
धर्मशाला। तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीनी पुलिस द्वारा बार-बार किए गए हमले और दुर्व्यवहार के कारण जेल में बंद तिब्बती उद्यमी और राजनीतिक कैदी दोरजी ताशी की बहन गोनपो क्यी कथित तौर पर एक होटल की दूसरी मंजिल से कूद गई। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, गोनपो क्यी अपने भाई दोरजी ताशी और उनके वकील से मिलने के अपने कानूनी अधिकारों की अपील करने के लिए १८ अगस्त २०२५ को ल्हासा गई थीं। हालांकि, उनकी शांतिपूर्ण अपीलों का चीनी पुलिस ने गैरकानूनी माना और उन पर हिंसक हमला किया। कथित तौर पर सादे कपड़ों में चीनी पुलिस ने गोनपो क्यी को सड़कों पर घसीटा, उनकी पिटाई की और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।
चीनी पुलिस ने उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें जबरन याक होटल में बंद कर दिया। जब उन्होंने होटल से बाहर निकलने की कोशिश की, तो अधिकारियों ने उनके साथ फिर से दुर्व्यवहार किया। उन्हें वापस अंदर खींच लिया और जमीन पर पटक दिया। उनके होटल छोड़ने पर रोक लगा दी गई थी और सादे कपड़ों में पुलिस अधिकारी उसकी हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए होटल के अंदर और बाहर तैनात हो गए।
चीनी पुलिस ने २० अगस्त की सुबह उन्हें फिर से घेर लिया, कथित तौर पर उनकी पिटाई की और उनकी आजादी पर और भी पाबंदियां लगा दीं। हताशा और गुस्से में, गोनपो क्यी ने कथित तौर पर इमारत की दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी, जिसे सूत्रों के अनुसार दुर्व्यवहार के बीच एक हताश विरोध प्रदर्शन बताया जा रहा है। उनकी कमर और अंगों में गंभीर चोटें आईं, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई। चीनी पुलिस ने घटना के बाद गोनपो क्यी को समय पर अस्पताल और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया।
जिस होटल में उन्हें १८ से २० अगस्त के बीच जबरन रखा गया था, वहां से रिकॉर्ड किए गए पांच वीडियो में गोनपो क्यी चीनी अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों के खुलेआम उल्लंघन की निंदा करती दिख रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने भाई से मिलने आई थी, जो चीनी कानून के तहत मेरा कानूनी अधिकार है। इसके बजाय, उन्होंने मुझे एक कैदी की तरह बंद कर दिया है, मुझे पत्र देने या अपने भाई और उसके वकील से मिलने का मौका नहीं दिया। मेरे पैर और कमर दोनों में गंभीर चोटें आई हैं। यह निर्विवाद है कि दोरजी को गलत तरीके से कैद किया गया और उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे उन्हें काली टोपी पहनाकर अपराधी बनाया गया हो।’
एक क्लिप में, एक महिला ने उनसे विरोध किया और उनसे रिकॉर्डिंग बंद करने को कहा। गोनपो क्यी ने दृढ़ता से जवाब दिया कि हालांकि वह उस समय तस्वीरें नहीं ले रही थीं, लेकिन अगर वह चाहें तो उन्हें ऐसा करने का पूरा अधिकार है। ये गवाहियां चीन द्वारा व्यवस्थित दमन और तिब्बतियों के बुनियादी अधिकारों के निर्मम हनन को उजागर करती हैं, भले ही इन अधिकारों को उसके अपने कानूनों में ही गारंटी दी गई हों।
न्याय के लिए लंबी लड़ाई
दोरजी ताशी कभी एक सफल तिब्बती व्यवसायी थे। उन्हें २००८ में तिब्बत में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया और हिरासत में महीनों तक यातनाएं दी गईं। २०१० में ल्हासा इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट में बंद कमरे में सुनवाई में उन्हें ऋण धोखाधड़ी के मनगढ़ंत आरोपों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। हालांकि मामला वास्तव में राजनीति से प्रेरित था। उनके भाई, दोरजी सेतेन को भी उसी समय छह साल की जेल की सजा सुनाई गई और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
सजा के बाद से दोरजी ताशी के परिवार ने कई बार और कई तरीकों से मामले की कानूनी समीक्षा की मांग की है। २०२० में, चीनी अदालत ने उनके मामले पर पुनर्विचार के लिए उनके वकील और रिश्तेदारों द्वारा की गई अपीलों को खारिज कर दिया। २०२३ और २०२४ के बीच गोनपो क्यी ने अपने पति चोएकयोंग और भाई दोरजी सेतेन के साथ ल्हासा में सरकारी कार्यालयों और अदालतों के बाहर सात से ज्यादा शांतिपूर्ण भूख-हड़तालें और प्रार्थना प्रदर्शन किए। उनकी कार्रवाइयों के जवाब में चीनी अधिकारियों ने उन्हें बार-बार हिरासत में लिया और उनके साथ हिंसा की।
यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब तथाकथित ‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र’ गैरकानूनी चीनी शासन के तहत अपनी स्थापना की ६०वीं वर्षगांठ मना रहा है और अधिकारी पूरे ल्हासा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रहे हैं। इस बीच, दोरजी ताशी के भाई दोरजी सेतेन को कथित तौर पर ल्हासा से जबरन दक्षिणी तिब्बत स्थानांतरित कर दिया गया है और उनके लौटने पर रोक लगा दी गई है। वर्षों के शांतिपूर्ण विरोध के बावजूद, अधिकारी परिवार को कानूनी प्रतिनिधित्व और मुलाकात के अधिकार से वंचित कर रहे हैं।
दोरजी ताशी को राजनीति से प्रेरित आरोपों में कैद करना चीन की असुरक्षा और प्रमुख तिब्बतियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को उजागर करता है। ताशी को चीनी दमन के खिलाफ तिब्बत के समर्थन में बोलने के लिए निशाना बनाया गया और कड़ी सजा दी गई। ये कार्रवाईयां चीनी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के विपरीत हैं। चीन को ऐसी कार्रवाइयों को समाप्त करना चाहिए और तिब्बती लोगों के अधिकारों और गरिमा का सम्मान करना चाहिए, जैसा कि उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया है।
– सीटीए के डीआईआईआर में तिब्बत एडवोकेसी अनुभाग में संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार डेस्क द्वारा तैयार रिपोर्ट

