिवार्य आवासीय स्कूल शिक्षा लागू करने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस स्कूल व्यवस्था को तिब्बतियों के जबरन चीनीकरण करने और तिब्बत का संस्कृति संहार की नीति के रूप में वर्णित किया और इस पर अपनी गहन अंतर्दृष्टि से अवगत कराया।
ताइवान में तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि बावा कलसांग ग्यालत्सेन ने चीन-तिब्बत संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मध्यम मार्ग नीति के प्रति केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की प्रतिबद्धता के बारे में बताया। आगे उन्होंने दोनों समुदायों के बीच मित्रता को मजबूत करने के लिए तिब्बती और चीनी समुदायों के बीच अधिक महत्वपूर्ण संपर्क और सहयोग करने के महत्व पर जोर दिया।
अंत में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के एसोसिएट प्रोफेसर और ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड एलायंस ऑफ विक्टिम्स ऑफ चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष प्रोफेसर फेंग चोंगयी ने बताया कि किसी भी राष्ट्रीयता के लिए आत्मनिर्णय का अधिकार प्राप्त करना तभी संभव हो सकता है जब चीन में एक लोकतांत्रिक संवैधानिक सरकार की स्थापना हो जाए। उन्होंने आगे बताया कि आत्मनिर्णय को साकार करने के लिए एक लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के तहत लोकतांत्रिक बातचीत या जनमत संग्रह आवश्यक है। इसके हो जाने से स्वायत्तता, स्वतंत्रता या यथास्थिति बनाए रखना संभव हो सकता है।
चीनी लोकतंत्र गठबंधन के अध्यक्ष डॉ. जिन जियांग, सिडनी चीनी-तिब्बती मैत्री समूह के अध्यक्ष डुओदुओ झांग और ताइवान की सहयोगी सोफिया साई ने सेमिनार का संचालन किया।
कैनबरा स्थित तिब्बत कार्यालय में चीनी संपर्क अधिकारी दावा सांगमो ने समापन भाषण दिया।